विभाग का अलर्ट! H5N1 बर्ड फ्लू ने झारखंड में मचाई हलचल, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें बचाव

Agency:News18 Jharkhand

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Bird Flu H5N1: झारखंड में बर्ड फ्लू एच5एन1 की पुष्टि हो गई है, जिसके चलते कोडरमा जिले में पशुपालन विभाग ने मुर्गी फार्मों की जांच तेज कर दी है.

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बर्ड फ्लू से बचाव की जानकारी देते पशुपालन पदाधिकारी डॉ. राम सरीख प्रसाद 

हाइलाइट्स

  • झारखंड में बर्ड फ्लू H5N1 की पुष्टि हुई.
  • कोडरमा में मुर्गी फार्मों की जांच तेज की गई.
  • संक्रमण रोकने के लिए पोल्ट्री फार्म में सावधानी बरतें.

कोडरमा. झारखंड की राजधानी रांची में एक बार फिर से बर्ड फ्लू एच5एन1 की पुष्टि हुई है, जिसके बाद से आरआरटी का गठन कर जिलों के मुर्गी फार्म से सैंपलिंग किया जा रहा है. सैंपल को जांच के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की हाईसिक्योरिटी एनिमल डिसिस लेबोरेटरी भोपाल भेजा जा रहा है. कोडरमा में पशुपालन विभाग के द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में बर्ड फ्लू की जांच को लेकर प्रखंड स्तरीय चिकित्सा पदाधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है.

ऐसे दिखते हैं बर्ड फ्लू के लक्षण
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. राम सरीख प्रसाद ने लोकल 18 से विशेष बातचीत में बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में करीब 200 से अधिक मुर्गा फार्म संचालित हैं. पशुपालन विभाग की टीम के द्वारा बर्ड फ्लू की जांच को लेकर सैंपल कलेक्शन कर इसे जांच के लिए भोपाल स्थित पशुपालन विभाग के प्रयोगशाला में भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू की चपेट में आने से अचानक 70-75 फीसदी मुर्गियों की मौत हो जाती है. बर्ड फ्लू से मुर्गियों की मौत होने के बाद उसकी कलगी ब्लू हो जाती है. मुर्गियों को सांस लेने में परेशानी, हांफना, छींक आना, दस्त, सुस्ती, सिर, गर्दन और आंखों के आसपास सूजन आदि लक्षण दिखने को मिलते हैं. इस तरह का लक्षण दिखने पर पशुपालन विभाग को सूचित करें ताकि जन सहयोग से संक्रमण पर काबू पाया जा सके.

पोल्ट्री फार्म में रोकेगा संक्रमण 
जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि पोल्ट्री फार्म में मौजूद मुर्गियों को संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें बाहरी व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचाए. उन्होंने बताया कि यदि संभव हो तो पोल्ट्री फार्म के दरवाजे के समीप फिटकरी और डिटोल का घोल बनाकर रख लें. पोल्ट्री फार्म के भीतर प्रवेश करने से पहले पैर और हाथ पर इस घोल को लगाकर हाथ पैर को स्टेरलाइज कर लें. इससे बाहर के संक्रमण से मुर्गियों की सुरक्षा होगी. उन्होंने मुर्गी पालकों से अपील किया है कि पशुपालन विभाग की टीम जब भी मुर्गियों का सैंपल लेने जाए तो उन्हें सहयोग करें. लोगों के सहयोग से ही इस संक्रमण वाले बीमारी की समय पर जांच और इलाज से काबू पाते हुए बड़े नुकसान को रोका जा सकता है.

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