EPF claim rejections Key reasons and how to avoid them | इनकंप्लीट डॉक्यूमेंट्स से लेकर आधार-UAN लिंकेज हैं वजह, जानें क्लेम रिजेक्शन से बचने के उपाय

नई दिल्ली6 घंटे पहले

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एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) सब्सक्राइबर्स को कुछ परिस्थितियों में प्रोविडेंट फंड कॉरपस यानी भविष्य निधि कोष से पार्शियल विड्रॉल या एडवांस निकालने की अनुमति देती है। EPFO एक नोडल एजेंसी है, जो एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड (EPF) कंट्रीब्यूशन को मॉनिटर करती है।

पार्शियल विड्रॉल करने पर सब्सक्राइबर्स के बैंक अकाउंट्स में पैसा जमा होने में 10 दिन तक का समय लगता है। कई बार सब्सक्राइबर्स के क्लेम्स रिजेक्ट भी कर दिए जाते हैं। EPFO ने हाल ही में अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो के जरिए क्लेम्स के रिजेक्शन के कारणों को शेयर किया है।

EPF क्लेम रिजेक्शन के सामान्य कारण

इंफॉर्मेशन डिफरेंस (जानकारी में अंतर): सबमिट किए गए क्लेम की डीटेल्स और EPFO रिकॉर्ड्स के बीच अगर अंतर पाया जाता है, तो यह क्लेम रिजेक्शन का एक महत्वपूर्ण कारण है। नाम, किसी ऑर्गेनाइजेशन में शामिल होने और छोड़ने की तारीख, बैंक अकाउंट की डीटेल्स, KYC रिकॉर्ड्स और डेट ऑफ बर्थ जैसी पर्सनल इंफॉर्मेशन में एलाइनमेंट करना जरूरी है।

इनकंप्लीट डॉक्यूमेंटेशन (अधूरे दस्तावेज): क्लेम्स के लिए कुछ सेल्फ-डिक्लेरेशन फॉर्म्स में आवश्यक शर्तें हैं। रिजेक्शन से बचने के लिए जमा करने से पहले इन फॉर्म्स को रिव्यू करना जरूरी है।

नेम मिसमैच: EPF रिकॉर्ड और Aadhaar डीटेल्स में डिफरेंस यानी अंतर होने पर उसके सुधार के लिए क्लेम के साथ एक जॉइंट डिक्लेरेशन सबमिट करना होता है।

बैंक अकाउंट डीटेल्स अपडेट: EPFO पोर्टल पर बैंक अकाउंट नंबर्स और IFSC कोड अपडेट करने में विफल होने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। सक्सेसफुल सेटलमेंट के लिए बैंक डीटेल्स की एक्यूरेसी को वेरीफाई और इंश्योर करना जरूरी है।

मेंबर इंफॉर्मेशन एक्यूरेसी: EPF रिकॉर्ड्स की तुलना में मेंबर डीटेल्स में किसी भी अंतर को वेरीफाई और करेक्ट करना क्लेम रिजेक्शन को रोकने के लिए आवश्यक है।

सिग्नेचर क्लेरिटी एंड डॉक्यूमेंट क्वालिटी: ऑनलाइन क्लेम के दौरान मेंबर के सिग्नेचर और लेजिबल चेक की कॉपीज का क्लियर होना जरूरी है। सिग्नेचर और चेक की कॉपीज अनक्लियर होने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

इनकंप्लीट KYC रिक्वायरमेंट्स: इनकंप्लीट और अनवेरीफाई KYC डीटेल्स होने के कारण भी क्लेम रिजेक्ट हो जाता है। KYC डीटेल्स को कंप्लीट और वेरीफाई करना जरूरी होता है।

Aadhaar एंड UAN लिंकेज: आधार को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के साथ वेरीफाई और लिंक करना जरूरी है। UAN और आधार लिंक नहीं होने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

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