मोटापा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर सबके मूल में है यह विलेन, इनसे बचना है तो एक्सपर्ट की ये छोटी सलाह मान लें, डिजीज फ्री रहेगी लाइफ

Cause of non-communicable disease: भारत में करीब 10 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं. वहीं करीब 25 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं. कुल मौतों में 27 प्रतिशत मौतें हार्ट डिजीज के कारण होती हैं. हालिया प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में 14 लाख लोगों ने कैंसर का इलाज कराया. 2025 तक इस संख्या में 15 प्रतिशत इजाफा का अंदेशा है. यानी भारत नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज का गढ़ बनता जा रहा है. आलम यह है कि हर 10 में से 6 मौतें नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के कारण होती हैं और अस्पतालों में 10 में से 6 बेड इन्हीं बीमारियों के कारण मरीजों से भरे होते हैं. मोटे तौर पर इन बीमारियों को मेटाबोलिक सिंड्रोम कह सकते हैं. सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में इंटरनल मेडिसीन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. हेमंत पी ठाकर इन सभी बीमारियों के मूल में अनहेल्दी लाइफस्टाइल को सबसे बड़ा विलेन मानते हैं.

कौन-कौन सी बीमारियों के लिए है जिम्मेदार
डॉ. हेमंत पी ठाकर ने बताया कि नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के लिए मुख्य रूप से मेटाबोलिक सिंड्रोम जिम्मेदार है. शरीर में एक साथ कई बुरी स्थितियों को मेटाबोलिक सिंड्रोम कहते हैं. इसमें मुख्य रूप से हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, टाइप 2 डायबिटीज कंडीशन है लेकिन इसके लिए मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई यूरिक एसिड, हाई ब्लड शुगर, हाई बॉडी फैट, हाई लिपिड, हाई ट्राईग्लिसेराइड्स, फैटी लिवर, इंसुलिन रेजिस्टेंस, एप्पल शेप ओबेसिटी जैसे कारक जिम्मेदार होते हैं. डॉ. हेमंत ठाकर ने बताया कि भारत में सबसे ज्यादा एप्पल शेप बॉडी की परेशानी है यानी पेट के पास चर्बी बहुत बड़ी समस्या है. इन सबके अलावा क्रोनिक पल्मोनरी डिजीज, एनीमिया, कैंसर, स्लीप डिसॉर्डर, अर्थराइटिस, अस्थमा जैसी बीमारियां भी नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज की श्रेणी में आती हैं. ये बीमारियां किसी दूसरे इंसान से नहीं बल्कि व्यक्ति खुद ही अपने शरीर में पाल लेता है. वहीं आजकल अल्जाइमर और डिमेंशिया के भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं. इन सबके लिए हमारा अनहेल्दी लाइफस्टाइल ही सबसे बड़ा विलेन है.

अन्य कारण भी जिम्मेदार
डॉ. हेमंत ठाकर ने बताया कि निश्चित रूप पर्यावरण, प्रदूषण, सोशल फेक्टर, जीन भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं लेकिन इसे बढ़ाने के लिए भी हमारा लाइफस्टाइल ही जिम्मेदार होता है. उन्होंने कहा कि मान लीजिए हमारे जीन में हार्ट डिजीज है लेकिन इस जीन को हम किस तरह पालते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है. यदि आप अनहेल्दी लाइफस्टाइल है तो यह जीन नर्चर होकर आगे बढ़ेगा लेकिन यदि आपका लाइफस्टाइल बहुत अच्छा है तो इसके आगे बढ़ने का रिस्क बहुत कम रहता है.

फिर कैसे सुधारें लाइफस्टाइल
डॉ. हेमंत पी ठाकर कहते हैं इसे सुधारना भी बहुत आसान है. ठान लीजिए कि आज से अनहेल्दी लाइफस्टाइल जीना है. इसके लिए सबसे पहले रात में सवेरे सोइए और पर्याप्त और सुकून की नींद लें. सुबह अर्ली उठ जाएं और नियमित रूप से वॉक करें. इसके बाद दिन भर में कोई भी बुरी चीज न खाएं. फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, शराब, सिगरेट, तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन न करें. पैकेटबंद चीजें, तली-भुनी चीजों का भी ज्यादा सेवन न करें. शुद्ध आहार लें. भोजन में जितना अधिक हरी पत्तीदार सब्जियों, फलों और साबुत अनाज का सेवन करेंगे इन बीमारियों से उतना खतरा चलेगा. इसके बाद आज के युवाओं के लिए तनाव बहुत बड़ी समस्या है तो इसके लिए योग मेडिटेशन आदि का सहारा लें.

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