9 of the country’s top-10 companies raised ₹2.26 lakh crore | देश की टॉप-10 में से 9 कंपनियों ने जुटाए ₹2.26 लाख करोड़

नई दिल्ली4 घंटे पहले

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बीते कारोबारी हफ्ते में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 9 ने टोटल ₹2,26,391.77 लाख करोड़ की कमाई की है। इसमें TCS ने सबसे ज्यादा कमाई की है। कंपनी का मार्केट कैप ₹85,494 करोड़ बढ़कर ₹14.12 लाख करोड़ हो गया है।

वहीं इंफोसिस और SBI ने ₹36,794 करोड़ और ₹30,700 करोड़ जुटाए हैं। इस बढ़ोतरी के बाद दोनों कंपनियों का मार्केट कैप बढ़कर ₹6.55 लाख करोड़ और ₹5.79 लाख करोड़ हो गया है। वहीं, इस लिस्ट में भारती एयरटेल अकेली कंपनी रही, जिसका मार्केट कैप ₹3,654 करोड़ गिरकर ₹5.58 लाख करोड़ रह गया है।

हालांकि, एक हफ्ते पहले की बात करें तो, हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप ₹9,844.79 करोड़, एयरटेल का ₹8569.98 करोड़ और ITC का ₹935.48 करोड़ गिरा था। इस लिहाज से देखें तो तीनों कंपनियों ने रिकवरी की है।

इस साल बाजार में अब तक 17% से ज्यादा की तेजी इस साल की शुरुआत यानी 2 जनवरी (1 जनवरी को बाजार बंद था) को सेंसेक्स 61,167 के स्तर पर था, जो अब यानी 15 दिसंबर को 71,605 अंक पर पहुंच गया है। यानी इस साल अब तक इसमें 17% से ज्यादा यानी 10,438 अंक की तेजी देखने को मिली है। एक्सपर्ट्स के अनुसार आगे भी ये तेजी जारी रह सकती है।

बाजार में तेजी की 4 वजह

  • कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण।
  • विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा रहे हैं।
  • भारत का फोरेक्स रिजर्व बढ़ने से भी बाजार को मजबूती मिली है।
  • फेड ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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