नहीं जलानी पड़ेगी पराली! शार्क टैंक में 1250 रुपए लगाई हिस्सेदारी, जजेस ने 100 करोड़ बता दी वैल्यूएशन

गौहर/दिल्ली:- आज के वक्त में भारत में पराली जलाने की वजह से होने वाला प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है. कई सालों से तमाम सरकारों से लेकर तमाम संस्थाएं इससे निपटने का तरीका ढूंढ रही हैं. कई प्रोजेक्ट पर काम भी किया जा रहा है. लेकिन इसी बीच शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन में एक ऐसा स्टार्टअप आया है, जिसने इससे निपटने का ऐसा सॉल्यूशन निकाला है. इससे जहां कई फायदे तो होंगे ही, वहीं वह इससे एक बड़ा बिजनेस भी खड़ा कर रहे हैं.

हम धरक्षा ईको-सॉल्यूशन्स (Dharaksha Ecosolutions) की बात कर रहे हैं, जो पराली जलने से होने वाले प्रदूषण को रोकने का काम कर रहा है और इस पराली से एक इनोवेटिव प्रोडक्ट बना रहा है. यह प्रोडक्ट थर्माकोल के इक्विवेलेंट हैं, जिसकी मदद से कॉस्मेटिक से लेकर कई तरह के गिफ्ट और इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज जैसी कई चीजें पैक हो सकती है. इस स्टार्टअप का मकसद थर्माकोल को रिप्लेस करना है. हम आपको बता दें कि धरक्षा की शुरुआत आनंद बोध और अर्पित धूपर नाम के दो दोस्तों ने नवंबर 2020 में मिलकर की थी.

कैसे बनता है यह प्रोडक्ट
आनंद ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने लैब में एक मशरूम स्ट्रेन डेवलप किया है. वह किसानों से पराली इकट्ठा करते हैं और उस पर मशरूम स्ट्रेन उगाया जाता है. इसके बाद जब मशरूम की रूट्स डेवलप हो जाती है, तो उसे एक सांचे में डाल दिया जाता है. इसे जिस भी सांचे में डाला जाता है, वैसा ही प्रोडक्ट बन जाता है. वह इस प्रोडक्ट से थर्माकोल को रिप्लेस तो कर ही रहे हैं, उसके साथ ही थर्माकोल से होने वाले प्रदूषण को भी रोक रहे हैं. उनके अनुसार प्लास्टिक तो फिर भी 500 साल तक पड़ा रहता है, लेकिन थर्माकोल उससे भी 4 गुना खतरनाक है, जो 2000 सालों तक जस का तस बना रहता है. वहीं दूसरी ओर इनका यह प्रोडक्ट जमीन में कुछ ही दिनों में बायोडीग्रेड हो जाता है.

थर्माकोल के बराबर कर देंगे कीमत
आनंद ने Local 18 को आगे बताया कि पैकेजिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रॉडक्ट्स की इंडस्ट्री 45 बिलीयन डॉलर्स की है. जिससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाले कुछ सालों में ही यह बिजनेस कितना बड़ा हो जाएगा. लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि इस वक्त इसकी कीमत पेपर और थर्माकोल से मैच करना थोड़ा मुश्किल है, जिस पर वह काम कर रहे हैं और आने वाले कुछ सालों में वो यह कीमत मैच कर लेंगे.

मिसाल देते हुए उन्होंने बताया कि अगर थर्माकोल का एक पीस 20 रुपए का है, तो यह प्रोडक्ट 50 रुपए का है और जैसे ही उनकी फैक्ट्री में मशीनों की पूरी तरह से ऑटोमेशन हो जाएगी, तो वह यह प्राइस भी मैच कर लेंगे. उनका कहना था कि इस प्रोडक्ट की डिमांड भी है और वह हर महीने 20,000 तक के प्रोडक्ट बनाकर बेच भी रहे हैं. जिससे वह हर महीने 5 लाख रुपए कमा रहे हैं और उनका पेंडिंग ऑर्डर 8 से 10 लाख रुपए तक जा रहा है.

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100 करोड़ बताई वैल्यूएशन
शार्क टैंक पर जाकर उन्होंने अपनी कंपनी की 1% इक्विटी महज 1,250 रुपए में देने का ऑफर रखा था. साथ ही उन्होंने शार्क से उसके बदले उनके 100 घंटे मांगे थे. जिस पर शार्क विनीता सिंह ने कह दिया था कि आपने अपनी कंपनी की वैल्यूएशन 100 करोड़ कैसे लगाई, जिस पर पहले तो सब हैरान हुए. लेकिन उसके बाद विनीता ने कहा कि किस शार्क का 1 घंटा 1 करोड़ के बराबर नहीं है. इस मुताबिक 100 घंटे के 100 करोड़ तो बनते हैं.

हालांकि यह डील फिर एक अलग तरह से फाइनल हुई. जिसमें हर शार्क उनकी कंपनी को कुल 10 घंटे अगले 3 महीनों में देगा, यानी हर शार्क अपने  2 घंटे देगा. उसके बाद जो भी क्लेम इन्होंने किए हैं, वह सही हैं और डेट यानी यह कर्ज जुटा लेते हैं, तो इनकी डिमांड के बाकी घंटे भी मिल जाएंगे. इसके बाद जो भी अगला राउंड होगा, उसमें शार्क को निवेश के लिए 20 फीसदी डिस्काउंट मिलेगा. जिसमें अमन गुप्ता, अनुपम मित्तल, विनीता सिंह, रितेश अग्रवाल और पीयूष बंसल शामिल रहेंगे.

Tags: Air pollution, Delhi news, Local18

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