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Lifestyle and Health : बिगड़ती लाइफस्टाइल और तमाम एनवायरमेंटल फैक्टर्स की वजह से सेहत के लिए कई खतरे पैदा हो रहे हैं. जरा सी लापरवाही भी हमें बीमार बना सकती है. ऑक्सफोर्ड पॉपुलेशन हेल्थ की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि लाइफस्टाइल (शराब-सिगरेट पीने और फिजिकल एक्टिविटीज) और अलग-अलग पर्यावरणीय कारक, हमारे जीन की तुलना में सेहत और समय से पहले मौत के जिम्मेदार हैं.

अध्ययन में करीब 5 लाख यूके बायोबैंक पार्टिसिपेंट्स का डेटा एनालिसिस किया गया. 22 प्रमुख बीमारियों के लिए 164 एनवायरमेंटल फैक्टर्स और जेनेटिक रिस्क स्कोर के प्रभाव की भी जांच की गई, जो उम्र बढ़ने, बीमारियां और समय से पहले मौत पर प्रभाव डालते हैं. 

क्या कहती है स्टडी

नेचर मेडिसिन में पब्लिश इस स्टडी के अनुसार, एनवायरमेंटल फैक्टर्स के कारण मौत के रिस्क में 17% अलग-अलग होती है, जबकि आनुवंशिकता की वजह 2% से भी कम होती है. इनमें पहचाने गए 25 पर्यावरणीय कारकों में से धूम्रपान, सोशल-फाइनेंशियल कंडीशन,  फिजिकल एक्टिविटी और लाइफ कंडीशन का मृत्यु दर और उम्र बढ़ने पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा.

स्टडी में बताया गया कि स्मोकिंग की वजह से सबसे ज्यादा 21 बीमारियों का खतरा होता है. सामाजिक-आर्थिक कारक, जैसे कि घरेलू खर्च, बेरोजगारी की वजह से 19 बीमारियों का खतरा और फिजिकल एक्टिविटी न करने से 17 बीमारियां हो सकती हैं.

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हेल्थ के लिए क्या हैं रिस्क

जन्म के 10 साल तक शरीर का वजन और मां का धूम्रपान पीना काफी खतरनाक हो सकता है. 30-80 साल तक उम्र बढ़ने पर समय से पहले मौत का खतरा हो सकता है. पर्यावरणीय जोखिम का फेफड़े, हार्ट और लिवर की बीमारियों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है, जबकि ब्रेन डिजीज, ब्रेस्ट कैंसर के लिए जेनेटिक फैक्टर्स जिम्मेदार थे.

क्या कहते हैं शोधकर्ता

ऑक्सफोर्ड पॉपुलेशन हेल्थ में एपिडेमियोलॉजी (Epidemiology) के सेंट क्रॉस प्रोफेसर और पेपर के सीनियर प्रोफेसर कॉर्नेलिया वैन ड्यूजिन ने कहा, ‘हमारा रिसर्च सेहत पर पड़ने वाले रिस्क को बताता है, जिसे सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार, धूम्रपान को कम करने या शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने से बदला जा सकता है.’ शोध से पता चलता है कि पहचाने गए कई पर्सनल रिस्क ने समय से पहले मौत में छोटा रोल निभाया. लेकिन जिंदगी को कई तरह से प्रभावित किया. इस अध्ययन से मिली जानकारी समय से पहले मृत्यु और कई आम उम्र से संबंधित बीमारियों के जोखिम को बढ़ावा देने वाले पर्यावरणीय कारकों को समझने और उससे बचने में मदद कर सकती हैं.

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