दशकों से, चिप निर्माता अधिक कॉम्पैक्ट उत्पाद बनाने की मांग कर रहे हैं. छोटे ट्रांजिस्टर के परिणामस्वरूप ऊर्जा की खपत कम होती है और प्रसंस्करण गति तेज होती है, जिससे माइक्रोचिप के प्रदर्शन में व्यापक सुधार होता है. मूर का नियम – यह अपेक्षा कि माइक्रोचिप पर ट्रांजिस्टर की संख्या हर दो साल में दोगुनी हो जाती है – नीदरलैंड और अमेरिका में डिज़ाइन किए गए और कोरिया और ताइवान में निर्मित चिप्स में मान्य है. इसलिए चीनी तकनीक वर्षों पीछे रह गई है. जहां दुनिया की सीमा 3-नैनोमीटर चिप्स पर पहुंच गई है, वहीं हुआवेई की घरेलू चिप 7 नैनोमीटर पर है. यह दूरी बनाए रखना आर्थिक और सुरक्षा कारणों से महत्वपूर्ण रहा है. सेमीकंडक्टर आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. वे दूरसंचार, रक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए महत्वपूर्ण हैं. ‘‘अमेरिका में निर्मित’’ सेमीकंडक्टर के लिए अमेरिका का जोर इस प्रणालीगत महत्व से जुड़ा है. चिप की कमी ने वैश्विक उत्पादन पर कहर बरपाया है क्योंकि वे समकालीन जीवन को परिभाषित करने वाले कई उत्पादों को शक्ति प्रदान करते हैं. आज की सैन्य शक्ति भी सीधे तौर पर चिप्स पर निर्भर है। वास्तव में, सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ के अनुसार, ‘‘सभी प्रमुख अमेरिकी रक्षा प्रणालियाँ और प्लेटफ़ॉर्म सेमीकंडक्टरों पर निर्भर हैं.’’ चीन में बनने वाले चिप्स पर भरोसा करने की संभावना – और इससे आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभाव – वाशिंगटन और उसके सहयोगियों के लिए अस्वीकार्य है.