B.Tech के बाद मिला U.S में नौकरी का शानदार ऑफर…लेकिन बचपन की जिद ने बनाया IPS

नरेश पारीक/चूरू : कहते हैं न कि हर सफलता की कोई न कोई कहानी होती है. ऐसे ही आईपीएस प्रवीण नायक नुनावत की कहानी रातोंरात सफल होने की कहानी नहीं है. बल्कि यह अटूट दृढ़ संकल्प और एक सपने के खोज से जुड़ी कहानी है. जिसमें एक साधारण परिवार के लड़के ने अपने मेहनत के बल पर फर्श से अर्श तक का सफर तय किया और साबित कर दिया की असफलता ही सफलता तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है.

हम बात कर रहे है तेलंगाना के करीमनगर निवासी आईपीएस प्रवीण नायक नुनावत की. जिन्होंने असफलताओं से हार नही मानी बल्कि खामियों को दूर कर गांव के पहले आईपीएस बनने का गौरव प्राप्त किया. प्रवीण नायक नुनावत जिनके आईपीएस बनने की कहानी जितनी दिलचस्प है उतनी ही कड़ा उनका संघर्ष है बचपन में स्कूल फंक्शन में आए आईपीएस से प्रभावित होकर अपने सपने को पूरा करने के लिए इन्होंने शिद्दत से मेहनत की.

आईपीएस प्रवीण नायक नुनावत बताते है वह एक मिडिल क्लॉस फैमिली से आते हैं. पापा बैंक में जॉब करते हैं, मां गृहणी हैं, दो भाई, बहनों का छोटा सा परिवार है. प्रवीण नायक नुनावत बताते है उन्होंने अपना लक्ष्य बचपन में स्कूल टाइम में ही निर्धारित कर लिया था कि उन्हें यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बनना है और अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इन्होंने उतनी ही शिद्दत से मेहनत की.

26 की उम्र में बने आईपीएस
महज 26 साल की उम्र में यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बनने वाले प्रवीण नायक नुनावत बताते है. स्कूल समय से ही वह एक अच्छे विद्यार्थी रहे हैं. 10वीं में 89% और 12वीं में 91% अंक उन्होंने हासिल किए थे और 12वीं के बाद उन्होंने भी अपने दोस्तों के साथ बीटेक कर यूएस जाने का मन बना लिया था और जॉब के अच्छे-अच्छे ऑफर भी आने लगे थे लेकिन मन में एक कसक थी और बचपन में देखे अपने सपने को सच करने का जुनून था और उसी जुनून और जोश के साथ उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम दिया लेकिन सफलता नही मिली.

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प्रवीण बताते है पहले ही प्रयास में मिली असफलता से घबराया लेकिन जिद्द और जुनून था कि कुछ तो कमी रही है और उसी दिन से अपनी कमियों को नॉट कर फिर से तैयारी शुरू की और दोबारा एग्जाम दिया जिसमें मैंन एग्जाम क्लियर किया लेकिन इंटरव्यू के लिए कॉल नही आया. प्रवीण बताते हैं लगातार दो बार मिली असफलता के बाद भी स्वयं से अपना आत्ममंथन कर अपनी खामियों को तलाशना शुरू किया और उनको सुधार फिर से एग्जाम दिया और सफलता हासिल की.

सफलता का कोई शॉर्ट कट नही
आईपीएस प्रवीण नायक नुनावत कहते है आज की युवा पीढ़ी शॉर्ट कट ढूंढ़ती है लेकिन सफलता का कोई शॉर्ट कट नही होता है उसे कड़ी मेहनत के बल पर ही पाया जा सकता है. प्रवीण नायक नुनावत कहते है एग्जाम समय मे उन्होंने 9 से 10 घंटे तक एकाग्रता से स्टडी की. उन्होंने कहा बड़े एग्जाम क्लियर करने के लिए जरूरी है कि बच्चों को अपने अगले दिन का टारगेट फिक्स होना चाहिए कि कल कितने घंटे स्टडी करनी है कौन से टॉपिक पढ़ने है और क्या क्लियर करना है. आईपीएस प्रवीण नायक इस समय चूरू में तैनात हैं.

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