
जीतनराम मांझी कर रहे हैं ‘खेला’।
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पिछले साल जून में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों का महाजुटान होने वाला था, ऐन वक्त पर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर (हम-से) के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। तब नीतीश ने मांझी, उनके बेटे और उनकी पार्टी के बाकी नेताओं से भितरघात की आशंका जताई थी, जबकि जवाब मिला था कि मुख्यमंत्री हम-से का जदयू में विलय चाहते थे। इस बीच, मांझी-नीतीश के बीच सदन में हुई तू-तू मैं-मैं का वीडियो भी खूब वायरल हुआ। अब, फिर परिस्थितयां बदलीं और नीतीश कुमार ने खुद वापस 2020 के जनादेश का हवाला देकर भारतीय जनता पार्टी के साथ वापसी कर ली। मांझी के बेटे फिर नीतीश मंत्रिमंडल में हैं। लेकिन, इस बीच वह एक और मंत्री पद की मांग के साथ धमका भी चुके हैं। और, अब यह सामने आ रहा है कि मांझी ने कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी से बात की है।
बाद में माना कि ऑफर था, उसी तरह कहीं…
जीतन राम मांझी ने राज्य में 28 जनवरी को नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार बनने तक एक बार भी नहीं स्वीकार किया कि उनके पास कोई ऑफर था। वह और उनके बेटे साफ-साफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ नजर आए। सरकार के दो-तीन दिन भी नहीं गुजरे कि मांझी ने दबाव की राजनीति शुरू करते हुए कहा- “मुझे उधर से मुख्यमंत्री पद का भी ऑफर था, लेकिन मैंने राजग और पीएम मोदी में आस्था रखी।” मांझी को यह ऑफर था या नहीं, यह बात पहले नहीं आयी थी। हां, यह जरूर आया था कि उनके बेटे को डिप्टी सीएम का ऑफर है। यह ऑफर क्यों हो सकता है, यह सबसे पहले ‘अमर उजाला‘ ने बताया था कि जिस दिन रोहिणी आचार्या ने सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी की और फिर हटाया, उसी दिन राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की गणित में लग गए थे। उसी गणित में चार विधायकों वाले हम-से का समर्थन हासिल करने के लिए यह ऑफर दिए जाने की बात आयी। अभी न तो मांझी और न उनकी पार्टी का कोई यह स्वीकार कर रहा कि वह महागठबंधन के संपर्क में है, लेकिन बाद में ऐसा हो तो अचरज नहीं।
जीतन राम मांझी-राहुल गांधी में क्या बात हुई
कांग्रेस के राज्यस्तरीय दो नेताओं ने ‘अमर उजाला‘ को बताया- “संभवत: जीतन राम मांझी ने राहुल गांधी को कॉल किया था।” फिज़ा में चल रही बातों को कांग्रेस के नेता सामने आकर पुष्ट नहीं कर रहे, लेकिन वह इसे गलत भी नहीं बता रहे। दूसरी तरफ मांझी ऐसा कुछ नहीं होने की बात कह रहे। ऐसे में कांग्रेस के नेताओं ने ही बात आगे बढ़ाते हुए बताया कि 12 फरवरी को कुछ खेला जरूर होगा, इंतजार कीजिए। हम अपने विधायक को अपने साथ रख रहे हैं। तेजस्वी यादव चुप हैं, इसका मतलब तो वह समय पर ही बताएंगे। जहां तक संख्याबल की बात है तो इसी पर राहुल-मांझी की बात हुई होगी। बताया जा रहा है कि मांझी ने कहा है कि जदयू के कुल लोग नीतीश कुमार के ताजा फैसले से नाखुश हैं और टूट सकते हैं। ऐसा कुछ पक्के तौर पर हो गया तो वह सामने आ जाएंगे। लेकिन, सबसे ज्यादा कांग्रेस के अंदर चल रही मांझी-राहुल वार्ता को नकारने की वजह भी है। मांझी के बेटे मंत्री हैं। मांझी को खुद भी राजग से कुछ बड़ा गिफ्ट मिलने का इंतजार है। इंडी एलायंस की हालत ऐसी नहीं दिख रही कि वह बिहार में चमत्कार करने की स्थिति में है। यानी, परिस्थितयां कम और चर्चा ज्यादा हैं। सच्चाई का पता अब 12 फरवरी को चलेगा। कहीं ऐसा न हो कि जिस तरह 28 जनवरी को जुगाड़ नहीं लगा, उसी तरह 12 फरवरी को भी कुछ न हो।