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न्यूयॉर्क6 मिनट पहले
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खुद चुनौती से जूझे, सैकड़ों घंटे की स्टडी… तब तैयार कर पाए क्लाइंट्स के लिए रणनीति
वर्जीनिया की रियल एस्टेट एजेंट करेन शिरो को लग रहा था कि वे ‘बर्नआउट’ का शिकार हैं, पर उन्हें निपटने का तरीका नहीं सूझ रहा था। इसके बाद उन्होंने चर्चित बर्नआउट कोच एलिन शिंके से संपर्क किया।
छह महीने वीकली वीडियो कॉल और बातचीत में करेन ने ओवरलोडेड टू-डू लिस्ट घटाई। कुछ छोटे बदलाव किए-जैसे ईमेल सिग्नेचर में लिखा- मैं शाम 6 बजे के बाद रिप्लाई नहीं कर सकूंगी…करेन कहती हैं यय बेवकूफी भरा लगता था, पर इस तालमेल को ठीक करने के लिए बाहरी व्यक्ति के दृष्टिकोण की जरूरत थी…
करेन अकेली नहीं हैं, बड़ी संख्या में लोग वर्कप्लेस बर्नआउट (थकान) का शिकार होते हैं। इससे बर्नआउट कोच की मदद लेने का ट्रेंड भी बढ़ा है। बर्नआउट कोच रिया बैचेल्डर कहती हैं, ‘मैंने इस विषय पर रिसर्च में सैकड़ों घंटे बिताए। तब जाकर लोगों की मदद कर पा रही हूं।’
बर्नआउट पर स्टडी करने वाले प्रो. माइकल लीटर कहते हैं, प्रेशर-कुकर कॉर्पोरेट कल्चर, मानसिक सेहत से जुड़े संसाधनों की कमी और महामारी ने बर्नआउट कोच की मांग बढ़ा दी है। जो इनसे निपटने के इनोवेटिव तरीकों की तलाश कर रहे हैं।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के सालाना सर्वे में पता चला है कि देश के 77% कर्मचारी काम से संबंधित तनाव अनुभव करते हैं। बर्नआउट कोच कहते हैं कि वे डॉक्टर्स की जगह नहीं ले रहे, बल्कि एक अलग तरह का समर्थन देते हैं। इनके क्लाइंट्स कहते हैं कि बर्नआउट कोच उनके कार्यस्थल की चुनौतियों को हल करने में मददगार साबित होते हैं।
बर्नआउट कोच का एक सेशन 45 से 60 मिनट का होता है। एक सेशन की फीस 20 हजार रुपए से शुरू होती है, पैकेज हजारों डॉलर्स में होते हैं। ज्यादातर कोच इस चुनौती को झेल चुके हैं, इसलिए क्लाइंट्स की समस्या को बेहतर तरीके से हल कर पाते हैं। जैसे बैचेल्डर ने बर्न आउट के चलते कॉर्पोरेट लॉ का करियर छोड़ दिया।
वे कहती हैं,‘मैंने खुद की मदद के लिए स्टडी की। ब्रीदिंग एक्सरसाइज, सीमाएं व रूटीन तय करने जैसे स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक सीखने से उन्हें क्लाइंट्स की मदद के लिए इनसाइट मिला।
खराब नींद के पैटर्न और वर्कआउट में कमी की भी जांच करते हैं कोच
अमेरिका की पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में बर्नआउट एक्सपर्ट प्रो. क्रिस बिटिंगर कहते हैं, इस कोचिंग से हम लोगों को उनकी प्राथमिकता समझने व समय के बेहतर प्रबंधन में मदद करते हंै। इससे वे ऐसी गतिविधियों पर फोकस कर पाते हैं जो संतुष्टि लाने के साथ तनाव घटाती हैं।
कोच व्यावहारिक लक्ष्य तय करने में मदद करते हैं। नियमित सेशन जवाबदेही के लिए रोडमैप बनाते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि क्लाइंट रिकवरी को लेकर प्रतिबद्ध रहें और पुरानी आदतें दोबारा न अपना लें। वे बर्नआउट की वजह तलाशने के लिए खराब नींद के पैटर्न, कम पोषण, वर्कआउट की कमी या खुद की उपेक्षा करने जैसी आदतों की जांच करते हैं।