Health Tips Nasya Therapy Benefits Ayurveda In Hind

Ayurveda Nuskha : आयुर्वेद में कई बीमारियों का इलाज अलग तरीके से किया जाता है. इनमें से एक नस्य (Nasya) उपचार विधि भी है. आयुर्वेद में उपचार का यह तरीका ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर में काफी मदद करता है. इससे ऑटो इम्यून थायराइड, रुमेटीइड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस की समस्या में भी आराम मिलता है. आयुर्वेद एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अणु तेल एक आयुर्वेदिक तेल होता है, जिसका इस्तेमाल गाय के घी के अलावा नस्य तकनीक में किया जाता है. हालांकि, ऐसा सिर्फ एक्सपर्ट्स की सलाह पर ही करना चाहिए. इससे कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. आइए जानते हैं आखिर यह उपचार विधि क्या है और कैसे उपयोग की जाती है…

 

नस्य क्रिया के क्या-क्या फायदे

ऐसे लोग जो हमेशा तनाव में रहते हैं. उन्हें मानसिक समस्याएं घेरे रहती हैं, बार-बार सिरदर्द होता है, शरीर में ज्यादा गर्मी बनी रहती है, किसी चीज पर फोकस नहीं बन पाता है, बालों की समस्या बनी रहती है, आंखों में परेशानी होती है, सुनने में दिक्कत है, नींद नहीं आ रही है, उनके लिए यह क्रिया बेहद फायदेमंद है. 

 

नस्य क्रिया कैसे करते हैं

आयुर्वेद डॉक्टर के अनुसार, सोते समय दोनों नाक में गाय के घी की सिर्फ 2 बूंदें डालें. घी लिक्विड रूप और गुनगुना होना चाहिए. आप चाहें तो रुई, ड्रॉपर या अपनी छोटी उंगली की मदद से घी नाक में डाल सकते हैं. डॉक्टर का कहना है कि ये क्रिया शारीरिक और मानसिक रूप से कई समस्याओं से छुटकारा दिलाती है.

 

नस्य क्रिया से सिरदर्द की समस्या होगी दूर

अगर किसी को पित्त की ज्यादा समस्या है और रोजाना सिर में दर्द बना रहता है तो उन्हें इस उपाय को जरूर आजमाना चाहिए. सोने से पहले दोनों नथुनों में दो बूंद घी डालने से दिमाग शांत हो सकता है और नींद की समस्या खत्म होती है. इसके साथ ही सिरदर्द से भी राहत मिल जाती है.

 

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