स्किन डोनेशन….आपकी एक पहल से खिल उठेंगे कई चेहरे, बच जाएंगी जिंदगियां

‘अभी तक आपने अंगदान, शरीर दान, आंख दान या हड्डियों के दान के बारे में सुना होगा. बहुत सारे लोग मरने के बाद इस तरह का दान करते हैं लेकिन क्‍या आपको त्‍वचा दान के बारे में पता है? स्किन डोनेशन उत्‍तर भारत में भले ही सुनने में नया टर्म है लेकिन लोगों के इस दान की बदौलत कई लोगों को जिंदगी मिलती है, कई चेहरे खिल उठते हैं, कई लोगों को जीवन जीने का विश्‍वास पैदा होता है.’

शरीर के अंगों जैसे किडनी, हार्ट, कॉर्निया, हड्डियां, लिवर, लंग्‍स, आंत आदि की तरह स्किन को भी डोनेट किया जा सकता है. दान की गई यह त्‍वचा स्किन बैंकों में प्रोसेस करके रखी जाती है और फिर गंभीर एक्‍सीडेंट या जलने के कारण क्षतिग्रस्‍त हुई स्किन वाले मरीजों को लगाई जाती है. इससे न केवल मरीज के गंभीर घावों को भरने में मदद मिलती है बल्कि इन्‍फेक्‍शन फैलने से भी बचाव होता है. स्किन डोनेशन को लेकर News18 हिंदी के सभी सवालों का जवाब यहां दे रही हैं दिल्‍ली के सफदरजंग अस्‍पताल में स्किन बैंक की हैड प्रोफेसर, डॉ. सुजाता साराभाई

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स्किन डोनेशन.

सवाल- स्किन डोनेशन क्‍या है और कौन कर सकता है?
जवाब- मरने के बाद व्‍यक्ति के शरीर से स्किन को काटकर निकाला जाता है. फिर इसे मेडिकल साइंस के हिसाब से प्रोसेस कर स्किन बैंक में स्‍टोर किया जाता है. 18 साल से ऊपर का कोई भी व्‍यक्ति स्किन डोनेट कर सकता है. स्किन डोनेशन की कोई मैक्सिमम एज लिमिट नहीं है, फिर भी 65 से 70 साल की उम्र तक के लोगों की स्किन आराम से ली जा सकती है. अगर किसी की त्‍वचा की क्‍वालिटी 75-80 साल की उम्र में भी अच्‍छी है तो वो भी ली जा सकती है.

सवाल- कौन नहीं कर सकता स्किन डोनेशन?
जवाब- एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी या एसटीडी, किसी संक्रमण, सेप्‍टीसीमिया, किसी त्‍वचा संक्रमण या स्किन कैंसर के मरीज स्किन डोनेट नहीं कर सकते.

सवाल- शरीर में कहां से स्किन लेते हैं?
जवाब- कैडेवर डोनेशन में आमतौर पर मृतक के पैर, जांघ और पीठ की स्किन ली जाती है.

सवाल-मरने के कितने घंटे बाद तक स्किन डोनेशन हो सकता है?
जवाब- गर्मियों में मरने के 6 घंटे के भीतर, सर्दियों में 12 घंटे के भीतर और अगर बॉडी रेफ्रिजरेट करके रखी है तो भी 12 घंटे तक स्किन ली जा सकती है.

सवाल- स्किन डोनेशन में कितना समय लगता है?
जवाब- करीब 45 मिनट का समय लगता है क्‍योंकि स्किन को साफ करते हैं, ग्राफ्ट हार्वेस्‍ट करते हैं और फिर उस जगह को कवर करते हैं.

सवाल- त्‍वचा दान के लिए बॉडी को कहां ले जाना पड़ता है?
जवाब- घर पर मृतक है तो कहीं नहीं जाना होता. सफदरजंग अस्‍पताल के स्किन बैंक की डायरेक्‍ट हेल्‍पलाइन 011-26166989 पर कॉल कर सकते हैं. यहां से एक्‍सपर्ट की टीम जाती है और स्किन ग्राफ्ट लेकर आ जाती है. अभी तक अस्‍पताल के अंदर ही आए मरीजों की मौत होने के बाद स्किन ली गई है.

सवाल- क्‍या स्किन बैंक की टीम मथुरा-आगरा से भी स्किन लेकर आ सकती है?
जवाब- नहीं यह सिर्फ दिल्‍ली-एनसीआर में ही जाती है, जहां मृत्‍यु के 6 घंटे के अंदर पहुंचकर स्किन ली जा सके.

सवाल- क्‍या स्किन डोनेशन से डेड बॉडी को कोई नुकसान होता है?
जवाब- थाईज, बैक और पैरों से स्किन लेने के बाद बॉडी को बैंडेज से इतनी अच्‍छी तरह कवर कर दिया जाता है कि इसके बारे में मृतक के रिश्‍तेदारों को पता भी नहीं चलता है. इससे कोई नुकसान नहीं है.

सवाल- यह स्किन किसे लगाई जाती है?
जवाब- डोनेट की गई स्किन गंभीर एक्‍सीडेंट केसेज में पैर,हाथ, चेहरे की चमड़ी खो चुके मरीजों, बर्न केसेज वाले मरीजों को लगाई जाती है. यह स्किन इन मरीजों के गहरे जख्‍मों, घावों को भरने और उन पर बैंडेज की तरह काम करती है.

सवाल- डोनेट की हुई जांघ की स्किन क्‍या किसी के चेहरे पर लगाई जा सकती है?
जवाब- यह स्किन मरीज के किसी भी अंग पर लगाई जा सकती है. बेसिकली यह स्किन ड्रेसिंग के काम आती है. यह तब तक लगती और हटती है, जब तक मरीज का घाव न भर जाए. इस स्किन को लगाने से खासतौर पर जले मरीज को दर्द, इन्‍फेक्‍शन, एक्‍सपोजर नहीं होता. फ्लूड लॉस को कम करने और जख्‍म को भरने के काम आती है. यह स्किन हमेशा उसके शरीर पर नहीं रहती, आखिर में मरीज की खुद की स्किन ही लगाई जाती है.

सवाल- क्‍या बच्‍चों को भी लगा सकते हैं ये स्किन?
जवाब- हां जी, किसी को भी लगाई जा सकती है.

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