लगन हो तो ऐसी… ब्याज के पैसों से B.ed, उधार लेकर भरा REET का फार्म, अब शिक्षक बना जिग्नेश

मोहित शर्मा/करौली. सफलता चाहे छोटी हो या बड़ी यह बात कोई मायने नहीं रखती, मायने रखती है उस सफलता के पीछे छुपी हुई एक दुख और संघर्ष से भरी कहानी. लोकल 18 आपको एक ऐसी ही संघर्ष से भरी सफलता की कहानी को बताने जा रहा है. यह कहानी है जिग्नेश शर्मा के सरकारी शिक्षक बनने की. इस युवा शिक्षक की कहानी लोकल 18 इसलिए बता रहा हैं कि जिस वक्त इन्होंने शिक्षक बनने के लिए B.Ed करने का प्लान बनाया उस वक्त जिग्नेश के घर में खाने के लिए दानों के भी लाले पड़े थे. ऐसी स्थिति में गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश के परिवार ने उन्हें ₹3 सैकड़े की ब्याज की दर से ऋण लेकर B. Ed तो जैसे – तैसे करवा दी.

लेकिन जब राजस्थान में रीट भर्ती के आवेदन मांगे गए उस वक्त विपरीत परिस्थितियों के चलते जिग्नेश के पास फार्म भरने तक को पैसे नहीं थे. ऐसी स्थिति में उन्होंने दोस्त से पैसे उधार लेकर फॉर्म भर दिया और अपने सपने को पूरा करने के लिए और परिवार की बचपन से ऐसे हालात देख जिग्नेश ने मन लगाकर तैयारी कुछ ऐसी की. इसके बाद 90 दिन की तैयारी में ही जिग्नेश सरकारी शिक्षक बन गया.

लोकल 18 से खास बातचीत में यह तमाम बातें अभी हाल ही सरकारी शिक्षक बनने वाले जिग्नेश शर्मा द्वारा साझा की गईं जिनकी पोस्टिंग भी कुछ दिनों पहले ही झालावाड़ के एक सरकारी विद्यालय में हुई है.

जिग्नेश का कहना है कि परिवार में विपरीत परिस्थितियों ऐसी थी कि जब 2022 में राजस्थान रीट एग्जाम के आवेदन चालू हुए. तब हमारे घर में खाने के लिए दाने भी नहीं थे. ना ही मेरे पास एग्जाम फॉर्म भरने के लिए पैसे थे.

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शुरू से कमजोर रही है परिवार की आर्थिक स्थिति
जिग्नेश ने बताया कि हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर रही है और मेरा जन्म गुजरात का है. जहां से हमारे पिताजी पलायन कर हमें पढ़ाई के लिए करौली ले आए थे. पिताजी को यहां कोई भी स्थाई रोजगार नहीं मिल पाया जिससे बाद बचपन से ही हमारा जीवन संघर्ष में ही गुजरा है.

B. Ed. करने के लिए ब्याज पर उधार लिए पैसे
जिग्नेश के मुताबिक, स्कूली शिक्षा पूरी और कॉलेज करने के बाद जैसे ही B.Ed करने का समय आया तब B.Ed करवाने के लिए उनके माता-पिता के पास पैसे नहीं थे. तंगी में चलने के कारण ₹3 सैकड़े की दर पर उनके माता-पिता को पैसे भी उधार लेने पड़े थे. तब जाकर संघर्ष के बीच उनकी B.Ed की पढ़ाई पूरी हो पाई.

2021 में दी पहली रीट एग्जाम, अच्छे खासे नंबर मगर रद्द हो गई भर्ती
संघर्ष और तैयारी के बाद साल 2021 में जिग्नेश ने पहला रीट एग्जाम दिया. उसमें अच्छे खासे नंबर होने के बावजूद भी पेपर लीक के चलते भर्ती रद्द हो गई. पारिवारिक स्थिति खराब होने के कारण ऐसे में स्थितियां भी बिगड़ गईं. इसके बाद जिग्नेश को भी अपने भाई के साथ बैंक में ₹10000 की प्राइवेट जॉब करने को 3 महीने के लिए मजबूर होना पड़ा. फिर दोबारा भर्ती आने पर उसने बैंक की जॉब भी छोड़ दी. ऐसे में घर में कमाने वाला सिर्फ बड़ा भाई रह गया. जिसमें भाई की तनख्वाह में से आधे पैसे घर के किराए और आधे पैसे घर चलाने में चले जाते थे.

मां ने शुरू से पढ़ाने के लिए किया था संघर्ष 
जिग्नेश ने बताया कि हमारी मां ने हमें पढ़ाने के लिए शुरू से ही इतना संघर्ष किया, जिससे की उनका आधा सा जीवन इसी के लिए समर्पित हो गया. यहां तक कि विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने स्कूलों में खाना भी बनाया. लेकिन हमारा मनोबल कभी नहीं टूटने दिया.

2019 में B.Ed करने के बाद जिग्नेश ने 2022 की रीट भर्ती में पहले प्रयास में सफलता पाई हैं. उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी मां और बड़े भाई को दिया है.

Tags: Government job, Local18, Rajasthan news, REET exam, Success Story

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