Success Story : रमेश जुनेजा एक फार्मा कंपनी में एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) थे. मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम डॉक्टरों से संपर्क करना, और उन्हें कंपनी की नई और पुरानी दवाओं के बारे में बताना होता है. उसके बाद डॉक्टर के विवेक पर निर्भर करता है कि वह उस कंपनी की दवाई अपने मरीजों को रिकमेंड करे या नहीं. तो रमेश जुनेजा भी रूटीन में ऐसा करते थे. एक दिन वे फील्ड में थे, तो एक केस देखकर उनका दिल पसीज गया. उन्होंने देखा कि एक मरीज घर के गहने बेचकर दवा खरीद रहा था. रमेश जुनेजा के अंदर से कुछ आवाज उठी और उन्होंने ठान लिया कि लोगों को सस्ते में दवा मिलनी चाहिए.
रमेश जुनेजा आज 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वैल्यूएशन वाली कंपनी का कामकाज संभालते हैं. ये कंपनी उन्होंने अपनी मेहनत से बनाई है. कंपनी में 30,000 से अधिक लोग काम करते हैं. खुद की नेट वर्थ 22,000 करोड़ रुपये है. चलिए उनकी कंपनी के नाम से भी पर्दा हटा ही देते हैं. कंपनी का नाम मैनकाइंड फार्मा (Mankind Pharma) है. रमेश जुनेजा ने साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री ली और 1974 में की-फार्मा (Kee Pharma) के साथ काम करना शुरू किया. बाद में उन्होंने लुपिन में फ्रंट लाइन मैनेजर के तौर पर काम किया.
भाई की हेल्प से बनाई मैनकाइंड फार्मा
लुपिन जैसी कंपनी के साथ 8 बरसों तक काम करने के बाद रमेश जुनेजा ने नौकरी छोड़ दी. उन्होंने एक एंटीबायोटिक बनाने वाली कंपनी शुरू की, जिसका नाम था बेस्टोकेम (Bestochem). बेस्टोकेम चल नहीं पाई और फ्लॉप हो गई. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने भाई के पास पहुंचे. 1995 में उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर 50 लाख रुपये लगाकर मैनकाइंड फार्मा कंपनी बनाई.
कंपनी का उद्देश्य मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सस्ती, इनोवेशन-बेस्ड, बेहतर गुणवत्ता वाले फार्मास्युटिकल उत्पाद बनाना था. इसकी टैगलाइन रखी गई- सर्विंग लाइफ. रमेश ने कम लागत वाली दर्दनिवारक (पेनकिलर) और एंटीबायोटिक्स बेचने से शुरुआत की.
वे कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स से दवाएं बनवा रहे थे, मगर उन्होंने दवाओं की लेबलिंग मैनकाइंड फार्मा के नाम से की. शुरुआत में उन्होंने अपनी दवाओं के लिए गांवों और छोटे कस्बों का रुख किया. दवाएं चूंकि सस्ती थीं, तो लोगों के हाथ में पैसा बचा और सेल बढ़ने लगी. पहले ही साल कंपनी ने अपनी लागत तो निकाली ही, साथ ही कुछ अतिरिक्त रेवेन्यू भी बनाकर दिया. पहले वर्ष मैनकाइंड फार्मा ने 3.79 करोड़ का रेवेन्यू बनाया.
रमेश जुनेजा के पास केवल 25 सेल्स एग्जीक्यूटिव थे और उन्हीं के दम पर कंपनी आगे बढ़ रही थी. 2001 में उन्होंने रक्तचाप अथवा ब्लड प्रेशर की गोली बनाई. एम्लोकाइंड (Amlokind) और ग्लाइमस्टार (Glimestar) सुपरहिट हो गई. क्योंकि मैनकाइंड की यह गोली अन्य बड़ी कंपनियों की ब्लड प्रेशर की गोली से लगभग आधे रेट पर बेची जा रही थी. इसी साल ही रमेश जुनेजा ने हिमाचल प्रदेश के पौंटा साहिब में एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी लगा दिया.
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कमा अच्छा चल रहा था. 2005 तक मैनकाइंड फार्मा 500 करोड़ रुपये के टर्वओवर वाली कंपनी बन गई थी. तेजी से बढ़ रही कंपनी की सफलता देख बाहरी निवेश भी आने लगा. एक पीई फर्म Chrys Capital ने मैनकाइंड फार्मा में 100 करोड़ रुपये का निवेश किया. रमेश जुनेजा जानते थे कि कंपनी अभी तो सेटल हुई है और आगे अपार संभावनाएं हैं. अभी तक केवल गांवों और छोटे कस्बों तक सीमित कंपनी को एक कदम और आगे ले जाने के लिए इसे पैन इंडिया (पूरे भारत में चलने वाली) बनाने का मकसद था.
रमेश जुनेजा से सोचा कि केवल डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाएं बेचकर बहुत आगे नहीं बढ़ा जा सकता. ऐसे प्रोडक्ट भी बनाने होंगे, जिसे बिना डॉक्टरों की सलाह के लोग खुद से खरीद पाएं. 2007 में उन्होंने ओवर द काउंटर (Over The Counter – OTC) लॉन्च करके मैनकाइंड को एक नई दिशा की तरफ अग्रसर कर दिया.
कब हुई मैनफोर्स कॉन्डम की एंट्री?
रमेश जुनेजा की कंपनी ने मैनफोर्स कॉन्डम (Manforce Condoms) लॉन्च किए. इसके बाद प्रेग्नेंसी किट को बाजार में उतारा गया, जिसका नाम है- प्रेगा न्यूज़ (Prega News). प्रेग्नेंसी को कन्फर्म करने के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं रही और इस किट को सीधे मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता था. कंपनी ने नई जेनरेशन को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रोडक्ट बनाए. इन प्रोडक्ट्स को लोगों तक पहुंचाने के लिए 50 करोड़ रुपये का बजट केवल प्रचार के लिए रखा गया. सबकुछ ठीक से चला और 2010 तक मैनकाइंड फार्मा 1000 करोड़ की कंपनी बन गई.
2010 तक मैनकाइंड फार्मा की एंटासिड (antacids (Gas O fast)) और न्यूट्रास्यूटिक (nutraceuticals (Nurokind LC)), और मैनफोर्स कॉन्डम से ही 100 करोड़ रुपये का रेवेन्यू बन रहा था. अगले 5 सालों में, मतलब 2015 तक कंपनी ने लंबी उछाल लगाई और टर्नओवर 5000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
मैनकाइंड फार्मा का आईपीओ
25 अप्रैल 2023 को मैनकाइंड फार्मा अपना आईपीओ (Mankind Pharma IPO) लाई, जिसके जरिए कंपनी ने 4326 करोड़ रुपये जुटाए. कंपनी ने 7782 करोड़ रुपये के रेवेन्यू बनाया और देश की चौथी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी बन गई, वह भी केवल घरेलू बाजार में सेल के साथ. आज की बात करें तो कंपनी की वैल्यूएशन 85,000 करोड़ रुपये से अधिक है, और यह देश की दूसरी सबसे बड़ी ड्रग निर्माता कंपनी बन चुकी है.
शेयर बाजार में मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड (Mankind Pharma Ltd.) नाम से लिस्ट कंपनी की मार्केट कैप 85,197.15 करोड़ रुपये है. 40.06 करोड़ शेयर बाजार में हैं. इसका भाव आज (21 मार्च 2024) को 2130 रुपये आसपास है. रमेश जुनेजा के पास कंपनी के 1.71% अथाव 6,855,990 शेयर हैं. उनकी पत्नी पूनम जुनेजा (Poonam Juneja) के पास कंपनी के 2.64% अथवा 10,557,626 शेयर हैं. पूनम कंपनी की डायरेक्टर हैं, जबकि रमेश जुनेजा चेयरमैन हैं. उनके भाई राजीव जुनेजा मैनेजिंग डायरेक्टर और वाइस चेयरमैन के पद पर हैं. रमेश जुनेजा के बेटे अर्जुन जुनेजा मैनकाइंड में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हैं.
कंपनी के बारे में एक खास बात यह है कि कर्ज बिलकुल भी नहीं है. अक्सर लोग निवेश के लिए ऐसी कंपनियां खोजते हैं, जिन पर कर्ज न हो. प्रोमोटर होल्डिंग 76.51% है. ध्यान रहे कि इस डेटा के माध्यम से हम आपको शेयर खरीदने की सलाह बिलकुल भी नहीं दे रहे. यदि आप किसी भी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो आपको किसी सर्टीफाइड निवेशक की सलाह लेनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : March 21, 2024, 12:05 IST