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कॉलेज के समय पर अगर डॉक्टरों ने निजी प्रैक्टिस की तो मेडिकल कॉलेज में पीजी की मान्यता छिन जाएगी। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने मेडिकल कॉलजों में पीजी की पढ़ाई पर नया दिशा-निर्देश जारी किया है। नेशनल मेडिकल कमीशन एसकेएमसीएच समेत सभी मेडिकल कॉलेजों की ऑनलाइन निगरानी करेगी ताकि पता चल सके कि कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई के मानकों का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं। एसकेएमसीएच के प्रशासी अधिकारी डॉ रमाकांत प्रसाद ने बताया कि पीजी की पढ़ाई पर एनएमसी की गाइडलाइन आई है। सभी को उसके पालन का निर्देश है। एसकेएमसीएच में सर्जरी, एनाटोमी, पैथोलॉजी, मेडिसिन में पीजी की पढ़ाई होती है। शिशु रोग में डीएनबी का कोर्स चलाया जाता है।
पीजी छात्रों के कॉलेज में तैयार होगा ट्रेनिंग रूम
एसकेएमसीएच समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों में पीजी छात्रों के लिए ट्रेनिंग रूम तैयार किए जाएंगे। इसमें पीजी करने वाले छात्रों को बीमारियों के इलाज की ट्रेनिंग दी जाएगी। एनएमसी ने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई तभी हो सकती है जब उसका भवन भी नेशनल बिल्डिंग नॉर्म्स के अधार पर हो। इस भवन में सेंट्रल स्ट्राइल सर्विस डिपार्टमेंट (वैसा विभाग जहां उपकरणों को साफ किया जाता हो), आईसीयू, रेडियोलॉजी, लेबोरेट्री होनी चाहिए। इसके अलावा विभागों में पीजी छात्रों को ट्रेनिंग देने के लिए भी शिक्षक और सुविधाएं होनी चाहिए।
शिक्षकों को लगानी होगी 75 फीसदी की हाजिरी
एसकेएमसीएच समेत सभी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की भी उपस्थिति 75 फीसदी कर दी गई है। इसकी भी निगरानी एनएमसी करेगी। बीते दिनों एनएमसी ने आधार लिंक कर उपस्थिति नहीं बनाने पर मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों से जवाब तलब किया था। एनएमसी ने अपने पत्र में कहा है कि छात्रों के साथ शिक्षकों की उपस्थिति भी कॉलेजों में बहुत जरूरी है।
अस्पताल के 80 फीसदी बेड भरे होने चाहिए पूरे साल
एनएमसी के नये दिशा निर्देश के अनुसार पीजी कोर्स चलाने वाले मेडिकल कॉलेजों के 80 फीसदी बेड हर वर्ष भरे रहने चाहिए। इसके अलावा पीजी छात्रों के लिए अलग से लेबोरेट्री होनी चाहिए। ओपीडी में पीजी छात्रों के देखने के लिए भरपूर जगह होनी चाहिए। इसके अलावा मेडकिल कॉलेज में सभी जांच के डिजिटल रिकार्ड रखने का भी निर्देश एनएमसी ने दिया है।