लॉकडाउन ने दी बेरोजगारी…4 दोस्तों ने मिलकर शुरू किया मछली पालन, 50 लाख सालाना टर्नओवर, लोगों को दे रहे नौकरी

दीपक कुमार/बांका : मछली पालन लोगों के लिए हमेशा से फायदे का धंधा रहा है. मछली पालन के क्षेत्र में जब से नई तकनीक का समावेशन शुरू हुआ है तब से आमदनी बढ़ने लगी है. मछली पालन के क्षेत्र में युवा भी अग्रसर हो रहे हैं. आज हम आपको चार दोस्तों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पहले अलग-अलग फील्ड में काम करते थे. लेकिन अब एक साथ आकर बड़े पैमाने पर मछली पालन कर रहे हैं. साथ ही कमाई भी तगड़ी कर रहे हैं.

खास बात यह है कि ये चारों दोस्त एक जगह के रहने वाले नहीं हैं. चारों दोस्त अलग-अलग जिले से आते हैं, लेकिन इनकी दोस्ती इतनी प्रगाढ़ है कि एक साथ मछली पालन कर रहे हैं. आपको बता दें कि ये चारों दोस्त कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगार हो गए थे. लेकिन जब लॉकडाउन समाप्त हुआ तो इसे चारों दोस्तों ने एक अवसर के तौर पर लिया और आज आलम यह है मछली के इस कारोबार का सालाना टर्नओवर 50 लाख से अधिक है.

चार दोस्त मिलकर 8 एकड़ के तालाब में करते हैं मछली पालन
पूर्णिया जिले के रहने वाले कुंदन कुमार ने बताया कि उनका एक दोस्त मिथिलेश कुमार झा झारखंड के गोड्डा के रहने वाले हैं. दूसरा विनीत कुमार बांका के डेनवारा गांव के रहने वाले हैं और तीसरा रघुवीर कुमार सिंह भागलपुर जिला के रहने वाले हैं. ग्रेजुएशन की पढ़ाई खत्म करने के बाद प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. कंपनी में काम करने के दौरान ही चारों की दोस्ती हुई.

इसी दौरान एका-एक लॉकडाउन की घोषणा हो गई और चारों साथी बेरोजगार हो गए. इसके बाद चारोंका मोबाइल पर बातें होते रहती थी. इसी दौरान व्यवसाय करने का चारों दोस्तों ने प्लान बनाया. तब यूट्यूब पर वीडियो देखने के दौरान मछली पालन का आइडिया आया. इसके बाद चारों दोस्तों ने मिलकर 2020 में 8 एकड़ जमीन लीज पर लेकर तालाब खुदवाया और मछली पालन शुरू कर दिया. पिछले चार वर्षों से चारों दोस्तों का ठिकाना बांका जिला के धोरैया प्रखंड स्थित डेनवारा गांव ही बन गया.

सालाना 50 लाख से अधिक है टर्नओवर
कुंदन कुमार ने बताया कि तालाब में मुख्य रूप से आईएमसी मछलियों का हीं पालन करते हैं. जिसमें कातल, रेहू, मृगल, ग्रास कार्फ मछलियां शामिल है. उन्होंने बताया कि 8 एकड़ में पांच बड़ा और एक छोटा तालाब यानी नर्सरी है. जिसमें फिंगर साइज मछलियों को कोलकाता से खरीदारी कर नर्सरी में तैयार करते हैं. जिसके बाद बड़े तालाब में डालकर एक केजी तक के होने के बाद मछलियों को स्थानीय बाजार के साथ-साथ सीमावर्ती राज्य झारखंड के गोड्डा और देवघर जैसे जिले में सप्लाई कर देते हैं.

उन्होंने बताया कि मछली को तैयार करने के लिए बाहरी फीड का प्रयोग नहीं करते हैं. रॉ-मैटेरियल की खरीदारी के बाद फॉर्म में दाना तैयार कर मछलियों को खिलाते हैं. जिससे मछलियों का ग्रोथ रेट बेहतर रहता है. वहीं 6 से 7 महीने में मछली का साइज एक किलो तक का हो जाता है. एक मछली पर 80 रूपए तक खर्च आता है और बाजार में 180 से लेकर 200 रुपए तक में बिक जाता है. वहीं मछली पालन के कारोबार का सालाना टर्नआवेर 50 लाख से अधिक है.

मछली पालन में इन बातों का रखना पड़ता है ख्याल
कुंदन कुमार ने बताया कि मछली पालन में कुछ खास बातों का ध्यान रखना पड़ता है. उन बातों को अगर आप सही से पालन करते हैं तो मछली पालन के धंधे से आपको कभी नुकसान नहीं होगा. तालाब के पानी को हमेशा स्वच्छ रखने की जरूरत पड़ती है. जिससे आपको यह पता चलेगा कि पानी का पीएच मान क्या है. साथ ही मछली में लगने वाले बीमारियों का सही समय पर पता चल जाएगा.

पानी में दवा का छिड़काव कर मछलियों को समय रहते बचा सकते हैं. खासतौर पर पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है. इसको लेकर तालाब में ऑक्सीजन बनाने के लिए लगातार जल डालते रहना चाहिए. जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा नियंत्रित रहता है और मछलियों को फायदा होता है.

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