Gonda News: गरीबी आड़े आई, लेकिन हौसला नहीं टूटा, बिना कोचिंग गोंडा के नीरज ने जेईई में मारी बाजी!

गोंडा- उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के करनैलगंज विकासखंड से ताल्लुक रखने वाले नीरज शुक्ला ने अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से वह कर दिखाया जो कई छात्रों का सपना होता है. अपने घर में रहकर पढ़ाई करते हुए नीरज ने जेईई एडवांस परीक्षा में 2608वीं रैंक हासिल की है. उनकी यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए गर्व की बात बन गई है.

न पैसा था, न कोचिंग
लोकल 18 से बातचीत में नीरज बताते हैं कि वे एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं. उनके पिता एक किसान हैं और मां गृहिणी. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उन्हें बाहर किसी बड़े शहर में भेजकर कोचिंग कराई जा सके. आगे उन्होंने बताया कि हमारे पास पैसे नहीं थे, लेकिन हौसला था. ऐसे में नीरज ने पूरे लगन के साथ पढ़ाई की और जेईई एडवांस परीक्षा को क्रैक किया.

ऑनलाइन साधनों ने निभाया गुरु का काम
कोचिंग संस्थानों से दूर रहकर नीरज ने अपनी पढ़ाई के लिए इंटरनेट, यूट्यूब और फ्री ऑनलाइन स्टडी मटेरियल का सहारा लिया. वे बताते हैं कि शुरू में उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि तैयारी की दिशा क्या हो, लेकिन जेईई मेन्स परीक्षा देने के बाद उन्होंने अपनी गलतियां पहचानी और रणनीति बदलकर 10-12 घंटे की नियमित पढ़ाई शुरू की.

मैथ और केमिस्ट्री सबसे पसंदीदा विषय
नीरज बताते हैं कि उन्हें गणित और रसायन शास्त्र (Math & Chemistry) पढ़ना सबसे अच्छा लगता है. यही विषय उनकी तैयारी के केंद्र में रहे. वे कहते हैं कि इन विषयों को पढ़ते समय उन्हें आनंद मिलता है और यही वजह रही कि उनका आत्मविश्वास लगातार बना रहा.

परिवार और गांव का नाम किया रोशन
नीरज की इस कामयाबी से उनके गांव स्कूल में खुशी का माहौल है. शिक्षक, रिश्तेदार और गांव के लोग उनकी मेहनत की सराहना कर रहे हैं. उनके पिता के लिए यह गर्व का पल है कि उनका बेटा बिना किसी कोचिंग के इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सका.

सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखा जा सकता है
नीरज की सफलता आज उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो संसाधनों की कमी के कारण खुद को पीछे मानते हैं. उनका मानना है कि अगर मन में ठान लो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता.

गोंडा से आई एक प्रेरणादायक मिसाल
गोंडा जैसे छोटे जिले से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में शानदार रैंक लाना, इस बात का प्रमाण है कि सच्ची मेहनत, समय प्रबंधन और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता. नीरज ने न सिर्फ जिले का नाम रोशन किया है, बल्कि हजारों छात्रों को यह यकीन दिलाया है कि बड़ा सपना देखने के लिए बड़ा शहर नहीं, बड़ा हौसला चाहिए.

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