Why goat’s teeth counted before halal on bakrid: पूरे देशभर में आज यानी 17 जून को ईद-उल-अजहा सेलिब्रेट किया जा रहा है. बकरीद, इस्लाम के सबसे पवित्र त्योहारों में से हैं. यह साल में दो बार मनाई जाती है, जिसमें एक को मीठी ईद और दूसरे को बकरीद के रूप में जाना जाता है. बकरीद में बकरे की कुर्बानी दी जाती है. लेकिन इस त्योहार में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जब बकरे को हलाल किया जाता है तब उसके दांत भी गिने जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है. आइए जानते हैं…
इस्लाम में बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत गिनने का रिवाज है. ऐसा बकरे की उम्र का पता लगाने के लिए किया जाता है. बकरीद पर 1 साल के बकरे की ही कुर्बानी दी जाती है यानी वो न ही नवजात होता है और न ही बुजुर्ग होता है.
कितने दांत वाले बकरे की दी जाती है कुर्बानी?
कुर्बानी देने से पहले बकरे के दांत को गिना जाता है. जब किसी बकरे का दांत 4-6 हो तब वह 1 साल का माना जाता है. अगर इससे कम हो तो उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती है. अगर किसी बकरे का दांत 6 से ज्यादा है तो भी उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती है.
क्यों मनाई जाती है बकरीद?
यह हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. यह इस वाकये को दिखाने का तरीका है कि हजरत इब्राहिम अल्लाह में सबसे ज्यादा विश्वास करते थे. दरअसल अल्लाह पर विश्वास दिखाने के लिए उन्हें अपने बेटे इस्माइल की बलि देनी थी. जैसे ही उन्होंने ऐसा करने के लिए अपनी तलवार उठाई, दैवीय शक्ति से उनके बेटे की बजाए एक दुंबा (भेड़ जैसी ही एक प्रजाति) वहां पर आ गई और कुर्बानी उसकी हो गई. आज इसी कहानी के आधार पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है.
FIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 17:33 IST