Govinda ने कभी कंगाली में बिताया जीवन, नहीं थे दाल-चावल खरीदने के पैसे, दुकानदार करता था उनके पिता की बेइज्जती

मुंबई. दिग्गज बॉलीवुड एक्टर लंबे सयम से फिल्म इंडस्ट्री से दूर हैं. बीते कुछ सालों में उन्होंने बताया कि उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. वह फिल्मों में कमबैक के लिए स्ट्रगल कर ही रहे थे कि उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सदस्यता ले ली है. इससे उनका पॉलिटिक्स में कमबैक जरूर हो गया है. एकनाथ शिंदे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका स्वागत किया. यह तो भविष्य के गर्भ में है कि गोविंदा राजनीतिक करियर कितना सफल होता है? गोविंदा शुरू से ही काफी मेहनती रहे हैं.

गोविंदा ने जहां अपार सफलता का स्वाद लिया हैं, वहीं उन्होंने तंगहाली और बेकारी वाले दिन भी देखें हैं. 90 के दशक में एक साथ 10-10 फिल्में एक साथ किया करते थे. गोविंदा के बारे में ये बहुत कम लोग जानते हैं कि वह फिल्मी घराने से संबंध रखते हैं लेकिन उन्हें करियर बनाने को लेकर काफी संघर्ष भी करना पड़ा है.

गोविंदा की जिंदगी में एक ऐसा पल भी आया जब दुकानदार ने उन्हें राशन की वजह से उनकी इंसल्ट भी की. साल 1997 में ‘इंडिया टुडे’ को दिए इंटरव्यू ने इस बारे में बात की. गोविंदा ने बताया था कि एक समय था उनके पेरेंट्स के पास घर चलाने और किराने का सामान खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे.

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गोविंदा ने कहा कि उन दिनों उनकी फैमिली और उन्हें काफी बेइज्जत होना पड़ा था. पिता की कर्ज की वजह से एक किराने वाला उन्हें बहुत अपमानित करता था. दुकानदार उन्हें अपनी दुकान के सामने घंटों खड़ा रखता था क्योंकि वह जानता था कि गोविंदा के पिता उधार का दाल-चावल और अन्य राशन का सामान खरीदेंगे.

गोविंदा ने बताया कि दुकानदार ने ऐसा 1-2 नहीं बल्कि कई बार ऐसा किया. यह देखकर गोविंदा खुद भी उस दुकान पर जाना छोड़ दिया. जब उनकी मां उन्हें उस दुकान पर जाने को बोलती, तो वह मना कर देते थे. इससे उनकी मां को रोना आता था. मां को रोता देख गोविंदा भी रो पड़ते थे. यह सिचुएशन उस वक्त आई थी, जब गोविंद के पिता अरुण आहुजा की फिल्म बुरी तरह से पिट गई. वह करोड़ों के कर्ज में आ गए थे.

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