मौत के बाद कितनी देर तक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है कौन-सा अंग, जानें किस अंग के पास कितना होता है वक्त?

<p>जब किसी की मौत हो जाती है, तो उसके अंग किसी और के लिए नई जिंदगी का मौका बन सकते हैं. लेकिन, हर अंग का एक खास समय होता है जिसमें उसे दूसरे व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. यह समय सीमा अंग के प्रकार पर निर्भर करती है. आज, हम बात करेंगे कि मौत के बाद कौन से अंग कितने समय तक उपयोग में लाए जा सकते हैं. इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि अंगदान की प्रक्रिया में समय कितना महत्वपूर्ण है और कैसे हम इस नेक काम को और भी बेहतर तरीके से अंजाम दे सकते हैं. <span style="font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;">यह जानकारी उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो अंगदान करने की सोच रहे हैं या फिर जिन्हें अंग की जरूरत है. इस प्रक्रिया को समझना और इसमें सहयोग करना, दोनों ही जीवन बचा सकता है.</span></p>
<p><strong>किस पार्ट को कितने समय तक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है जानें&nbsp;</strong></p>
<ul>
<li>हृदय (Heart): मौत के बाद 4-6 घंटे के अंदर हृदय का ट्रांसप्लांट सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इसके बाद हृदय के कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है.&nbsp;</li>
<li>फेफड़े (Lungs): फेफड़ों को 4-6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत होती है, जिससे उनका सही कामकाज सुनिश्चित हो सके.</li>
<li>यकृत (Liver): यकृत को मौत के बाद 8-12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना संभव होता है, ताकि उसके कार्य को बनाए रखा जा सके.</li>
<li>गुर्दे (Kidneys): गुर्दों को 24-48 घंटे तक संरक्षित किया जा सकता है, जिससे उन्हें ट्रांसप्लांट करने की अधिक समय सीमा मिलती है.</li>
<li>पैंक्रियास (Pancreas): पैंक्रियास को मौत के बाद 12-24 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट किया जाना चाहिए, ताकि उसके एंजाइमों का सही उपयोग हो सके.</li>
<li>आंत (Intestines): आँतों का ट्रांसप्लांट मौत के बाद 4-6 घंटे के भीतर करना आवश्यक होता है, जिससे उनके कार्यकलाप बने रहें.</li>
<li>त्वचा (Skin): त्वचा को मौत के बाद 24 घंटे तक संरक्षित किया जा सकता है, जिससे जलने या अन्य चोटों के उपचार में मदद मिलती है.</li>
<li>हड्डियां (Bones): हड्डियों को विशेष तरीके से संरक्षित करके महीनों तक उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे उन्हें ट्रांसप्लांट करने का अधिक समय मिलता है.</li>
<li>कॉर्निया (Cornea): कॉर्निया को मौत के बाद 1 से 2 सप्ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याओं का उपचार संभव होता है.</li>
<li>हृदय वाल्व (Heart Valves): हृदय वाल्व को विशेष रूप से संरक्षित कर मौत के बाद कई महीनों तक उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे वे लंबे समय तक संचालन योग्य बने रहें.&nbsp;</li>
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<p><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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