5 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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16 जनवरी को मुंबई के सेंट रेजिस होटल में USC इवेंट का आयोजन हुआ। USC यानी कि यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया जो कि एक प्राइवेट रिसर्च यूनिवर्सिटी है। ये एनेनबर्ग स्कूल फॉर कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म और इसके बेहद रिस्पेक्टेड स्कूल ऑफ सिनेमैटिक आर्ट्स के लिए जाना जाता है। इस इवेंट में आर्ट्स और सिनेमा की दुनिया से जुड़ी नई तकनीक और नए आइडियाज को लेकर चर्चा हुई।

USC स्कूल ऑफ सिनमैटिक आर्ट्स की डीन एलिजाबेथ डेली।
बता दें, शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ने साल 2020 में USC से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। वहीं साल 2022 में ऋतिक रोशन अपने दोनों बच्चों- ऋहान और ऋदान के साथ USC कैंपस गए थे। इतना ही नहीं, माधुरी दीक्षित के बेटे अरिन ने भी 2021 में USC में दाखिला लिया। देविता सराफ जो कि Vu टेलीविजन की फाउंडर, चेयरमैन और CEO हैं, USC की ही ग्रेजुएट हैं।
इवेंट में स्कूल ऑफ सिनमैटिक आर्ट्स की डीन एलिजाबेथ डेली और डिपार्टमेंट ऑफ सिनेमा व मीडिया स्टडीज की चेयरपर्सन डॉ प्रिया जयकुमार ने दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ प्रमुख अंश।
सवाल- USC स्कूल ऑफ सिनेमैटिक आर्ट्स सिनेमाई आर्ट्स एजुकेशन में नई तकनीक के जरिए किस तरह से प्रोग्रेस लेकर आएगा? ये कैसे सुनिश्चित होगा कि स्टूडेंट्स डिजिटल एरा के लिए पूरी तरह से तैयार हैं?
डीन एलिजाबेथ डेली का जवाब- हमारी इंडस्ट्री में सबसे बड़ी चुनौती टेक्नोलॉजी के साथ बने रहना है। लेकिन हमने हमेशा उपलब्ध टेक्नोलॉजी के मामले में उसके साथ या उससे आगे रहने की कोशिश ही की है। हालांकि हमारे स्टूडेंट्स के लिए ये समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि टेक्नोलॉजी के जरिए हम कहानियों को और भी बेहतर तरीके से स्क्रीन पर जरूर दिखा सकते हैं। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि सिर्फ टेक्नोलॉजी से ही अच्छी फिल्म बन जाएगी। टेक्नोलॉजी सिर्फ एक टूल है।
वास्तव में स्कूल की स्थापना तब हुई जब सिंक साउंड टॉकीज आए। ये एक बिल्कुल नई तकनीक थी। फिर उसके बाद टीवी आ गया। हमारे कई पूर्व छात्र जो बोर्ड पर बैठते हैं, उन्होंने सबसे पहले जो बात कही वो डिजिटल थी। ऐसे में हमने डिजिटल को शामिल करने के लिए बहुत जल्द बदलाव किया। गर्व की बात है कि हम LA में एविड एडिटिंग करने वाले पहले हैं क्योंकि हम जानते थे कि हमारे छात्रों को इसकी जरूरत पड़ेगी।

शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ने साल 2020 में USC से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की।
कई ऐसी तकनीक भी सामने आईं, जिनसे उतनी उम्मीद नहीं लगाई जा सकती थी। आप थोड़ी उम्मीद लगा सकते हैं, लेकिन ज्यादा नहीं। इसलिए हमेशा इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम अपनी टेक्नोलॉजी के साथ पूरी तरह से कैसे जुड़े रहें।
अभी, सबसे बड़ी चुनौती- LED स्क्रीन के साथ बड़ी मात्रा में वर्चुअल प्रोडक्शन का काम करना है। ऐसे में सोनी कॉर्पोरेशन हमारे लिए बहुत अच्छे हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि हम उनकी अगली पीढ़ी को ट्रेनिंग दे रहे हैं। ऐसे में सोनी ने हमें LED वॉल दी, ताकि स्टूडेंट्स सीखना शुरू कर सकें कि वहां कैसे काम करना है। लेकिन फिर सवाल आता है कि क्या इससे हमारी टेक्नोलॉजी आगे बढ़ पाएगी। अगर नहीं, तो ये सिर्फ एक दिखावा बन के रह जाएगी।
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- हमने दुनिया भर में स्कूल ऑफ सिनेमा के लिए बहुत कुछ नया शुरू किया है। एनिमेशन में डिजिटल कलाएं हैं। मीडिया कला और प्रैक्टिस ऐसी चीजें हैं, जो खासतौर से उन लोगों के लिए है जो वास्तव में अलग तरह से सोचते हैं। जैसे कि आप एक इंस्टॉलेशन बना सकते हैं। आप एक वर्चुअल डायरैमा बना सकते हैं और उसे एनवायरमेंट स्टडीज के साथ जोड़ सकते हैं। मेरी एक स्कूल की दोस्त हैं लुकास। वे डिजिटल टेक्नोलॉजी की एक अहम पायनियर हैं।

डॉ प्रिया जयकुमार डिपार्टमेंट ऑफ सिनेमा व मीडिया स्टडीज की चेयरपर्सन और प्रोफेसर हैं।
डीन एलिजाबेथ डेली ने आगे कहा- मुझे लगता है कि AI और इसके आने के तरीके के बारे में हमें बहुत चीजों ने चिंतित किया है। उन चीजों में से ये भी एक है। यदि आप किसी चीज से बहुत डरते हैं, तो आप आमतौर पर बुरे फैसले ही लेते हैं। इसलिए हम इसके बारे में मूर्ख नहीं बनना चाहते हैं। लेकिन हम खर्चों पर भी गौर करना चाहते हैं। डॉ. हॉली विलिस हमारी फैकल्टी में AI को एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के अलग-अलग तरीकों पर विचार करती हैं। वास्तव में AI एक टूल है। इसका सही तरीके से उपयोग करना हमें सीखना पड़ेगा।
सोनी कॉर्पोरेशन जापान से अपने इंजीनियर लाता है। मुझे लगता है कि अब ये साल में लगभग चार बार होता है। जहां वे दोनों पूर्व सिनेमैटोग्राफरों के साथ बैठते हैं क्योंकि हमारी फैकल्टी में बड़े पैमाने पर प्रोफेशनल फिल्ममेकर्स हैं।
सुनिश्चित करें कि जब आप एक नया जूम लेंस लेकर आएं, तो हमें उस पर मार्कर लगाना चाहिए, ताकि हम अपने शॉट्स को दोहरा सकें। हमें इस बारे में बात करनी चाहिए कि किस तरह के टूल की जरूरत है। एक बार एक यंग इंजीनियर ने मुझसे कमाल की बात कही। उसने जूम लेंस के बारे में कहा- ये कैमरा कभी धुंधला नहीं होगा। लेकिन हमें धुंधलापन पसंद है। ऐसे में मुझसे ये मत कहें कि मैं कुछ धुंधला नहीं कर सकता। इसलिए मुझे टेक्नोलॉजी, कंटेंट के इर्द-गिर्द बातचीत करना बेहद पसंद है।
आप एक के बिना दूसरे को क्रिएट नहीं कर सकते हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि AI हमारे लिए एक ऐसी जगह है जहां हमें जाना होगा, पता लगाना होगा और देखना होगा कि ये हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है। अगर ये मुझे एक शॉट ढूंढने में 30 घंटे खर्च करने से बचा सकता है, तो बहुत अच्छा है। वहीं दूसरी तरफ अगर ये मुझे आलसी बनाता है या मुझे मेरे पास मौजूद सभी संभावित शॉट्स को देखने से रोकता है, तो ये बिल्कुल अच्छी बात नहीं है।

माधुरी दीक्षित और डॉ श्रीराम नेने के बेटे अरिन ने साल 2021 में USC में दाखिला लिया।
सवाल- AI के फायदे और नुकसान दोनों हैं। जो स्टूडेंट्स जल्द ही प्रोफेशनल्स बनने वाले हैं, उनके अंदर एक डर है। आप लोग इस डर पर काबू पाने में उनकी कैसे मदद करते हैं?
डीन एलिजाबेथ डेली का जवाब- मुझे नहीं लगता कि स्टूडेंट्स ज्यादा डरते हैं। सच कहूं तो वास्तव में थोड़ा डर है क्योंकि डर फैलाया जा रहा है। लेकिन ज्यादातर समय हमारे स्टूडेंट्स चीजों पर फैकल्टी के साथ या उससे आगे होते हैं। इसलिए, हम इस डर को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप अपने काम में अच्छे हैं तो AI आपकी जॉब नहीं ले पाएगा। हम प्रोडक्टिव छात्रों के बारे में बात करना पसंद करते हैं। क्योंकि वे सेट पर चलने और काम करने के लिए तैयार हैं और अक्सर तकनीकी समस्याओं का समाधान भी कर लेंगे। इसलिए, मुझे हमारी वर्तमान पीढ़ी पर बहुत भरोसा है कि वे AI के बारे में उन सवालों के जवाब देने जा रहे हैं जिनके बारे में मैंने सोचा भी नहीं था।
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- हां, मैं बस इसमें इतना जोड़ना चाहती हूं कि ये सच है कि हम में से किसी ने भी भविष्य नहीं देखा है। इसलिए, मैं आपको गारंटी नहीं दे सकती कि ये एक तरफ जाएगा या दूसरी तरफ। हालांकि अब हम क्या करें? इंस्टिट्यूट में सीड अवार्ड्स रखे गए। इसे नए विचारों को जगाने के लिए स्पार्क कहा जाता है और मैं उनमें से हूं जो ज्यादातर लिखती हूं। मैं एक इतिहासकार हूं। मैंने एक कलाकार के साथ सहयोग किया है जो कि ग्रेजुएट स्टूडेंट है।
हम वास्तव में गहरे समुद्र की मछली के बारे में कुछ करने जा रहे हैं और AI कला के माध्यम से इसकी कल्पना करते हैं। हम दोनों को इसमें बहुत रूचि है। मैं इस पूरी दुनिया से मोहित हो गई हूं। क्योंकि जीवन का एक बड़ा प्रतिशत गहरे समुद्र में ही होता है। ऐसे में जब आप कार्बन जमा करने और उन दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के उपयोग के बारे में बात करते हैं तो तो ये देखना दिलचस्प होगा कि ये हमारे अलावा अन्य लोगों को कैसे प्रभावित करता है। चूंकि AI वो कर सकता है, जो एक आम इंसान भी नहीं कर सकता। इसलिए ये हमें ऐसी चीजों की कल्पना करने पर मजबूर कर देता है जो मानवता से अलग है।
मुझे लगता है कि हम सभी इस दुनिया में रह रहे हैं। हम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दुनिया की चीजें हम पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालती हैं। हम ये सब कैसे समझते हैं, ये हम पर निर्भर करता है। इसलिए मेरा कहना है कि अगर वहां भारतीय स्टूडेंट्स होते, और दूसरी फैकल्टी से भी स्टूडेंट्स होते, तो वे एक-दूसरे से सीख सकते। वास्तव में इंडस्ट्री काफी बार हमारे स्कूल से ही स्टैंडर्ड लेती है।

देविता सराफ जो कि Vu टेलीविजन की फाउंडर, चेयरमैन और CEO हैं। उन्होंने USC से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की।
सवाल- फिल्ममेकर्स जो काफी स्मार्ट हैं, वे कैमरे से शूट करने के अलावा और भी बहुत कुछ जानते हैं। इस पर आप क्या कहेंगी?
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- हां। मुझे लगता है रितेश सिधवानी इस बात का एक अच्छा उदाहरण हैं। वह बहुत ही दूरदर्शी व्यक्ति हैं और उन्होंने वास्तव में हमें शीर्ष भारतीय फिल्म निर्माताओं के साथ बातचीत करने का मौका दिया है।
सवाल- क्या आप दोनों USC स्कूल ऑफ सिनेमैटिक आर्ट्स के पूर्व छात्रों द्वारा भारतीय और अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री में उनके प्रभाव और सफलता की कहानियों के बारे में बता सकती हैं?
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में उतनी कहानियां नहीं हैं। लेकिन अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कहानियां मिल जाएंगी।
सवाल- लोग USC स्कूल ऑफ सिनेमैटिक आर्ट्स में नामांकित भारतीय स्टार किड्स के नाम और उनके अनुभव को लेकर काफी एक्साइटेड रहते हैं।
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- हां। हम भी इसी बात को लेकर काफी एक्साइटेड हैं। इस बात पर मैं रितेश सिधवानी का जिक्र करना चाहूंगी। वे एक महान दूरदर्शी व्यक्ति हैं। मन में सवाल आता है कि अगर किसी के पास एक बड़ा स्टूडियो है, तो वो अपने बच्चों को वहां क्यों भेजेगा? इसके जवाब में मैं कहना चाहती हूं, वे अपने बच्चों को इसलिए वहां भेजते हैं क्योंकि वहां बच्चे सिर्फ काम नहीं सीखते हैं। ये पैनल लोगों को इस बारे में बात करने के लिए प्रेरित करता है कि वे क्या चाह रहे हैं और वे किस भविष्य की कल्पना कर रहे हैं।
सवाल- मैंने ये भी सुना है कि अनन्या पांडे की छोटी बहन ने भी USC में दाखिला लिया है। क्या ये सच है?
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- नहीं, मुझे लगता है वे NYU गई थी। दरअसल, वे USC के लिए आवेदन कर रही थी, लेकिन वे NYU, वीजा में चली गई। NYU एक फिल्म केंद्रित स्कूल की तरह है। हम फिल्में करते हैं, लेकिन हम कई अन्य चीजें भी करते हैं।

साल 2022 में ऋतिक रोशन अपने दोनों बच्चों- ऋहान और ऋदान के साथ USC कैंपस गए थे
USC के ब्रांड एंबेसडर के बारे में डॉ प्रिया जयकुमार का मानना है कि ब्रांड एंबेसडर बात फैलाने के लिए बहुत अच्छे साधन हैं। जिस तरह से आर्यन (शाहरुख खान के बेटे) वहां से दो लोगों को लेकर आए, जिनके साथ उन्होंने अपनी प्रेजेंट स्ट्रीमिंग पर काम किया। अन्य स्टूडेंट्स के लिए भी ये एक मौके के समान है।
डीन एलिजाबेथ डेली का जवाब- जी बिल्कुल। आप एक-दूसरे की मदद जरूर करें। हर कोई मिलकर ही काम करता है। उदाहरण के तौर पर कहूं तो केविन फाइगी, जो मार्वल चलाते हैं। मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स हमारा ही एलुमनाई है। इसके अलावा अमेरिका के पॉपुलर फिल्ममेकर ब्रायन जे सिंगर भी यही के एलुमनाई हैं।
सवाल- इस स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की दुनिया में स्कूल किस तरह से स्टूडेंट्स की मदद करेगा कि वो सभी इस बदलती हुई टेक्नोलॉजी से कदम से कदम मिलाकर चल पाएं?
डीन एलिजाबेथ डेली का जवाब- हम वास्तव में स्टूडेंट्स को ये देखने के लिए कहते हैं कि किस तरह की कहानियां हैं? किस तरह का प्लेटफॉर्म है? आजकल कहानियों को कई प्लेटफॉर्म पर आगे बढ़ना होता है। इसलिए कई मायनों में छोटी स्वतंत्र फिल्में नेटफ्लिक्स और अमेजन पर अच्छा परफॉर्म कर रही हैं। जहां तक खेल की दुनिया की बात करें, तो चीजें थोड़ी बदल जाती हैं। सबसे जरूरी बात ये है कि आप जिस कहानी को दिखाना चाहते हैं- उसके लिए क्या सही प्लेटफॉर्म होगा और क्या सही ऑडियंस। हम एक पब्लिक प्लेटफॉर्म पर हैं। इसलिए ये सब समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉ प्रिया जयकुमार का जवाब- आप जो भी बना रहे हैं, आपको उसके सार पर कायम रहना होगा। हमारे पास एक अद्भुत एजेंट था जिसने कई सालों तक हमारी इंडस्ट्री से संबंधित कार्यक्रम को चलाया। हमारे पास स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए एक प्रोग्राम था, और उस एजेंट ने वाकई बहुत अच्छा काम किया था।
उन्होंने आगे कहा- अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स की अलग-अलग जरूरतें हो सकती हैं। फिर आप सोचते हैं कि राइटिंग के साथ-साथ BCA भी कर लें। ऐसे में आप अपनी बड़ी कंपनियों को जोड़ सकते हैं और फिर इंटर्नशिप, इंडस्ट्री रिलेटेड, बल्कि पहली जॉब भी कर सकते हैं। फर्स्ट जॉब्स नाम का एक कार्यक्रम होता है। जिससे आपको नौकरी मिल जाए या कम से कम इंटरव्यू तो हो ही जाए। इस तरह से सेम इंटेरस्ट वाले लोगों को एक-साथ जोड़ा जा सकता है। हालांकि अभी ये चीज भारत में नहीं हैं, लेकिन कई अलग-अलग देशों में हैं। एक सलाहकार के रूप में SCA ने ऐसे लोगों के साथ भी काम किया है।