Flash Back: ..when The Candidate Was In The Hospital And His Lookalike Campaigned – Amar Ujala Hindi News Live

Flash Back: ..when the candidate was in the hospital and his lookalike campaigned

वाकया आज से 30 साल से ज्यादा पुराना है…
– फोटो : अमर उजाला

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संसदीय चुनाव 1991 में प्रचार अपने चरम पर था। भाजपा से ताराचंद खंडेलवाल चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ रह थे। प्रचार की भागदौड़, अनियमित हुई दिनचर्या के बीच एक दिन ऐसा हुआ कि प्रचार के बीच में ही खंडेलवाल को दिल का दौरा आ गया। इससे हालत बेहद खराब हो गई। आनन-फानन में उन्हें दक्षिणी दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। 

अफवाह उड़ी कि प्रत्याशी तो दिखाई ही नहीं दे रहे हैं तो घर-घर प्रचार कैसे होगा। कार्यकर्ता निराश होने लगे। कोर टीम के बीच भी चर्चा हुई। सबका यही मानना था कि अगर यूं ही चलता रहा तो चुनाव हार जाएंगे। अब क्या किया जाए। इस बीच एक कार्यकर्ता वासुदेव दिखा। वासुदेव की शक्ल व कद-काठी ताराचंद खंडेलवाल से मिलती थी। इससे सभी में खुशी की लहर दौड़ गई। वासुदेव को फूल-मालाओं से लाद दिया गया। लिबास भी खंडेलवाल की तरह ही पहनाया गया। 

थोड़ा-थोड़ा खंडेलवाल की तरह बातचीत का सलीका भी सिखाया गया। इसके बाद मतदाताओं के बीच गए। मजे की बात यह कि मतदाताओं को तनिक भी पता नहीं चल पा रहा था कि वह खंडेलवाल नहीं है। चुनाव वाले दिन विपक्ष ने जोरदार खबर फैलाई कि खंडेलवाल तो चुनाव प्रचार में है ही नहीं। अब बात हाथ से निकलती दिखी, तब चुनाव प्रभारियों ने अस्पताल से खंडेलवाल को छुट्टी दिलवाई और पोलिंग बूथ ले जाया गया। 

इस सबका नतीजा यह रहा कि चांदनी चौक से पहली बार भाजपा ने विजय हासिल की। खंडेलवाल सिटिजन काउंसिल दिल्ली जैसे समाजसेवी संगठन के संस्थापक थे। पटेल चौक पर वह बराबर सरदार पटेल की जयंती मनाते थे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति भी शिरकत करते थे।

(आपातकाल के विरोध में महज 17 साल की उम्र में जेल में रहे धर्मवीर शर्मा से बातचीत पर आधारित।)

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