नवभारत डिजिटल टीम: देश में टीबी की समस्या एक गंभीर समस्या बनकर उभरी हैं जहां पर पहले फेफड़ों में टीबी होती थी वहीं पर अब पेट में टीबी यानि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्यूबरक्लोसिस (Gastrointestinal Tuberculosis)होने की संभावना सामने आई है। टीबी की समस्या इंसान के शरीर में किसी भी अंग को नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन पेट में टीबी होने के मामले देश में ज्यादा मिल रहे है।
पेट में कैसे होती हैं टीबी
इस समस्या को लेकर सीनियर फिजीशियन डॉ. समीर कहते है, “पेट की टीबी पेट के पेरिटोनियम और लिंफ में होती है। इस स्थिति में माइकोबैक्टीरियम भी ट्यूबरक्लोसिस से संक्रमित हो जाता है, जिसकी वजह से गंभीर स्थितियों का खतरा रहता है।” हमारे देश में आंत और पेट में होने वाली टीबी के मरीज बहुत ज्यादा हैं।
बताया जाता है माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया का संक्रमण अगर आपके पेट में पहुंच जाता हैं तो टीबी की बीमारी हो जाती है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के खांसने और थूकने की वजह से हवा में ड्रॉपलेट्स के पहुंचने पर टीबी की बीमारी का खतरा हो सकता है।
क्या होते पेट में टीबी के लक्षण
1- पेट के निचले हिस्से में दर्द
2- खाना खाने पर उल्टी होना
3- बार-बार दस्त का आना
4-मल के साथ खून का आना
5-फूड प्वाइजनिंग और पेट में अंपेडिक्स का दर्द होना।
कैसे संभव है पेट में टीबी का इलाज
यहां पर पेट में टीबी के लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से इलाज के लिए संपर्क करना चाहिए। यह बीमारी का इलाज कई महीनों तक चलता है जिसमें आमतौर पर मरीज को 6 महीनों के लिए कई तरह की दवाओं और एंटीबायोटिक्स का सेवन करने की सलाह देते है। यहां पर इलाज के लिए आमतौर पर अल्ट्रासाउंड के द्वारा टीबी की पहचान हो जाती है, लेकिन पेट के टीबी की पहचान अल्ट्रासाउंड से नहीं हो पाती है। एंडोस्कोपी और मोंटेक्स टेस्ट (स्किन टेस्ट) व ईएसआर के माध्यम से पेट की टीबी का पता लगाने में मदद मिलती है।