
विदेश मंत्री एस जयशंकर।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। यहां रविवार को उन्होंने वहां रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात और वार्ता की। इस दौरान जयशंकर ने हाल ही में रूस की राजधानी में हुए आतंकी हमले की आलोचना की। सिंगापुर में भारतीय समुदाय के लोगों से वार्ता करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि किसी भी भाषा में एक आतंकवादी, आतंकवादी ही होता है। किसी को भी आतंकवाद की अलग-अलग व्याख्या के कारण आतंकवादी को माफ करने या उसका बचाव करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
उनका यह बयान एक सवाल कि भारतीय अधिकारी अपने वैश्विक समकक्षों के साथ संवेदनशील और भाषाई रूप से भिन्न विषयों पर कैसे विचार करते हैं? पर आया। इस सवाल का जवाब देते हुए विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कई बार राजनीति में अलग-अलग देश अपनी संस्कृति, परंपराओं और कभी-कभी अपनी भाषा या अवधारणाओं को बहस के लिए लाते हैं। लेकिन ये केवल उस मुद्दे का हल ढूढ़ने के लिए होता है। जयशंकर ने कहा कि हालांकि कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जहा कोई भ्रम नहीं होता है। जैसे कि आतंकवाद, आप इसे किसी भी भाषा में ले सकते हैं, लेकिन आतंकवादी किसी भी भाषा में आतंकवादी ही होता है।
भारत-सिंगापुर संबंधों का भी किया जिक्र
आगे बोलते हुए जयशंकर ने स्वतंत्रता संग्राम के दिनों के भारत-सिंगापुर संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस हमारे पूरे देश के लिए एक प्रत्यक्ष प्रेरणा बने हुए हैं। सुभाष चंद्र बोस ने यहां से दिल्ली चलो का आह्वान किया था, आज दोनों देशों के संबंध हिंद प्रशांत तक पहुंच गए हैं। आज भारत जितना अधिक वैश्वीकरण करेगा, उसका हर पहलू सिंगापुर के साथ संबंधों की प्रगाढ़ता और गुणवत्ता में प्रतिबिंबित होगा। भारत के वैश्वीकरण में सिंगापुर हमारा भागीदार रहा है और वह भूमिका और सहयोग कुछ ऐसा है जिसे हम महत्व देते हैं।
आगे बोलते हुए जयशंकर ने सिंगापुर में भारतीय समुदाय को नए भारत के बारे में भी बताया। उन्होंने यहां हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास की त्वरित गति के बारे में बताते हुए कहा कि भारत एक वैश्विक मित्र है। आज का भारत वह भारत नहीं है जिस पर दबाव डाला जाएगा, तो वह अपने मन की बात नहीं कहेगा। आज हमें अगर कोई विकल्प चुनना है, तो हम अपने नागरिकों के कल्याण के लिए विकल्प चुनेंगे। यह एक ऐसा भारत है जो अपने नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों की देखभाल करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कही भी रह रहे भारतीय अगर किसी कठिन दौर में हैं तो उन्हें सुरक्षित करना, उन्हें घर लाना हमारी जिम्मेदारी है।
इस दौरान विदेशमंत्री ने चंद्रयान की सफलता के लिए मिले वैश्विक सम्मान और कोरोना काल में दुनिया के 100 देशों को टीका मुहैया कराने के भारत के कदम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम कठिनाइयों के समय आगे बढ़ते हैं। श्रीलंका का जिक्र कर उन्होंने कहा कि भारत ने द्वीप राज्य के आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका को 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर का पैकेज दिया था।