नवभारत डिजिटल डेस्क: मौजूदा समय में हर कोई किसी ना किसी तनाव से जूझ रहे हैं ऐसे में दवाईयों के सहारे के बिना राहत पाना मुश्किल ही है। ऐसे में इस परेशानी को दूर भगाने के लिए मध्यप्रदेश के सागर जिले (Sagar) में रहने वाले प्राकृतिक जैव कृषि विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ( Akash Chourasia)ने कारनामा कर दिखाया है। जहां पर एक ऐसा देसी एंटीबायोटिक तकिया ( Antibiotic Pillow)बनाया है जो माइग्रेन, तनाव और थकान से पल भर में राहत देता है।
जानिए कैसे तैयार किया ये तकिया
सागर जिले के विशेषज्ञ आकाश इस तकिया को लेकर बताते हैं, यह हल्दी की फसल के कचरे से तैयार किया हुआ देसी तकिया है। इसे हल्दी के बेकार बचे पत्तों से तैयार किया गया है जिसे अगर कोई उपयोग में लेता है तो उसे एक बार में 6-8 महीने के लिए आराम मिलेगा। इसे तकिये को खरीदने के लिए आपको 500 रूपए तक खर्च करने पड़ सकते है। इसे बनाने में किसानों के अलावा महिलाओं को रोजगार दिया गया है। इन तकिये को बनाने के लिए हल्दी की पत्तियों को लेकर भी ध्यान रखा जाता है। यह पत्तियां 100 फीसदी सूखी होना जरूरी है। इनके पत्तों को छाया में सुखाकर 20 प्रतिशत रूई के साथ या 100 प्रतिशत नरम पत्तियों के साथ 1.5 बाई 1 फीट के खोल में भर देते हैं और उसकी सिलाई कर देते हैं।
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हल्दी की पत्तियां होती हैं आयुर्वेदिक
सेहत के लिए हल्दी की पत्तियां आयुर्वेद में औषधिय गुणों से भरपूर मानी जाती है। इसे लेकर विशेषज्ञ कहते हैं, एक एकड़ में उगी हल्दी के पत्तों से औसतन 200 तकियों का निर्माण किया जाता है। इसमें इनकी लागत के साथ आय के मिलने की बात की जाए तो, आय के रूप में लगभग एक लाख रूपए के होते है। वहीं सभी खर्चों को हटाकर आमदनी की बात की जाए तो, 60 हजार रूपए तक की कमाई हो जाती है। एंटीबायोटिक तकिए ये लोगों को आराम होते है इसलिए महाराष्ट्र, दिल्ली, हैदराबाद में इसकी काफी मांग है।