हाइलाइट्स
साल 2009 में दिवाकर ने इसरो की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
अपने गांव में वे अब खजूर की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं.
खजूर की खेती से उन्हें मोटा मुनाफा हो रहा है.
नई दिल्ली. भारत में खेती को ज्यादातर लोग घाटे का सौदा मानते हैं. लेकिन, कुछ लोगों ने नई तकनीक और आधुनिक तरीकों को अपनाकर इस धारणा को गलत भी साबित किया है. खेती से भारी-भरकम कमाई करने वाले लोगों में इसरो के पूर्व प्रोजेक्ट वैज्ञानिक और ऑर्गेनिक खजूर फार्मर (Organic Date Farming) दिवाकर चैन्नपा (Diwakar Channappa) का नाम भी शामिल है. कर्नाटक के रहने वाले चैन्नपा ने जब इसरो की अपनी नौकरी छोड़कर खेती करने का फैसला किया तो परिवार ने उनका खूब विरोध किया. लेकिन, जापानी दार्शनिक और प्राकृतिक किसान मसानोबू फुकुओका की किताब ‘वन स्ट्रा रिवोल्यूशन’ से प्रभावित चैन्नपा अपनी जिद पर अड़े रहे. अपनी इसी जिद की वजह से आज वे हर साल प्रति एकड़ 6 लाख रुपये मुनाफा कमा रहे हैं.
दिवाकर चैन्नपा का कर्नाटक के सागानाहेल्ली में ऑर्गेनिक खजूर फार्म है. उनके फार्म का नाम मराली मन्निगे है, जिसका कन्नड़ में अर्थ ‘मिट्टी की ओर वापस जाना होता है.’ चैन्नपा ने सोशल वर्क में मास्टर डिग्री हासिल की और इसरो में नौकरी करने लगे. वे तुमकुर विश्वविद्यालय में विजिटिंग फैकेल्टी भी रहे.
किसान पिता ने कभी नहीं भेजा खेत
दिवाकर चैन्नपा के पिता खेती करते थे. रागी, मक्का और तुअर जैसी फसलों से उन्हें अच्छी कमाई नहीं होती थी. यही कारण था कि वो चाहते थे कि दिवाकर चेन्नपा खेती न करे और पढाई करके नौकरी करे. इसी कारण चैन्नपा को उनके पिता कभी भी अपने साथ खेत नहीं ले गए. चैन्नपा ने बेंगलुरु में रहकर पढाई की. परंतु, खेती-किसानी की ओर चैन्नपा का झुकाव कम न हुआ.
एक प्रोजेक्ट ने बदला मन
चैन्नपा ने एक प्रोजेक्ट साइंटिस्ड के रूप में एक बार वाटरशैड प्रोजेक्ट के लिए तमिलनाडू गए. वहां उन्होंने खजूर की खेती देखी. तमिलनाडू और अपने गांव के प्राकृतिक वातारण में समानता देखकर उन्होंने भी खजूर की खेती करने का निर्णय लिया. इसके अलावा जापानी दार्शनिक मसानोबू फुकुओका की किताब ‘वन स्ट्रा रिवोल्यूशन’ से भी वो बहुत प्रभावित थे और जैविक खेती करने की चाहत उनके मन में पैदा हो चुकी थी.
मां ने बताया ‘सबसे मूर्खतापूर्ण’ निर्णय
साल 2009 में चैन्नपा ने परिवार वालों के घोर विरोध के बीच इसरो की अपनी नौकरी छोड़ दी. उनकी मां ने चैन्नपा के इस निर्णय को सबसे मूर्खतापूर्ण निर्णय बताया. अपने पैतृक खेत में उन्होंने पहले साल मक्का, रागी और तूअसर जैसी फसल उगाई. इससे उन्हें कुछ खास कमाई नहीं हुई. बाद में उन्होंने 4.5 लाख रुपये लगाकर बरही किस्म के खजूर के 150 पौधे अपने खेत में लगाए. उन्होंने पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक खेती करने का निर्णय लिया.
एक एकड़ से 6 लाख का मुनाफा
शुरुआत में चैन्नपा के खेत में केवल 650 किलोग्राम खजूर पैदा हुए. उन्होंने इसे 350 रुपये प्रतिकिलोग्राम की दर से बेचा. अब उनके फार्म के ऑर्गेनिक खूजर का उत्पादन बहुत ज्यादा बढ चुका है. अगस्त, 2023 में चैन्नपा ने 4.2 टन यानी 4,200 किलोग्राम खजूर पैदा किए. फार्म पर वे 310 रुपये प्रतिकिलोग्राम के हिसाब से खजूर बेचते हैं, जबकि होम डिलीवरी 350 रुपये किलोग्राम के हिसाब से करते हैं. चैन्नपा प्रति एकड़ मुनाफा खजूर की खेती से ले रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 13, 2023, 12:24 IST