Cancer Report | आखिर क्यों अंतिम स्टेज में होती हैं कैंसर की पहचान, भारत में घटने लगी हैं मरीजों के बचने की दर

Cancer Report, World Cancer Day 2024

कैंसर की पहचान ( डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल टीम : हाल ही में विश्व कैंसर दिवस 2024 (World Cancer Day 2024) मनाया गया हैं जो कैंसर के प्रति जागरूकता ( Cancer Awareness) दर्शाने के लिए एक खास दिवस में से एक होता है। इस दिवस पर सामने आई भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR)रिपोर्ट से खुलासा हुआ है अक्सर कैंसर की पहचान व्यक्ति के शरीर में सभी अंगों तक फैल जाने पर होती है। इसके बाद कैंसर का इलाज कराना एक चुनौती बताया है।

कैंसर की वजह -जागरूकता की कमी

आईसीएमआर की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने खुलासा करते हुए बताया कि कैंसर के पीड़ित को प्रभावित करने का असल कारण जागरूकता की कमी होती है। इस वजह से रोगियों में जीवित रहने की दर में गिरावट आती है। भारत में कैंसर का इलाज जितना संभव है उतना ही इसका बोझ भी हैं। कैंसर के इलाज में 20 वर्षों से अब तक जीवित दर में किसी प्रकार का सुधार नहीं आया है। कैंसर को लेकर किए गए शोध में देश भर के 7,757 अस्पतालों, नर्सिंग होम क्लीनिक में दर्ज कैंसर के रोगियों को शामिल किया गया। इस शोध में कैंसर के नए मामलों की वजह, इलाज का तरीका, नए पैटर्न पर बात की गई।

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भारत में क्या हैं कैंसर की स्थिति

भारत में कैंसर की स्थिति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)की रिपोर्ट की मानें, कैंसर के  14 लाख 13 हजार 316 नए मामले दर्ज किए गए। इसमें साल 2022 के आंकड़ों की बात की जाए तो, इसमें पुरूषों के मुकाबले, महिलाओं में सबसे ज्यादा कैंसर के मामले मिल रहे है। यहां पर क्रमश: भारत में 691,178 पुरुषों को कैंसर हुआ है वहीं 722,138 महिलाएं कैंसर की चपेट में आ रही है। आंकडे़ कहते हैं कि महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। 

महिलाओं और पुरूषों में कितने बढ़ें मामले

रिपोर्ट के अनुसार भारत में 192,020 नए मामलों के साथ ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों का अनुपात सबसे ज्यादा है। इसके अलावा महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर ( गर्भाशय ग्रीवा) के सबसे ज्यादा 127,526 नए मामले देखें गए हैं।पुरूषों में कैंसर के मामलों में मुंह का कैंसर और लंग कैंसर के मामले देखने के लिए मिले है। इसमें रिपोर्ट के अनुसार होंठ और ओरल कैविटी के 143,759 नए मामले आए जो कि कुल मरीजों का 10.2 प्रतिशत है। इसके अलावा भारत में लंग कैंसर यानी फेफड़ों के कैंसर के 81,748 मामले आए जो कि कुल मामलों का 5.8 प्रतिशत है और ग्रासनली कैंसर के 70,637 नए मामले पाए गए जो कि 5.5 प्रतिशत है।  

जीवित रहने की कम संभावना 

यहां पर रिपोर्ट में इतना भी कहा गया कैंसर की स्टेज के हिसाब से मरीजों में जीवित रहने की संभावना कम या ज्यादा रहती है। पहले स्टेज में 60 फीसदी के ऊपर तो वहीं पर दूसरी स्टेज में 50 फीसदी वहीं पर अंतिम स्टेज में 18 फीसदी हो जाती है। 

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