अभिनेता आमिर खान ने इस मौके पर कहा, ‘मैं चाहता हूं कि ऐसी जिंदगी जीऊं जिससे लोगों के चेहरे पर खुशी ला सकूं। अभी मेरी उम्र 59 साल हो गई है। मेरी यह सोच है कि अगले 10-12 साल तक सबसे ज्यादा काम करूं। पहले तीन साल में एक फिल्म करता था अब हर साल एक फिल्म में अभिनय करूंगा। इसके अलावा मैं अपने आप को ऐसा प्लेटफार्म बनाने की कोशिश करना चाहता हूं जहां नई प्रतिभाओं को मौका दे सकूं। जैसा ‘लापता लेडीज’ में दिया है। मैं साल में अब कम से कम आधा दर्जन फिल्मों का निर्माण करूंगा।’
आमिर खान की नजर मे सफलता और असफलता के अलग मायने हैं। वह कहते हैं, ‘फिल्में पैसे से नहीं बनती है। फिल्में प्यार और लोगों के सहयोग से बनती है। निर्माता, निर्देशक और कलाकार किसी फिल्म के प्रति पागल होते हैं तभी अच्छी फिल्म बनती है। मेरी कोशिश यही रहती है कि कोई फिल्म करूं तो उसमे आर्थिक रूप से किसी का नुकसान न हो। फिल्म चले या ना चले, वो अपने हाथ में नहीं होता है। इसलिए सफलता और असफलता को मैं गंभीरता से नहीं लेता हूं। अगर इसको गंभीरता से लेना शुरू कर दिया तो फिर अपना काम नहीं कर पाऊंगा।’
आमिर खान ने फिल्म ‘तारे जमीं पर’ का निर्देशन किया था और आगे भी वह फिल्म निर्देशन की इच्छा रखते हैं। वह कहते हैं, ‘मैं एक बार फिर निर्देशन करना चाहूंगा। उस समय मैं निर्देशन करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं था। स्थितियां ऐसी बन गई कि मुझे फिल्म का निर्देशन करना पड़ा। लेकिन, इस बार निर्देशन की विधिवत शुरुआत करूंगा तो अभिनय पूरी तरह से छोड़ दूंगा। क्योंकि अगर निर्देशन करूंगा तो अभिनय पर मेरा दिमाग नहीं जाएगा। ‘महाभारत’ भी बनाने की कोशिश करेंगे, इसके अलावा बहुत अच्छी कहानियां हैं, जिस पर काम करना है।’
इस मौके पर आमिर खान ने देश में बच्चों की फिल्मों की तरह ठीक से काम नहीं होने की बात भी कही। वह कहते हैं, ‘मैं बच्चों की फिल्में बनाना चाहता हूं। बच्चों के ऊपर हम बहुत कम फिल्में बनाते हैं। बच्चों की ज्यादातर फिल्में बाहर की ही देखते हैं। चाहे वो डिज्नी की फिल्में हो, मार्वल की या फिर टॉम जेरी हो। यह सब बाहर के कांसेप्ट हैं। हम बच्चों के लिए हिंदुस्तानी कहानियों पर फिल्में बनाना चाहते हैं।’