
Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha
– फोटो : Amar Ujala
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रामलला के नवनिर्मित मंदिर में अचल विग्रह की स्थापना के साथ-साथ विराजमान रामलला को भी पूजित-प्रतिष्ठित किया जाएगा। राममंदिर के गर्भगृह में सोने के सिंहासन पर रामलला की 51 इंच की अचल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है, वहीं विराजमान रामलला को भी इसी गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। वे मंदिर में चल मूर्ति यानि उत्सव मूर्ति के रूप में पूजित होंगे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने साफ कहा है कि विराजमान रामलला मुकदमा जीते हैं, उन्हें कैसे हटाया जा सकता है नवनिर्मित गर्भगृह में वे भी प्रतिष्ठित किए जाएंगे। अचल विग्रह के ठीक सामने सिंहासन पर उन्हें चारों भाईयों समेत विराजमान किया जाएगा। रोजाना उनकी पूजा, आरती होगी। अचल मूर्ति स्थापित होने के बाद हिल नहीं सकेगी इसलिए विराजमान रामलला उत्सव मूर्ति के रूप में यहां प्रतिष्ठित रहेंगे। पर्व व त्यौहारों पर इसी उत्सव मूर्ति के साथ शोभायात्रा भी निकाली जाएगी।
चंपत राय ने कहा कि विराजमान रामलला आकार में बहुत छोटे हैं ऐसे में भक्तों को ठीक से भगवान के दर्शन नहीं हो पाते थे। भक्तों की भावना को देखते हुए एक बड़ी मूर्ति बनाने का निर्णय लिया गया था ताकि रामलला के मुख मंडल का दर्शन भक्त ठीक तरह से कर पाएं। अचल मूर्ति 51 इंच की है। इसे चार फीट ऊंचे सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। इस तरह मूर्ति की कुल ऊंचाई करीब आठ फीट हो जाएगी, ऐसे में भक्त को सुलभ दर्शन प्राप्त हो सकेगा।
मात्र छह इंच की है विराजमान रामलला की मूर्ति
अस्थायी मंदिर में रामलला चारों भाइयों समेत विराजमान हैं। विराजमान रामलला की मूर्ति मात्र छह इंच की है। रामलला इस मूर्ति में एक हाथ में लड्डू लिए हुए घुटने के बल पर बैठे हैं। भरत की मूर्ति भी छह इंच की है, जबकि लक्ष्मण व शत्रुह्न की मूर्ति तो मात्र तीन-तीन इंच की है। गर्भगृह में हनुमान की भी दो मूर्तियां हैं इनमें से एक मूर्ति पांच इंच की है जबकि एक बड़ी मूर्ति लगभग तीन फीट की है।