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Ranchi News: रांची की वैजयंती देवी ने मसाले का व्यवसाय शुरू कर परिवार को आत्मनिर्भर बनाया. ट्रेनिंग लेकर मसाले बनाने और बेचने की कला सीखी. अब वह हर महीने ₹25,000 से अधिक कमाती हैं.
हाइलाइट्स
- वैजयंती देवी ने मसाले का व्यवसाय शुरू किया.
- हर महीने ₹25,000 से अधिक कमाती हैं.
- मसाले की कीमत ₹70 प्रति पाव से शुरू होती है.
रांची: आज हम आपको झारखंड की राजधानी रांची के सुकरहूटू गांव की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने घर से ही एक सफल बिजनेस का आगाज किया. हम बात कर रहे हैं वैजयंती देवी की, जिन्होंने मसाले को अपना व्यवसाय बनाया और आज एक सफल बिजनेस वुमन बन चुकी हैं. वैजयंती देवी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह पढ़ी लिखी नहीं है. पहले वह घर के आंगन में थोड़ी बहुत सब्जियां उगाकर उन्हें बेचकर अपने परिवार का पेट पालती थी. लेकिन यह तरीका स्थिर नहीं था और इसके लिए संघर्ष करना पड़ता था. बताया कि इसके बाद उन्होंने बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बिजनेस प्लानिंग की ट्रेनिंग ली, जहां उन्हें मसाले बनाने, पैक करने और बाजार में बेचने के बारे में जरूरी जानकारी मिली.
जिसके बाद वैजयंती देवी ने घर पर ही मसाले पीसने के लिए बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से मिली मशीनों का उपयोग करना शुरू किया. आज वह अपने घर में पांच तरह के मसाले तैयार करती हैं – हल्दी, जीरा, धनिया पाउडर, मिक्स पाउडर और गरम मसाला. इन मसालों को पीसने के बाद वह उन्हें आकर्षक पैकेजिंग में पैक करती हैं. वैजयंती बताती हैं, पहले उन्होंने कांके रोड और मोराबादी में स्टॉल लगाकर अपने मसालों को बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे लोगों को उनके बनाए शुद्ध मसाले पसंद आने लगे.
महीने में 100 किलो से ज्यादा खपत
वैजयंती देवी बताती हैं कि अब उनकी हर महीने में 100 किलो से अधिक मसाले की खपत हो जाती है. ग्राहकों की मांग के अनुसार वह 5 किलो से लेकर 10 किलो के बड़े ऑर्डर भी तैयार करते हैं. बताया कि उनके द्वारा तैयार किए गए मसालों की क्वालिटी और शुद्धता को देखकर अब लोग खुद ही उनके पास आते है. मसालों की कीमत ₹70 प्रति पाव से शुरू होती है जो 100% शुद्धता और बेस्ट क्वालिटी की गारंटी देती है.
परिवार का सहारा बनी वैजयंती
आज वैजयंती देवी ने खुद को और अपने परिवार को आत्मनिर्भर बना लिया है. वह कहती हैं, “अब हम महीने में ₹25,000 से अधिक की कमाई करते हैं, जिससे हम अपने घर का खर्च, बच्चों की शिक्षा और बाकी सभी जरूरतें पूरी करते हैं. अब हम अपने पैरों पर खड़े हैं और यह हमें बहुत सशक्त महसूस कराता है.”
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