Success Story : खुली आंखों से सपने देखना अच्छी बात है, मगर वे सपने साकार तभी हो सकते हैं, जब कड़ी मेहनत और तपस्या की जाए. ऐसे ही तप की कहानी है ए. डी. पद्मसिंह इसाक की. पद्मसिंह ने अपने सपनों को ध्यान में रखते हुए कड़ा संघर्ष किया और आज वे सफलता उनके पीछे-पीछे चलती हैं. उन्होंने एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी, जिसे खरीदने की रेस में टाटा और विप्रो जैसी कंपनियां रेस में शामिल हो गईं.
फिलहाल 2000 करोड़ रुपये से अधिक का रेवेन्यू बनाने वाली ए. डी. पद्मसिंह इसाक की कंपनी का नाम आची मसाला फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (Aachi Masala Foods (P) Ltd) है. कभी एक भी दुकान में महीनों तक काउंटर नहीं पा सकने वाली ये कंपनी अब साउथ इंडिया की बड़ी एफ.एम.सी.जी (FMCG) कंपनियों में से एक है. पद्मसिंह इसाक की कहानी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है.
10 साल तक की नौकरी, बेची हेयर डाई
ए. डी. पद्मसिंह इसाक ने तमिल नाडु के नाज़रेत टाउन में एक कृषि करने वाले परिवार के यहां जन्म लिया. उनका बचपन काफी संघर्ष में बीता. जब पद्मसिंह केवल 12 साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और बालों के लिए डाई (Hair Dye) बेचने वाली एक कंपनी में नौकरी पकड़ ली. जीवन ठीक से चलने लगा, मगर वे इससे संतुष्ट नहीं थे. वे हमेशा सोच में डूबे रहते थे.
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दरअसल, पद्मसिंह इसाक अपना बिजनेस करना चाहते थे. उन्हें अपनी मां के हाथों बना खाना बहुत प्रिय था. मां के हाथ से बने खाने की खुशबू मानो महेशा उनके आसपास रहती थी. पद्मसिंह चाहते थे कि वे अपनी मां के बने मसालों की रेसिपी सभी महिलाओं तक पहुंचाएं. 10 साल तक नौकरी करने के बाद उनका मन भर गया. नौकरी छोड़ दी. 1995 में यहीं से आची मसाले की शुरुआत हुई.
मसाले के साथ गिलास फ्री
पद्मसिंह इसाक रेडी-टू-यूज (ready-to-use) मसाला ब्लेंड बेचना चाहते थे. आची मसाले की शुरुआत तो हो गई, मगर असली समस्या थी- मसाले बेचना. लोगों से कनेक्ट बनाने के उद्देश्य से उन्होंने अपने मसालों को ‘द मदर ऑफ गुड टेस्ट’ टैगलाइन दी. उनका पहला प्रोडक्ट भी उनकी मां का फेवरेट था- काज़ुम्बु मिलागाई तूल (करी मसाला पाउडर). ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों के लिए उन्होंने इस मसाले के एक सैशे की कीमत केवल 2 रुपये रखी.
यहां समस्या यह पैदा हुई कि कोई भी रिटेलर (छोटे दुकानदार) उनके मसालों को बेचना नहीं चाहते थे, क्योंकि उनका ब्रांड नया था. जब प्यार किया तो डरना क्या… की तर्ज पर उन्होंने खुद ही आगे बढ़कर मसाले बेचना शुरू कर दिया. वे दुकानों के सामने खड़े होकर हाथ में अपना प्रोडक्ट लेकर बेचते थे. मसाले की हर बिक्री पर उन्होंने स्टील का एक टंब्लर (गिलास) फ्री में दिया. लोगों को फ्री में मिलने वाली चीजें आकर्षित करती हैं, सो उनका आइडिया काम कर गया.
चिकन एंड मटन मसाला
उनके मसाले बिकने लगे तो पद्मसिंह इसाक ने जल्द ही आची मसाले के तहत चिकन और मटन मसाले भी उतार दिए. उन्होंने अपने मसालों के पैकेट्स की कीमत 2, 5 और 10 रुपये स्थिर रखी. वे क्वालिटी पर पूरा फोकस कर रहे थे. सेल और बढ़ी तो उन्होंने महसूस किया कि अब रसोई छोड़कर बड़े स्तर पर जाना होगा.
उन्होंने जल्द ही एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोल दी, जिसकी क्षमता रोजाना 120 मीट्रिक टन मसाला मिक्स बनाने की थी. उन्होंने मसालों का मुख्य इंग्रीडिएंट ‘मिर्च’ को सीधे गुंटूर से मंगवाना शुरू कर दिया. पद्मसिंह ने इसके बाद चिली (मिर्च) पाउडर, कमिन (जीरा) पाउडर, और रेडी-टू-ईट फूड बनाने की शुरुआत भी कर दी. कंपनी के सेल में लगातार ग्रोथ दिखने लगी. अगले 12 वर्षों में आची मसाला फूड्स दक्षिण भारत की नंबर 1 कंपनी बन गई. इसने बाजार के 50 प्रतिशत हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया. यहां तक कि इसी क्षेत्र के मजबूत खिलाड़ियों जैसे कि शक्ति (Shakthi) और अन्नपूर्णा (Annapoorna) को भी पीछे छोड़ दिया.
यूं फैला स्वाद का कारोबार…
2015 तक आची मसालों का कारोबार 12 राज्यों तक पहुंच चुका था. प्रोडक्ट्स की लिस्ट लंबी होकर 200 तक पहुंच गई. 10 लाख से ज्यादा काउंटर्स पर आची मसालों ने जगह पा ली. 400 से अधिक सेल्स एजेंट उनके साथ जुड़ गए और ग्रामीण भारत तक मसालों का स्वाद पहुंचाने हेतु 700 हॉकर जुड़ गए. आची मसाला फूड्स प्राइवेट लिमिटेड लगातार बढ़ रही थी. 2022 तक, आची मसाला ने 1660 करोड़ रुपये के रेवेन्यू को छू लिया. इस समय कंपनी ने 21.7 करोड़ रुपयों का नेट प्रॉफिट रिकॉर्ड किया. आची ग्रुप में अब तीन कंपनियां शामिल हैं –
1. आची मसाला फूड्स (प्राइवेट) लिमिटेड
2. आची स्पाइस एंड फूड्स (प्राइवेट) लिमिटेड
3. आची स्पेशल फूड्स (प्राइवेट) लिमिटेड
टाटा और विप्रो ने की खरीदने की कोशिश?
आची मसाला, मसालों के बाजार में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी. यह बाजार 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. आची मसालों समेत अन्य मसाला कंपनियों की ग्रोथ देखने के बाद मसाला बाजार काफी गर्म हो गया. इसी दौरान आई.टी.सी (ITC) ने सनसाइज़ फूड्स (Sunrise Foods) को 2,150 करोड़ रुपये में अधिग्रहित कर लिया. डाबर इंडिया ने बादशाह मसालों में 587.52 करोड़ रुपये डालकर 51 प्रतिशत हिस्सेदारी ले ली. बड़ी कंपनियों की नजर में अब अन्य मसाला प्लेयर चढ़ने लगे.
जुलाई 2023 में कुछ खबरें आईं कि टाटा (Tata) और विप्रो कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Wipro Consumer Products) उन कंपनियों में शामिल हैं, जो मसाला बिजनेस को पैसा डालना चाहती थीं. आची मसाला साल दर साल 30 प्रतिशत की ग्रोथ से आगे बढ़ रही थी. तो भला उससे अच्छा विकल्प क्या हो सकता था? हालांकि बाद में कोई ऐसी कोई कन्फर्म खबर नहीं आई कि किसी अन्य कंपनी ने आची मसाला में निवेश किया हो.
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FIRST PUBLISHED : April 8, 2024, 18:22 IST