
सिपाही भर्ती परीक्षा।
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उत्तर प्रदेश में सिपाही भर्ती परीक्षा रद्द होने की खबर आज चर्चा में है। अब देखना होगा कि यूपी से पहले बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा दोबारा होती है या नहीं? पिछले साल अक्टूबर में परीक्षा शुरू हुई और तरह-तरह की धांधली का प्रमाण सामने आने के बाद तीन तारीख को केंद्रीय (सिपाही) चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष संजीव कुमार सिंघल ने हो चुकी परीक्षा को रद्द करने और बाकी पेपर को स्थगित करने का आदेश जारी किया। धांधली की जांच आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने शुरू किया और कहा गया कि खरमास खत्म होने तक रिपोर्ट आ जाए। जांच के दरम्यान कुछ ऐसा आया कि दिसंबर का अंत होने से पहले सिंघल से कमान छीनकर डीजी शोभा ओहटकर को दे दी गई। परीक्षा रद्द होने का आदेश आए 144 दिन गुजर चुका है और अब शोभा को काम संभाले हुए भी दो महीना होने को आया। परीक्षा की नई तारीख का इंतजार हो ही रहा है। एक तरह से सीएम नीतीश कुमार के दावे के पूरा होने का इंतजार लंबा खिंच रहा है।
नोटिफिकेशन दूर, अपना नाम भी नहीं अपडेट करा सकीं
शोभा ओहटकर के आने के बाद माना जा रहा था कि बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा की तारीख कभी भी आ सकती है। यह भी माना जा रहा था कि आर्थिक अपराध इकाई की जांच रिपोर्ट 15 जनवरी तक आने के बाद सिपाही भर्ती परीक्षा की नई तारीख जारी हो जाएगी। लेकिन, यह इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सिपाही भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवान धीरे-धीरे धैर्य खो रहे हैं। सुबह दौड़ लगाने से लेकर परीक्षा की तैयारी में दिन-रात खपाने वाले युवाओं ने अब इस परीक्षा की तारीख के लिए पता करना भी एक तरह से छोड़ दिया है। परीक्षा की तैयारी में जुटे नौजवानों ने कहा कि सिपाही भर्ती की नई तारीख का नोटिफिकेशन लाना तो दूर, शोभा ओहटकर अबतक केंद्रीय सिपाही चयन पर्षद की वेबसाइट (csbc.bih.nic.in) पर अध्यक्ष के रूप में सिंघल की जगह अपना नाम तक नहीं ठीक करा सकी हैं।
जनवरी के दूसरे हफ्ते तक ईओयू अपनी जांच रिपोर्ट देती
1988 बैच के सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी एसके सिंघल की रिटायरमेंट के समय ही किरकिरी हो रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अहम जिम्मेदारी दी। सिपाही चयन पर्षद की जिम्मेदारी उन्हें दिए जाने पर भी विवाद रहा। सोशल मीडिया पर सिंघल को खूब ट्रोल किया गया और निशाने पर बिहार के गृह विभाग के मंत्री, यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी रहे। इसके बावजूद वह पद पर कायम रहे। सिपाही भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई तो एक समय लगा कि वह मुख्यमंत्री की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। लेकिन, जैसे ही परीक्षा शुरू हुई तो हर तरह की गड़बड़ी सामने आने लगी। प्रश्नपत्र का हल तैयार होकर परीक्षा भवन में पहुंचा मिला। एक नहीं, कई जगह। दूसरे परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देने वाले भी पकड़े गए। इतनी तरह की गड़बड़ी सामने आयी, लेकिन केंद्रीय चयन पर्षद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने तत्काल एक्शन नहीं लिया। मामला आर्थिक अपराध शाखा के पास गया और अंतत: तीन अक्टूबर को बतौर अध्यक्ष सिंघल ने हो चुकी परीक्षा को रद्द करते हुए शेष परीक्षा को स्थगित करने का फैसला लिया। इसके बाद से आर्थिक अपराध इकाई की जांच चल रही है और माना जा रहा है कि इसी क्रम में कुछ विसंगतियों को देखते हुए सरकार ने यह कड़ा फैसला लिया है। जनवरी के दूसरे हफ्ते तक ईओयू अपनी जांच रिपोर्ट देती, इससे पहले सिंघल की छुट्टी कर दी गई।
‘हंटर वाली’ के रूप में लंबे समय तक चर्चित रहीं
1990 बैच की आईपीएस अधिकारी शोभा ओहटकर महानिदेशक के रूप में सेवा दे रही हैं। अपने कड़े स्वभाव के कारण वह ‘हंटर वाली’ के रूप में लंबे समय तक चर्चित रहीं। पिछले कुछ समय से उनकी चर्चा गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशाम सेवाएं के महासमादेष्टा के रूप में चर्चित आईपीएस अधिकारी विकास वैभव के साथ अभद्रता के कारण हो रही थी। सरकार के पास त्राहिमाम संदेश के बाद विकास वैभव को उनसे मुक्ति मिली तो आईपीएस अनुसूइया रणसिंह ने भी इसी तरह का आरोप लगाया। अनुसूइया मामले में ओहटकर भारी पड़ी, हालांकि विकास वैभव के मामले में उन्हें कुछ समय के लिए असहज भी होना पड़ा। असहजता के बावजूद नीतीश कुमार सरकार ने उनपर विश्वास बनाए रखा, जिसके कारण विकास वैभव को पुलिस विभाग से अंतत: हटाकर सामान्य प्रशासन विभाग के मातहत काम में लगा दिया था। अपने सख्त रवैए के कारण सरकार का यह मानना है कि वह अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘नौकरियां ही नौकरियां’ योजना के लिए सही होंगी। उन्हें अब लोकसभा चुनाव के पहले सिपाही भर्ती की प्रक्रिया पूरी करानी है।