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- Interview Of The Founder Of Zerodha Company: Nithin Kamath Said If You Want To Remove Stress In Life Then Keep Adopting New Hobbies
नई दिल्ली11 घंटे पहले
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जेरोधा के फाउंडर नितिन कामत (फाइल फोटो)।
जेरोधा के फाउंडर नितिन कामत का कहना है कि तनाव दूर करने का सबसे बेहतर तरीका है खुद के शौक पूरे कीजिए। यह बात नितिन कामत ने भास्कर के संचित श्रीवास्तव के साथ खास बातचीत में कही है।
नितिन कामत ने कहा, ‘मैं फैसला लेने से पहले सबसे खराब परिस्थिति का आकलन जरूर करता हूं। इससे परिणाम को स्वीकार करने की ताकत मिलती है। मैं समझता हूं कि हम सभी को फैसला लेने से पहले उसके ‘वर्स्ट केस सिनेरियो’ का विश्लेषण यानी एनालिसिस जरूर करना चाहिए।’
जीवन में सफलता के साथ दायित्व भी आता है
क्लाइमेट चेंज और धन की असामानता बड़ी चुनौतियां हैं। जब जिरोधा में हमारा बिजनेस मुनाफे में आया, तब हमने समझा कि सफलता और दायित्व साथ आते हैं। इसके बाद ही हमने रेनमैटर फाउंडेशन की शुरुआत की, जिससे जरिए हमने पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और एजुकेशन जैसे विषयों पर काम करने वाले स्टार्टअप्स को सपोर्ट करना शुरू किया।

हम एक तरह से उन स्टार्टअप्स को सशक्त बनाना चाहते हैं जो भारत का निर्माण कर रहे हैं। भारत में रहकर भारत के लिए पैसे बना रहे हैं। आज के दौर में सस्टेनेबल स्टार्टअप्स में निवेश जरूरी है, क्योंकि ऐसे ही स्टार्टअप्स ही भविष्य का भारत बनाएंगे।
आज के समय में सस्टेनेबल स्टार्टअप्स में निवेश जरूरी
भारत एक समृद्ध देश है लेकिन हमारी बहुत सारी संपत्ति सोने, रियल एस्टेट और बैंक के फिक्सड डिपॉजिट में फंसी हुई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में करीब 70 अरब डॉलर भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम से आए हैं। यह एक अच्छा संकेत है, लेकिन समस्या यह है कि अधिकांश वेल्थ क्रियेशन देश के बाहर हो रहा है। इस धन का केवल 10 प्रतिशत ही भारत के भीतर से आया।
इसका मतलब है कि भारत में आया 90 प्रतिशत धन बाहर पनपा था। अगर ऐसा है तो भारत अमीर कैसे बनेगा? इसलिए हम एक तरह से उन स्टार्टअप्स को सशक्त बनाना चाहते हैं जो भारत का निर्माण कर रहे हैं। भारत में रहकर भारत के लिए पैसे बना रहे हैं। आज के दौर में सस्टेनेबल स्टार्टअप्स में निवेश जरूरी है, क्योंकि ऐसे ही स्टार्टअप्स ही भविष्य का भारत बनाएंगे।
रेनमैटर फाउंडेश के जरिए हमारा लक्ष्य है भारतीय स्टार्टअप्स को सशक्त बनाना
रेनमैटर फाउंडेशन के जरिए हम देश के कई ऐसे स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रहे, जो हमारे देश की बेहतरी के लिए काम कर रहे। जैसे एक कंपनी है अक्ष्यकल्पा। यह आर्गेनिक डेयरी प्रोडक्ट बेचती है। हमारे देश में जानवर भी काफी एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट हो रहे हैं। यानी कई गायें भी जब बीमार पड़ती हैं तो उन्हें तुरंत एंटीबायोटिक खिला दिए जाते हैं।
इससे उनके स्वास्थ्य और मिल्क की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है। अक्ष्यकल्पा इसी क्षेत्र में काम कर रही है कि कैसे गायों पर ना के बराबर एंटीबायोटिक्स का उपयोग हो और साथ ही उन्हें खुले माहौल में रहने का मौका मिले।
अगर हमारे गांव समृद्ध होंगे तो लोग भी यहां रुकेंगे
भारत में हजारों क्लस्टर हैं, प्रत्येक क्लस्टर में 5-10 गांव हैं, फिर भी कई गांव ऐसे हैं जो अपनी जरूरतों के लिए अन्य स्रोतों पर निर्भर हैं। गांवों की जरूरतें शहर से पूरी हो रहीं हैं, जिससे फूड ट्रांस्पोर्टेशन बढ़ रहा है। मेरे हिसाब से फूड ट्रांस्पोर्टेशन क्लाइमेट चेंज का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए मैं सवाल करता हूं कि एक गांव को अन्य स्रोतों पर निर्भर क्यों रहना चाहिए? अगर गांव समृद्ध हो जाएंगे, तो लोग यहीं रुकेंगे और इसकी बेहतरी के लिए काम करेंगे।
जीवन में शौक होने चाहिए
मेरे कई शौक हैं, हर तरह के खेल खेलता हूं, गिटार बजाना पसंद है। मेरे हिसाब से शौक जीवन का अभिन्न अंग हैं। हम सभी काम को प्राथमिकता देते हैं लेकिन हमें खुद को भी समय देने की जरूरत है। जीवन में जिज्ञासा होनी चाहिए। उसके बिना जिंदगी बेरंग है।

पर्यावरण चुनौतियों पर संवाद जरूरी है
आज हम सभी महसूस कर सकते हैं कि हवा प्रदूषित है, लेकिन हम नहीं जानते कि क्या हम साफ पानी पी रहे हैं या हेल्दी खाना खा रहे हैं? हमें नहीं पता चलता कि हमारे शरीर में रोजाना कितना माइक्रोप्लास्टिक जा रहा है। पर्यावरण पर संवाद बहुत जरूरी है। इसीलिए सस्टेनेबल स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना आज बहुत जरूरी हो गया है। हम अपने फाउंडेशन के जरिए ऐसे ही कई स्टार्टअप्स को फंड कर रहे हैं।
सभी को द एनार्की किताब पढ़नी चाहिए
हमें अपने इतिहास की जानकारी होनी चाहिए। मैं चाहता हूं कि सभी को विलियम डेलरिम्पल की पुस्तक ‘द एनार्की’ पढ़नी चाहिए। यह ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में है। इससे हमें एक कॉर्पोरेशन की हिस्ट्री के बारे में पता चलेगा।
देश की सबसे बड़ी स्टॉक ट्रेडिंग कंपनी है जेरोधा
जेरोधा देश की सबसे बड़ी स्टॉक ट्रेडिंग कंपनी है। वहीं नितिन देश की नेशनल स्टार्टअप एडवाइजरी काउंसिल का हिस्सा भी बन गए हैं। रेनमैटर फाउंडेशन के जरिए वे हेल्थ से लेकर पर्यावरण पर काम करने वाले 100 से ज्यादा स्टार्टअप्स को सपोर्ट कर रहे हैं।