आम चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के मौके पर देश में जैसा माहौल बना हुआ है, उससे 3 पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त व्यथित हैं। इनमें एसवाई कुरैशी सहित 2 अन्य का समावेश है। इनका कहना है कि हाल के दिनों में जिस तरह से आईटी और ईडी ने विपक्षी दलों और उनके नेताओं पर कार्रवाई की है, उससे चुनाव में गैरबराबरी पैदा हुई है। सभी पार्टियों के लिए चुनाव मैदान एक सा सपाट नहीं है। इस समय ‘आप’ तथा दूसरी पार्टियों के कई बड़े नेता जेल में होने की वजह से चुनाव से दूर हैं।
एक तरफ तो सत्तारूढ़ बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए धुंआधार प्रचार कर रही है वहीं विपक्षी पार्टियों दूसरी समस्याओं से जूझती नजर आ रही हैं। कोई अपने नेता को बचाने में जुटा है तो किसी के सामने अपनी पार्टी को टूटने से बचाने की चुनौती है। कोई पार्टी अपना खाता फ्रीज किए जाने की वजह से कानूनी लड़ाई में उलझी हुई है। विपक्षी पार्टियां और उनके नेता लगातार केंद्रीय जांच एज्जेंसियों के निशाने पर आ रहे हैं। जाहिर है कि तीनों पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त वर्तमान चुनावी परिदृश्य से संतुष्ट नहीं हैं।
उन्हें लगता है कि सत्ताधारी बीजेपी ने जिस तरह विपक्षी पार्टियों को तोड़ा, उनके नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों को सक्रिय किया गया और गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, उससे चुनाव में गैरबराबरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उलझनों और दिक्कतों के अलावा विपक्ष आर्थिक तंगी भी झेल रहा है। तात्पर्य यह कि सत्ता की ताकत से बीजेपी ने अपना पलड़ा भारी कर लिया है।
जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसा मामला है। एसवाई कुरैशी ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग अपनी डिमांड को चुनाव खत्म होने तक रोक सकता था। इस तरह की कार्रवाइयां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में हस्तक्षेप हैं। इससे पार्टियों के समान अवसर प्रभावित हो रहे हैं। ऐसा होना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है कि चुनाव मैदान की बजाय विपक्ष जेल में है अथवा उसके आर्थिक साधनों को फ्रीज कर दिया गया है।