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वहीं सफेद बुरांश भी पहाड़ों में अपनी छटा बिखेर रहा है जिसे स्थानीय भाषा में चिमुल, रातपा कहते हैं, जिसका पारंपरिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसकी पत्तियां, फूल और शाखाओं को पीसकर लेप बनाया जाता है, जो जोड़ों के दर्द, गठिया और सिर दर्द को ठीक करने में मदद करता है. सफेद बुरांश की पत्तियों और तने में फिनोलिक एसिड होता है, इससे एचआईवी की दवाएं बनाई जाती हैं. जिसके कारण यह एलोपैथिक की दवाइयों के निर्माण में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.