नई दिल्ली2 घंटे पहले
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भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) मौजूदा वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही में कम होकर GDP का 1% रह गया है। अप्रैल-जून तिमाही में यह 1.1% था। वहीं, एक साल पहले यानी Q2FY23 में CAD GDP का 3.8% था।
हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसकी जानकारी दी है। 1% होने के बाद यह करीब ₹69 हजार करोड़ रह गया है, एक साल पहले की 3.8% की तुलना में 2.7% कम हुआ है।
RBI ने बताया कि साल-दर-साल सर्विस, सॉफ्टवेयर, बिजनेस और ट्रैवल एक्सपोर्ट में 4.2% की ग्रोथ हुई है। इसके चलते नेट सर्विस रिसीट (रसीद) बढ़ा है। इसका मतलब गुड्स और सर्विस सेक्टर में जितना पैसा बाहर से आया उसकी तुलना में कम पैसा देश के बाहर गया है।
करंट अकाउंट डेफिसिट क्या होता है?
यह किसी देश के टोटल इंटरनेशनल व्यापार का रिकॉर्ड रखने वाले कंपोनेंट बैलेंस ऑफ पेमेंट का एक पार्ट है। इसके जरिए देश यह पता लगाते हैं कि उनके देश से विदेशों में बेची गई वस्तुओं से कितनी आमदनी हुई और विदेशों से सामान इंपोर्ट करने में उन्हें कितना खर्च करना पड़ा।
अगर एक्सपोर्ट से कमाई गई आमदनी इंपोर्ट के लिए किए गए खर्च के मुकाबले कम होता है, तो इसे करंट अकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाता घाटा कहते हैं। वहीं, अगर इंपोर्ट के लिए किया गया खर्च एक्पोर्ट से हुई आमदनी की तुलना में ज्यादा है तो इसे करंट अकाउंट सरप्लस कहा जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं…
मान लीजिए देश ‘A’ ने ₹100 वैल्यू का ट्रेड किया। इसमें उसने देश ‘B, C और D’ से टोटल ₹60 की वैल्यू का इंपोर्ट किया और बदले में डॉलर दिया। जबकि देश ‘E,F,G और H’को ₹40 के वैल्यू का एक्सपोर्ट किया और बदले में डॉलर लिया।
यहां देश A का ट्रेड बैलेंस यानी इंपोर्ट- एक्सपोर्ट के बीच का अंतर (60-40=20) ₹20 होगा। लेकिन, यहां देश A ने एक्सपोर्ट से ज्यादा इंपोर्ट किया है। इसलिए इसका ट्रेड बैलेंस नेगेटिव होगा यानी ₹20 के वैल्यू का ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) होगा।
अप्रैल-सितंबर 2023 में ओवरऑल ट्रेड
| ओवरऑल ट्रेड |
अप्रैल-सितंबर 2023 |
अप्रैल-सितंबर 2022 |
| एक्सपोर्ट | 31.33 | 32.28 |
|
इम्पोर्ट |
34.65 | 38.56 |
| ट्रेड बैलेंस | -3.32 |
-6.27 |
सोर्स: PIB; आंकड़े लाख करोड़ में हैं…