2 घंटे पहले
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने शुक्रवार को भारत की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए एक रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, भारत पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया, सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो 2028 तक देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा।
हालांकि वित्त मंत्रालय ने IMF की रिपोर्ट का खंडन किया। शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा- IMF का भारत पर 100% कर्ज का अनुमान गलत है। मौजूदा कर्जा भारतीय रुपए में है, इसलिए कोई समस्या नहीं है।
2022-23 में कर्जा घटकर 81 प्रतिशत हो गया
मंत्रालय ने भारतीय अधिकारियों के साथ एनुअल आर्टिकल IV परामर्श के बाद IMF रिपोर्ट का खंडन किया। इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि सरकारी कर्जा (राज्य और केंद्र दोनों सहित) वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 88 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में लगभग 81 प्रतिशत हो गया है। यह कर्जा अभी भी 2002 की तुलना में कम है।

भारत सरकार पर कुल कर्ज कितना है और बीते 9 साल में कितना बढ़ा है?
बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें से भारत सरकार पर 161 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है।
2014 में केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2023 तक बढ़कर 161 लाख करोड़ हो गया है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में भारत सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा है। इसमें देश और विदेश दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं।
इसी तरह अब अगर विदेशी कर्ज की बात करें तो 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 लाख करोड़ रुपए था। 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।
2004 में भारत सरकार पर कितना कर्ज था और साल-दर-साल ये कैसे बढ़ा है?
2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो भारत सरकार पर कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपए था। 2014 तक तीन गुना से ज्यादा बढ़कर ये 55 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस समय भारत सरकार पर कुल कर्ज 161 लाख करोड़ रुपए है।
भारत में हर आदमी पर 9 साल में कितना रुपए कर्ज बढ़ा है?
सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के कर्ज शामिल हैं। भारत की कुल आबादी 142 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है।

9 साल में विदेश से कर्ज लेने के मामले में केंद्र की UPA सरकार या NDA सरकार आगे है?
2014 के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने विदेश से कुल 19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2005 से 2013 तक 9 साल में UPA सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया।
2005 में देश पर विदेशी कर्ज 10 लाख करोड़ था, जो 2013 में बढ़कर 31 लाख करोड़ हुआ। यानी, UPA के समय केंद्र सरकार पर 9 साल में 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज बढ़ा।
किसी देश की सरकार पर किन वजहों से कर्ज बढ़ता है?
अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया है कि सरकार का कर्ज दो बातों पर निर्भर करता है…
1. सरकार की आमदनी कितनी है।
2. सरकार का खर्च कितना है।
अगर खर्चा आमदनी से ज्यादा हो तो सरकार को कर्ज लेना ही होता है। सरकार जैसे ही कर्ज लेती है इससे राजस्व घाटा बढ़ता है। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार का खर्च राजस्व से होने वाली कमाई से ज्यादा है। आमतौर पर राजस्व घाटा तब ज्यादा होता है जब सरकार कर्ज के पैसे को वहां खर्च करती है, जिससे रिटर्न नहीं आता है।

दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देश कौन हैं?
दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देशों में जापान जैसे देश शामिल हैं। दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी कर्ज लेने के मामले में भारत से आगे है।

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