
Defence
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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भारतीय सेना के लिए विभिन्न तरह की ड्रैस और पैराशूट तैयार करने का ऑर्डर, अब टीसीएल के तहत चार आयुध कारखानों को मिलेगा। पहले इन कारखानों के पास महज 89 करोड़ रुपये का वर्क लोड था। पर्याप्त वर्क लोड न होने के कारण इन कारखानों पर ताला लटकने की नौबत आ गई थी। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने इस संबंध में रक्षा मंत्रालय से आग्रह किया था कि इन कारखानों को पर्याप्त वर्क लोड मुहैया कराया जाए। इस बाबत विभिन्न स्तरों पर पत्राचार भी हुआ था। भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महासचिव एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य, मुकेश सिंह का कहना है कि इस बाबत पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया था। दूसरी तरफ एआईडीईएफ के महासचिव, श्रीकुमार का दावा है कि टीसीएल को दोबारा से नियमित वर्क लोड मिलना, उनके संगठन की एक बड़ी जीत है।
मुकेश सिंह ने बताया, बीपीएमएस सहित विभिन्न संगठनों ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से रक्षा मंत्रालय के समक्ष रखा था। टीसीएल के पास केवल 89 करोड़ रुपये का काम बचा था। अब यह तय किया गया है कि नोमिनेशन आधार पर 800 करोड़ रुपये का काम, हर साल मिलेगा। यह प्रक्रिया पांच साल तक जारी रहेगी। गत वर्ष अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने कहा था कि आयुध कारखानों से जानबूझकर काम छीना जा रहा है। आर्मी, एयरफोर्स और नेवी ने अपने जवानों के लिए कॉम्बैट यूनिफॉर्म सहित अन्य वस्तुएं खरीदने का जो टेंडर जारी किया था, उसमें ऐसी शर्तें लगाई थीं, जिससे आयुध कारखानें, उस प्रक्रिया में भाग ही न ले सकें। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस संबंध में गत वर्ष 13 और 14 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा था। उसमें कहा गया था कि अभी तक इन वस्तुओं की सप्लाई, आयुध कारखानों द्वारा ही होती रही है। आयुध कारखानों द्वारा तैयार ड्रैस एवं दूसरी वस्तुओं की गुणवत्ता और समय पर सप्लाई, इसके लिए सेना द्वारा कई अवसरों पर प्रशंसा भी की गई है।
आयुध कारखानों को दरकिनार करने का प्रयास
सी. श्रीकुमार का कहना था कि दो वर्ष पहले भारतीय सेना ने 11,70,159 कॉम्बैट आर्मी यूनिफॉर्म ‘डिजिटल प्रिंट’ की खरीद के लिए प्रतिबंधित शर्तों को लागू किया गया था। यह सब इसलिए किया गया, ताकि टीसीएल के अंतर्गत चार आयुध कारखानों को कार्यभार न मिल सके। एआईडीईएफ ने इस संबंध में भी रक्षा मंत्री को पत्र लिखा था। गत वर्ष भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना ने अपने कर्मियों के लिए ड्रेस आइटम की खरीद की निविदा जारी की थी। इसमें भी आयुध कारखानों को दरकिनार करने का प्रयास किया गया। इस घटनाक्रम से हैरान अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने रक्षा मंत्री को भेजे अपने विरोध पत्र में कहा था कि इससे पहले भी टीसीएल के तहत 4 आयुध कारखानों के प्रति सौतेला व्यवहार किया गया था। दशकों से जब आयुध कारखानें ही इन वस्तुओं का निर्माण करते रहे हैं, तो अब निगमीकरण के बाद सेना की वर्दी, टेंट, बूट और अन्य विशेष उपकरणों सहित सभी प्रकार के ट्रूप कम्फर्ट आइटम का ऑर्डर, प्राइवेट कंपनियों को क्यों दिया जा रहा है। आयुध कारख़ानों का निगमीकरण होने के बाद यह भरोसा दिया गया था कि आयुध कारखानें को पूरा वर्क लोड मिलेगा। सरकार ने टीसीएल के तहत 4 आयुध कारखानों को पूर्ण कार्यभार प्रदान नहीं कर, अपनी उस प्रतिबद्धता का घोर उल्लंघन किया है। निगमीकरण के बाद, आयुध कारखानों को कार्यभार प्रदान करने और वित्तीय एवं गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करने के मामले में रक्षा मंत्रालय की ओर से हाथ थामा जा रहा है।