नवभारत डिजिटल डेस्क: अगर आपसे पूछा जाए की दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश (Most Populous Country) कौनसा है तो यकीनन आपके दिमाग में पहला नाम चीन (China) का ही आएगा लेकिन क्या आप जानते हैं की हमारा देश (India) इस रेस में भी सबसे आगे निकल गया है? अगर नहीं तो आपको ये जान कर हैरानी हो सकती है की साल 2024 की जनगणना रिपोर्ट (Census Report) के मुताबिक चाइना को पीछे छोड़ भारत ने इस लिस्ट में ऊपर दर्ज कर लिया है।
जिस तरह पॉपुलेशन कंट्रोल (Population Control) करने के लिए चीन की सरकार ने कई कदम उठाए थे उसी तरह अब भारत ने भी इस और पहल करना शुरू कर दी है। देश के कुछ राज्यों ने इस ओर कड़े कदम उठाने शुरू भी कर दिए है। वहीं राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने दो बच्चों के नियम पर एक बड़ा फैसला लिया है।
Our webinar, “Strategic Engagement for Family Planning and Population Issues” is starting in few minutes! In this webinar, we will launch our handbook, called ‘Strategic Engagement Handbook – A Guide to Effectively Engage Key Stakeholders to Prioritise Family Planning’. pic.twitter.com/yQFGEbfAs9
— Population Foundation of India (@PopFoundIndia) January 10, 2024
सुप्रीम कोर्ट का एक्शन
दरअसल, राजस्थान सरकार के दो बच्चों के नियम पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार करना गैर-भेदभावपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान के पीछे का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए भी इसी तरह के नियम को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये नियम पॉलिसी के दायरे में आता है, इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है।

20 फरवरी 2024 को जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने ये फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने 12 अक्टूबर, 2022 के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट की याचिका खारिज कर दी।
तो ये है मामला!
दरअसल, 31 जनवरी, 2017 को रक्षा सेवाओं से रिटायर के बाद, रामजी लाल जाट ने 25 मई, 2018 को राजस्थान पुलिस में राजस्थान पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन किया था। उनकी उम्मीदवारी को राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम 24(4) के तहत इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उनके 01 जून 2002 के बाद दो से अधिक बच्चे थे, इसलिए वह सरकारी रोजगार के लिए अयोग्य है।
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इन नियमों में कहा गया है कि कोई भी उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा, जिसके 01 जून 2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हों। पीठ ने कहा कि वर्गीकरण का फैसला, जो दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करता है वो गैर-भेदभावपूर्ण और संविधान के दायरे से बाहर है क्योंकि प्रावधान के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।