1 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन
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22 जनवरी को अयोध्या स्थित राम मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होगी। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, गुरमीत चौधरी ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह और अपने शो ‘रामायण’ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें शेयर की। गुरमीत 2008 में टीवी पर प्रसारित ‘रामायण’ में भगवान राम के किरदार में नजर आए थे।
गुरमीत की पत्नी देबीना बनर्जी सीता के किरदार में नजर आई थीं। उस दौरान दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे। बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

‘रामायण’ शो से जुड़े होने के नाते राम मंदिर का उद्घाटन होते देख कैसा लग रहा है?
मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं। 24 साल की उम्र में ही मुझे ‘रामायण’ में काम करने का मौका मिलना, मेरे लिए गर्व की बात थी। इससे बड़ी बात ये थी कि देबीना जो शो में सीताजी बनी थीं,वही रियल लाइफ में भी मेरी सीता बनीं।
तकरीबन दो साल पहले मैं और देबीना अयोध्या गए थे, उस वक्त मंदिर बन रहा था। आज जिस तरह हमारे देश में भगवान राम के आने का पर्व मनाया जा रहा है, इस इमोशन को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। ऐसा लग रहा है जैसे सच में रामजी अपने घर पधारने वाले है। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उनके आने की खुशी मनाई जा रही है।
आपको क्या लगता है कि ‘रामायण’ शो के फैन्स को राम मंदिर को सच में बनता देख कैसा महसूस होगा?
मेरा मानना है कि राम एक इमोशन है। चाहे आप कोई भी धर्म या जाति से हों, उनकी जिंदगी हम सभी के लिए एक सीख की तरह हैं। हम सभी ने उनसे कुछ-न-कुछ जरूर सीखा है। मुझे याद है, जब मैं ‘रामायण’ करता था तब छोटे-छोटे बच्चे मेरे फैन हुआ करते थे। वे भगवान राम के फैन थे। ये फैन्स मुझसे आज भी जुड़े हुए हैं।
राम मंदिर को सच में बनता देख उनके लिए किसी सपने का सच होने से कम नहीं। मुझे पूरा यकीन है कि हमारा पूरा परिवार मिलकर अयोध्या जाएगा और ‘रामायण’ के और भी करीब आएंगे। हम सभी राम भक्तों के लिए यह बहुत ही भावुक पल है। बहुत लंबे समय से हमें इस पल का इंतजार था और अब ऐसा होता देख, वाकई में हमारे लिए यह उत्सव दिवाली से कम नहीं।

आपके अनुसार मंदिर आज के समाज में क्या भूमिका निभाता है? यह सांस्कृतिक और धार्मिक सौहार्द्रता में कैसे योगदान देता है?
देखिए, मंदिर एक ऐसी जगह है जहां चारों तरफ पॉजिटिविटी होती है। जब कोई व्यक्ति पूरी आस्था के साथ उस स्थान पर जाता है, तो वो भी पॉजिटिव होकर ही लौटता है। वहां कई लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है। ये एक ऐसी जगह है जहां अलग-अलग लोग एक साथ आते है और भगवान के बारे में चर्चा होती है।
तो, इस बात में कोई दो राय नहीं कि यह मंदिर हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक सौहार्द्रता में योगदान जरूर देगा।
क्या ‘रामायण’ शो में काम करने से आपका अयोध्या शहर से पर्सनल जुड़ाव बना?
हां बिलकुल। जब दो साल पहले उस शहर में गया था तब वहां के लोग मुझे और देबीना को राम-सीता कहकर पुकारने लगे। वो पल हमारे लिए बहुत इमोशनल था। अयोध्या एक कमाल की जगह है, वहा हर घर के आंगन में एक मंदिर है। उस धार्मिक स्थल पर बहुत सुकून मिलता है।
मुझे याद है हमने वहा अपने बच्चों की मनोकामना की थी और इतनी मन्नतों के बाद, हमारे घर खुशियां आईं। इससे बड़ा उस शहर से पर्सनल जुड़ाव हमारे लिए क्या होगा?
जैसे-जैसे राम मंदिर का उद्घाटन नजदीक आ रहा है, इसके लिए आपकी पर्सनल इमोशंस क्या हैं?
मेरे पिताजी का नाम सीता राम, सासु मां का नाम शबरी और वहीं मेरे गांव का नाम जयरामपुर है। मेरे तो परिवार में रामायण बसती है। आज जब राम मंदिर का उद्घाटन आखिरकार हो रहा है तो इससे बड़ी खुशी हमारे लिए कुछ नहीं। वैसे, मुझे लगता है कि श्री राम के आने से अयोध्या सौभाग्यशाली हो गया है। वहां मौजूद लोगों को काम मिलने लगा है। मुझे पूरा यकीन है कि आने वाले दिनों में ये शहर बहुत बड़ा बन जाएगा।

श्री राम की ऐसी कौन सी बात थी जो अपने रियल लाइफ में भी उसका पालन करते हैं?
मैंने तकरीबन डेढ़ साल तक ‘रामायण’ की शूटिंग की थी और उस दौरान, मैंने एहसास किया की किसी भी परिस्थिति में भगवान राम विचलित नही होते थे। चाहे कितनी भी परेशानी या मुसीबतों का सामना क्यों ना करना पड़े, उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कराहट रहती थी।
14 साल का वनवास भी मिला तो वे खुशी-खुशी चले गए। उस वक्त से रामजी की ये बात मेरे जहन में बस गई थी। रियल लाइफ में भी मेरी यही कोशिश होती है कि मैं किसी सिचुएशन में पैनिक नहीं होऊं।

आपके किरदार के अलावा, ‘रामायण’ महाकाव्य में आपका पसंदीदा किरदार कौन-सा है और क्यों?
सीताजी। मेरा मानना है कि जो बलिदान उन्होंने दिया, वो कोई नहीं दे सकता। ‘रामायण’ की शूटिंग के दौरान, सीताजी के सीन करते वक्त कई बार देबीना रो पड़ती थी। मैंने देबीना को बहुत करीब से देखा है। शुरुआत में मुझे लगता था कि शो के जरिए मैं और देबीना एक साथ रहेंगे, तब हमारा नया-नया प्यार था।
लेकिन, ऐसे कई बार होता था कि हम अलग-अलग शूट करते थे। ‘रामायण’ में भी भगवान राम और सीता के बीच प्यार होने के बावजूद, वे ज्यादा वक्त तक साथ नहीं रह पाए थे। इस बारे में सोचकर आज भी बहुत दुख होता है।