विजिटर्स पास पर बवाल: पहले भी रिव्यू कमेटी उठा चुकी है सवाल, क्या संसद की सुरक्षा में यह खतरा है?

<p style="text-align: justify;">संसद में हमले की 22वीं बरसी पर लोकसभा के भीतर हमला हो गया. क्यों हुआ, यह अब जांच का विषय है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संपूर्णता से जांच कराने की बात कही है. विपक्षी सदस्यों को आश्वसत करते हुए बिरला ने कहा कि सुरक्षा को लेकर सभी के सुझाव को भी हम मानेंगे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब संसद की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है और स्पीकर इसकी जांच कराने की बात कह रहे हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">2001 में संसद पर हमले के बाद तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी ने संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) का गठन किया था. उस वक्त लोकसभा के उपाध्यक्ष पी.एम सईद को इस कमेटी का प्रमुख बनाया गया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">2014 में भी संसद की सुरक्षा व्यवस्था को तंदुरुस्त करने के लिए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक कमेटी गठित की थी. पूर्व गृह सचिव और सांसद आरके सिंह को इस कमेटी का प्रमुख बनाया गया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सुरक्षा में चूक कैसे, 2 सवाल…</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>1.</strong> संसद भवन की नई बिल्डिंग में एडवांस सीसीटीवी कैमरे, थर्मल इमेजिंग सिस्टम, सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सेंटर, एडवांस टेक्नोलॉजी, आधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षा बल हैं. ऐसे में समय रहते अपराधियों की हरकत का पता क्यों नहीं लग पाया?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>2.</strong> घुसपैठिए जब संसद में कूदे तो उन्हें पकड़ने के लिए सांसदों को आगे आना पड़ा. सवाल उठता है कि संसद के भीतर के मार्शल एक्टिव क्यों नहीं थे?&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सुरक्षा में चूक- विजिटर्स पास बड़ी वजह?</strong><br />शुरुआती जांच में जो बातें सामने आई हैं, उसके मुताबिक लोकसभा के भीतर कूदने वाले दोनों घुसपैठिए विजिटर्स पास के जरिए गैलरी में आए थे. यह विजिटर्स पास मैसूर से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के नाम से जारी किया गया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">सूत्रों के मुताबिक सिम्हा ने घटना के बाद लोकसभा स्पीकर से बात की और एक घुसपैठिए के बारे में जानकारी होने की बात कही. सिम्हा ने स्पीकर से कहा कि घुसपैठिए मनोरंजन डी के पिता उनके परिचीत हैं, इसलिए उसे पास दिया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;">यह भी दावा किया गया है कि सभी आरोपी लंबे वक्त से संसद में कोहराम मचाने का प्लान तैयार कर रहे थे. सिम्हा का कार्यालय ने भी यह स्वीकार किया है कि एक आरोपी मनोरंजन डी उनके यहां विजिटर्स पास के लिए करीब 3 महीने से चक्कर लगा रहे थे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/14/7e51e46c84be3bcb33a51c05d43a340e1702542766333621_original.jpg" /></p>
<p style="text-align: justify;">जानकारों का कहना है कि अगर विजिटर्स पास जारी नहीं होता, तो घुसपैठिए वारदात को शायद ही अंजाम दे पाते.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>विजिटर्स पास क्या होता है, कैसे मिलता है?</strong><br />संसद की चलती कार्यवाही को देखने के लिए दर्शकों को पास दिया जाता है, इसे विजिटर्स पास कहा जाता है. यह पास लोकसभा/राज्यसभा के सांसदों की सिफारिश पर दिया जा सकता है. पूर्व सांसद अगर खुद के लिए पास चाहे, तो वे ले सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">लोकसभा वेबसाइट के मुताबिक एक सांसद एक वक्त में 4 लोगों को विजिटर्स पास दिला सकते हैं. सांसदों को पास वाले एक फॉर्म पर यह बताना होता है कि जिसे पास दिला रहे हैं, वो कौन है?&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">पास दिलाते वक्त सांसदों को यह भी शपथ लेना होती है कि उक्त व्यक्ति की पूरी जवाबदेही उनकी है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">विजिटर्स पास के लिए लोकसभा की वेबसाइट से पहले एप्लिकेशन फॉर्म डाउनलोड करना होता है. फॉर्म भरने के बाद सांसद उस पर अपनी सिफारिश लिखते हैं, जिसे संसद के कार्यालय में जमा कराया जाता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद विजिटर्स पास जारी किए जाते हैं. विजिटर्स को संसद के भीतर ले जाने के लिए अलग से व्यवस्था तैयार की गई है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवालों के घेरे में रहा है विजिटर्स पास</strong><br />विजिटर्स पास लंबे वक्त से सवालों के घेरे में रहा है. बुधवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंधोपाध्याय ने लोकसभा में कहा कि विजिटर्स की वजह से कई बार सांसदों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.</p>
<p style="text-align: justify;">बंधोपाध्याय ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि इस पर विचार करने की आवश्यकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">2001 में संसद पर आतंकी हमले के बाद जेपीसी कमेटी ने भी विजिटर्स पास को लेकर सवाल उठाए थे. उस वक्त कमेटी के एक सदस्य ने इंडिया टुडे मैगजीन को बताया था कि हम 6-7 देश घूम कर आए हैं और हमारी सुरक्षा चाक-चौबंद है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">उक्त सांसद ने मैगजीन को बताया था कि मीटिंग में विजिटर्स पास को लेकर सवाल उठे हैं. नेता जिस तरह से अपने लोगों के लिए पास जारी करा रहे हैं, वो खतरनाक है और हमने इसको लेकर सख्त नियम बनाने की मांग की है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">जेपीसी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन उस वक्त सूत्रों के हवाले से छपी रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने 3-4 महत्वपूर्ण सिफारिशें लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी.</p>
<p style="text-align: justify;">इनमें पहली सिफारिश कार पार्किंस से जुड़ी हुई थी. कमेटी ने पार्किंग लेवल को अपग्रेड करने के लिए कहा था. कमेटी ने अंडरग्राउंड बंकर बनाने की भी सिफारिश की थी, जिससे किसी बड़े हमले के दौरान सांसदों को वहां छुपाया जा सके.</p>
<p style="text-align: justify;">विजिटर्स पास को लेकर भी सख्त हिदायत दी गई थी. साथ ही कहा गया था कि विजिटर्स अंदर कुछ भी लेकर नहीं जा सकेंगे. विजिटर्स की जांच के लिए कई सुरक्षा के घेरे बनाने की सिफारिशें की गई थी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>विजिटर्स पास सुरक्षा के लिए खतरा है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>-</strong> विजिटर्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. लोकसभा के मुताबिक 15वीं लोकसभा में 2.25 लाख लोगों को दर्शक दीर्घा का पास जारी किया गया था. 16वीं लोकसभा में यह संख्या बढ़कर 2.85 लाख पहुंच गई. इस बार इस संख्या के दोगुनी होने की संभावना है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>-</strong> लोकसभा से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि चलते सत्र में विजिटर्स को संभाल पाना मुश्किल होता है. सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी बहुत कम है. जांच के दौरान कई बार विजिटर्स और सुरक्षाकर्मियों के बीच तीखी बहस भी होती है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">- 2014 में संसद की सुरक्षा कमेटी के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि विजिटर्स पास को इवेंट का पास बना दिया गया है. हाल ही में संसद ने महिला आरक्षण बिल पास किया, तो सरकार के सांसदों ने आसपास की महिलाओं का बड़ा जुटान संसद में कर दिया. अब सुरक्षाकर्मी क्या करेंगे?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>2015 में कमेटी ने सुरक्षाकर्मियों को बढ़ाने के दिए थे निर्देश</strong><br />16वीं लोकसभा के शुरू होते ही स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सांसद आरके सिंह, सांसद हरीश मीणा और सांसद सत्यपाल सिंह की एक कमेटी बनाई थी. 2015 में इस कमेटी ने लोकसभा को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में संसद की सुरक्षा व्यवस्था को काफी खराब बताया था. कमेटी ने कहा था कि संसद के 115 में से 100 सीसीटीवी कैमरे खराब हैं. सुरक्षाकर्मियों की कमी पर भी इस कमेटी ने सवाल उठाया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा था कि सुरक्षा कर्मियों को आधुनिक हथियार व उपकरण दिए जाएं. किसी वारदात से निपटने के लिए सभी सुरक्षाकर्मियों को बुलेटप्रूफ जैकेट व हैलमेट मुहैया कराए जाएं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">सिफारिश में कहा गया था कि अंडर व्हीकल स्कैनिंग सिस्टम को अपग्रेड किया जाना चाहिए. एक्सप्लोसिव डिटेक्टर लगाने की सिफारिश की गई थी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>विजिटर्स को लेकर क्या हैं सुरक्षा के नियम?</strong><br />राज्यसभा के मुताबिक एंट्री के वक्त सख्ती से विजिटर्स की जांच की जाएगी. विजिटर्स अपने साथ किसी वस्तु को लेकर गैलरी में नहीं जा सकते हैं. संसद में इन करने के बाद विजिटर्स एक गैलरी से दूसरे गैलरी में नहीं जा सकते हैं. विजिटर्स किसी भी तरह की तस्वीर नहीं क्लिक करा सकते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">इतना ही नहीं, गैलरी में विजिटर्स के बोलने पर भी रोक रहती है. इसी वजह से 10 साल से कम उम्र के बच्चे को विजिटर्स गैलरी में नहीं जाने दिया जाता है</p>

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