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दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 300 सरकारी कर्मचारी 13 हजार परिवारों को खोजकर उनके आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) बनाएंगे। लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनाने में पिछड़ने पर डीएम की सख्ती के बाद यह योजना तैयार की गई है। इसके लिए स्वास्थ्य और जिला आपूर्ति विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे।
आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) के तहत जिले में 1.66 लाख परिवार हैं। इनमें से हाल ही में योजना में शामिल किए गए लगभग 64 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनमें 6 या उससे ज्यादा सदस्य हैं। नए जुड़े परिवारों में 13,200 परिवार ऐसे हैं, जिन तक स्वास्थ्य विभाग पहुंच ही नहीं पाया है। विकसित भारत संकल्प यात्रा और अन्य अभियानों के तहत भी स्वास्थ्य विभाग उन परिवारों के किसी एक सदस्य का भी पता नहीं लगा सका है।
इस संबंध में तीन दिन पहले डीएम ने समीक्षा के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बाबू स्तर के सभी कर्मचारियों को लाभार्थियों को फोन करके उनकी लोकेशन पता करने और परिवार के सभी सदस्यों के गोल्डन कार्ड बनाने का अभियान शुरू किया, लेकिन उसमें भी कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आपूर्ति विभाग के साथ मिलकर ऐसे लाभार्थियों को खोजने की योजना बनाई है।
17वें पायदान पर पहुंचा जिला
आयुष्मान योजना में नए परिवारों को जोड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनाने की रफ्तार खासी तेज थी। जिसके चलते महज एक महीने में ही गोल्डन कार्ड बनाने के मामले में गाजियाबाद सूबे में पहले स्थान पर पहुंच गया था। इसके बाद विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी, जिसके चलते गाजियाबाद पहले स्थान से फिसलकर 17वें पायदान पर पहुंच गया है। इस मामले को लेकर शासन स्तर से भी अधिकारियों को फटकार लगाई गई है।
-डॉ. चरण सिंह, नोडल अधिकारी, आयुष्मान योजना, ”स्वास्थ्य विभाग के 150 कर्मचारी और आपूर्ति विभाग के 150 राशन डीलर मिलकर इन परिवारों को तलाश करेंगे। कार्ड के राशन ले रहे लोग अगर दूसरे पते पर रह रहे हैं तो उन्हें चिन्हित किया जाएगा।”