6 सदी पुरानी महामारी का आज भी है असर, एक नहीं कई रोगों से निकला संबंध, साइंटिस्ट की अजीब रिसर्च

क्या आज की सेहत संबंधी समस्याओं के लिए हम इंसानों का इतिहास जिम्मेदार है. एक नई रिसर्च ने से यही लगता है. इस अजीब सी रिसर्च में साइंटिस्ट ने पाया है कि 6 सदी पहले इसानों के बीच जो ब्लैक डेथ नाम की महामारी फैली थी उसकी संबंध आज के इंसानों के मुंह में रहने वाले महीन जीवों से है. ये जीव ही आज मोटापा, दिल के रोग, मानसिक सेहत संबंधी समस्याओं जैसे कई रोगों के लिए जिम्मेदार हैं.

ब्लैक डेथ नाम की महामारी ने दुनिया में 14वीं सदी में पैर फैलाए थे. इसे दूसरे प्लेग की महामारी भी कहा जाता है. इससे यूरोप में 30 से 60 फिसदी आबादी खत्म हो गई थी. पेन स्टेट और एडिलेड यूनिवर्सिटी के शोध ने यह अजीब सा नतीजा निकाला है कि इसके बाद से बदली इंसान की खुराक और हाइजीन आदतों ने मुंह के कीटाणुओं का संसार, यानी माइक्रोबायोम ऐसा बदला जिससे दुनिया में आज कई तरह के सेहत संबंधी समस्याएं हैं.

आज के सूक्ष्मजीवों का संबंध मोटापा, हृदयवाहिका संबंधी रोग, खराब मानसिक सेहत जैसे कई रोगों से है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन छोटे से जीवों के समुदाय कैसे पैदा हुए, यह जानने से इन रोगों को समझने और उनसे निपटने में मदद मिल सकेगी. इसके  लिए वैज्ञानिकों ने पुराने मानवों के मुंह के माइक्रोबायोम का अध्ययन किया.

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वैज्ञानिकों ने पाया है कि आधुनिका लाइफस्टाइल से संबंधित रोगों की जड़ में वो बैक्टीरिया हैं जो ब्लैक डेथ के बाद बदली खुराक के कारण पनपे थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

शोधकर्ताओं ने 2000 ईसा पूर्व से लेकर 1853 ईस्वी के बीच इंग्लैंड और स्टॉकलैंड की 27 जगहों में मिले मानव कंकालों के दातों की पड़ताल की जिसके नतीजे नेचर माइक्रोबायोम में प्रकाशित हुए हैं. उन्होंने 954 सूक्ष्म प्रजातियों की पहचान की और उन्होंने दो बैक्टीरिया समूह में बांटा.एक समूह के बैक्टीरिया आधुनिक मानव के मुंह में ज्यादा थे तो दूसरे स्वस्थ्य औद्योगिक काल के इंसानों में.

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शोधकर्ताओं ने सभी पुराने मानवों का डीएनए विश्लेषण किया और पाया  कि दोनों तरह के बैक्टीरिया समुदायो  में कम से कम 11 फीसदी अंतर था. यह अंतर आधुनिक मानवों और ब्लैक डेथ के प्लेग के दौर के पहले के इंसानों की खुराक से भी संबंधित था. और आधुनिक मानवों के माइक्रोबायोम के बैक्टीरिया पुराने लोगों में नहीं थे. और यही बैक्टीरिया आज की सेहत संबंधी समस्याओं के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं.

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