Success Story: वो कहते हैं न कि अगर सफलता चाहिए तो रिस्क लेने पड़ता है और रिस्क लेने वाले ही इतिहास रचते हैं. एक अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करना बहुत ही मुश्किल फैसला होता है. आपका आईडिया सफल होगा या नहीं ये कोई नहीं कह सकता, लेकिन अगर आपका आईडिया औरों से अलग हो और एक बड़े स्तर पर लोगों की परेशानियों को हल करने की क्षमता रखती हो तो उसकी सफलता की उम्मीद बढ़ जाती है. ऐसी ही कुछ कहानी है माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वाले एक भारतीय की जिसने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए मोटी सैलरी वाली नौकरी को छोड़कर भारत आना पसंद किया और एक ऐसा बिजनेस शुरू किया जो भारत के लगभग हर घर में अपनी पहचान बना चुका है.
जी, हां यहां हम और किसी की नहीं बल्कि लेंसकार्ट (Lenskart) के फाउंडर पियूष बंसल (Piyush Bansal) की बात कर रहे हैं जिन्होंने साल 2007 में अपना बिजनेस शुरू करने के लिए यूएस में माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ दी और भारत आ गए. आज पीयूष अपने इसी बिजनेस से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. पीयूष शार्क टैंक इंडिया में बतौर जज भी काफी सुर्खियां बटोर चुके हैं. आईए आपको बताते हैं पीयूष बंसल ने इतनी सफलता कैसे हासिल की.
अच्छे पैकेज वाली नौकरी को छोड़ा
पियूष साल 2007 तक यूएस में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी कर रहे थे. उन्हें नौकरी करते हुए एक साल से भी कम हुआ था कि उनमें कुछ अपना करने की चाहत जगने लगी. इसी साल उन्होंने तय किया कि वह अपने देश जाकर कुछ बिजनेस शुरू करेंगे और उन्होंने नौकरी छोड़ दी. उनके इस फैसले से परिवारवाले और दोस्त काफी हैरान थे. उनके काफी समझाने के बाद भी वह नहीं माने और भारत लौट आए. यहां आकर उन्होंने बाजार को समझने के लिए एक क्लासिफाइड वेबसाइट ‘सर्च माइ कैंपस’ शुरू की. यहां छात्रों को किताबें, पार्ट टाइम जॉब और कारपुल जैसी चीजें ढूंढने में मदद की जाती थी. तीन साल तक पीयूष इस प्रोजेक्ट पर काम करते रहे. इसके जरिए भारतीय कस्टमर्स के बिहेवियर और जरूरतों को समझते रहे.
इस तरह हुई की शुरुआत
तीन साल तक कस्टमर की जरूरतों को समझने के बाद पीयूष बंसल ने चार अलग-अलग वेबसाइट्स लॉन्च की. इनमें से एक आईवियर की वेबसाइट भी थी. वहीं बाकी तीन कंपनियां यूथ को टारगेट करते हुए ज्वेलरी, घड़ी और बैग्स की थी. रिस्पांस को देखते हुए उन्होंने आईवियर पर फोकस किया और यहीं से लेंसकार्ट की शुरुआत हुई. पीयूष बंसल ने आईवियर पर अपना पूरा ध्यान लगाते हुए देश के छोटे बड़े शहरों में आउटलेट्स खोलने शुरू किए, जहां हर रेंज के चश्मों के साथ आंखों के चेकअप की सुविधा भी दी जाने लगी. साथ ही पॉवर बताने पर इन चश्मों की होम डिलीवरी भी शुरू कर दी गई.
स्टार्टअप बना यूनिकॉर्न
पीयूष के इस यूनिक कॉन्सेप्ट को देखते हुए उन्हें कई इंवेस्टर्स मिलने लगे. धीरे-धीरे उनकी कंपनी सफलता की ओर आगे बढ़ने लगी. बता दें कि साल 2019 में लेंसकार्ट 1.5 अरब डॉलर की वैल्युएशन के साथ एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई थी. आज लेंसकार्ट की वैल्यूएशन 4.5 बिलियन डॉलर की है. वहीं, इस कंपनी में सॉफ्टबैंक, अबुधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और क्रिस कैपिटल जैसे दिग्गज इन्वेस्टर्स ने पैसा लगाया है. साल 2022 में इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 1500 करोड़ रुपये था.
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FIRST PUBLISHED : April 15, 2024, 11:34 IST