
Ashwini Vaishnaw
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संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। इस दौरान सोमवार को सरकार ने नया दूरसंचार विधेयक-2023 पेश किया। विधेयक के तहत आपातकाल की स्थिति में सरकार दूरसंचार सेवाओं का नियंत्रण ले सकती है, जिसका उद्देश्य आपातकाल की स्थिति में संदेशों के प्रसार को रोकना है। इससे अपराध के उकसावे को रोकने में मदद मिलेगी। अफवाहों पर भी इससे लगाम लगाई जा सकती है।
दूरसंचार सेवाओं को अस्थाई कब्जे में ले सकती है
संसद सुरक्षा उल्लंघन मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बिल पेश किया। बिल पेश करते वक्त सदन में सरकार ने बताया कि किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की घटना के दौरान सार्वजनिक सुरक्षा के हित में केंद्र सरकार या राज्य सरकार दूरसंचार सेवाओं को अस्थाई कब्जे में ले सकती है। सदन में सबसे पहले बसपा सांसद रितेश पांडे ने बिल का विरोध किया। पांडे ने मांग की कि विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा कि इसमें गोपनीयता से संबंधित चिंताएं हैं। विधेयक में प्रशासनिक पद्धति से उपग्रह संचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रस्ताव है।
व्हाट्सएप-टेलीग्राम पर भी सरकार की नजर
बता दें, इंटरनेट मैसेजिंग और कॉलिंग ऐप जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, गूगल मीट आदि को भी आईटी नियमों के तहत कवर किया जाएगा। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा ओवर-द-टॉप ऐप्स (ओटीटी) के आसपास चल रही परामर्श प्रक्रिया को अब जारी नहीं रखा जा सकता। विधेयक उन मामलों को परिभाषित करता है- जब स्पेक्ट्रम प्रशासनिक पद्धति से आवंटित किया जाएगा। नीलामी स्पेक्ट्रम आवंटन का पसंदीदा तरीका होगा। इसके अलावा, सरकार ने टेलीकॉम ऑपरेटरों पर लगाए जाने वाले जुर्माने की सीमा पांच करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। दूरसंचार विधेयक बुनियादी ढांचे के लिए सुरक्षात्मक उपायों का प्रस्ताव करता है। साथ ही ऑप्टिकल फाइबर केबल को सुचारू रूप से चलाने के प्रावधान को मजबूत करता है।