दीपक कुमार/बांका:- शुरूआत कहीं से और कोई भी कर सकता है, जिसका उदाहरण बांका की रहने वाली जमन ने पेश किया है. उन्होंने महिला रेडीमेड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई हुई है, जिसने कई लोगों को रोजगार भी दिया है. लेकिन इनकी शुरुवात की कहानी काफी दिलचस्प है. जमन बताती हैं कि शादी के बाद घर में अकेले होने की वजह से उनका मन नहीं लग रहा था, तो उन्होंने महिला रेडीमेड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा ली. इससे उन्हें 7 लाख से अधिक की कमाई होती है. अब वो समाज के लिए उदाहरण बन गई हैं.
जानिए इनकी शुरूवात की कहानी
जमन बताती हैं कि उन्होंने दिल्ली से बायोटेक किया है, जिसके लिए दिल्ली में ही रहना होता था. शादी के बाद वो ससुराल आ गई. ससुराल में घर का काम खत्म करने के बाद खाली समय में उनका मन नहीं लगता था, जिसको लेकर उन्हें लगा कि क्यों ना कोई रोजगार शुरू किया जाए. इससे खुद के साथ दूसरों को भी रोजगार मिल सके. इसी दौरान उन्हें पता चला कि महिला उद्यमी योजना के तहत महिलाओं को फैक्ट्री यूनिट बनाने के लिए सरकार अनुदान दे रही है. इसके तहत उन्होंने उद्योग विभाग से संपर्क किया, तो उद्योग विभाग से 10 लाख रुपए की अनुदानित राशि मिली. इसके बाद उन्होंने बाबा मार्केट में ही महिला रेडीमेड गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग का उद्योग खोल दिया, जिसमें करीब 8 लोगों को रोजगार भी दे रही हैं.
डिजाइनर सूट के अलावा मिलता है यह सब
जमन बताती हैं कि हमारे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट पर सस्ती कीमत पर डिजाइनर सूट के साथ लैगी, कुर्ती, स्कूल ड्रेस और नए-नए लुक में लड़कियों के लिए हर प्रकार के कपड़े उपलब्ध हैं. आपको बता दें कि हमारे यहां कम से कम डिजाइनर ड्रेस 125 रुपए से आपको मिल सकते हैं और अधिक से अधिक 1200 रुपए तक के कपड़े आपको मिलेंगे. हमारी सिस्टर फैशन डिजाइनिंग का काम करती हैं, जिसके नेतृत्व में हमारे यहां नए-नए डिजाइन उपलब्ध हैं. हमने दो मशीन से शुरुआत इसकी शुरूआत की थी और अब हमारे पास करीबन 10 मशीन हैं. वर्तमान में हमारे यहां 8 लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिनकी मासिक आय 12000 रुपए से 15000 रुपए तक है.
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कहां से लाते हैं फैब्रिक
हमारे यहां अच्छी क्वालिटी की फैब्रिक से रेडीमेड कपड़ों का निर्माण किया जाता है, जिसकी कोलकाता, दिल्ली और सूरत से खरीदारी की जाती है. यह देखने में अच्छा और बेहतरीन होता है. जमन बताती हैं कि 2022 से वो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चला रही हैं, जिसकी प्रोडक्ट को लोकल बाजार के साथ-साथ राज्य स्तरीय बाजार में भी काफी डिमांड रहती है. ज्यादातर बने यूनिट को राज्य स्तरीय बाजार में ही बेचा जाता है, जिससे सालाना 7 लाख से अधिक की कमाई होती है.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 11:19 IST