पी‍र‍ियड्स के दर्द से परेशान थी लड़की, खाई दवाई तो 3 सप्‍ताह बाद हुई मौत, अंगदान से बचा गई 5 ज‍िंदगियां

<p style="text-align: justify;"><strong>UK News:</strong> लंदन में एक 16 साल की लड़की को मास&zwj;िक धर्म के दौरान होने वाली पीड़ा असहनीय हो रही थी. इस पीड़ा से राहत पाने के ल&zwj;िए उसने अपने कॉलेज के दोस्&zwj;तों के कहने पर दर्द न&zwj;िवारक गोली ले ली. इसे खाने के 3 सप्&zwj;ताह बाद उसको ज्&zwj;यादा समस्&zwj;या होने लगी. च&zwj;िक&zwj;ित्&zwj;सा जांच में उसके पेट में कीड़े होने का पता चला. साथ ही खून के थक्&zwj;के जमने की वजह से 48 घंटे के भीतर उसकी मौत हो गई है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 16 साल की लैला खान को मासिक धर्म के असहनीय दर्द को कम करने के ल&zwj;िए दोस्तों ने दवाई लेने का सुझाव दिया था. इसके बाद कॉलेज छात्रा ने 25 नवंबर को गोलियां लेना शुरू कर दिया. इस दवाई को लेने से उसको 5 दिसंबर से सिरदर्द की समस्&zwj;या होने लगी और सप्ताह के आख&zwj;िर में उसे उल्टी होने लगी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">लड़के के पर&zwj;िजनों के मुताब&zwj;िक, लैला को हर 30 म&zwj;िनट में उल्&zwj;टी हो रही थी. वो उसको जांच के ल&zwj;िए अस्&zwj;पताल लेकर गए. डॉक्टरों ने उसे एक गोली दी और बताया कि उसके पेट में एक कीड़ा है. उसके परिवार का दावा है कि जब उन्होंने 111 राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा हेल्पलाइन पर कॉल किया तो उन्हें "नो रेड फ्लैग" के ल&zwj;िए सूचना दी थी. रेड फ्लैग आमतौर पर रोगी से को संक्रमण, कैंसर या फ्रैक्चर जैसी गंभीर बीमारी होने के हाई र&zwj;िस्क को लेकर दिया जाता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बीमारी में नहीं थी कोई ‘रेड फ्लैग’ जैसी स्&zwj;थ&zwj;ित&zwj;ि&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">मृतक लड़की की चाची, जेना ब्रेथवेट ने कहा, "रविवार (17 द&zwj;िसंबर) की रात को उसकी तब&zwj;ीयत बहुत ज्&zwj;यादा खराब थी. उसके हर आधा घंटे में उल्&zwj;टी करने की वजह से हमें सोमवार (18 द&zwj;िसंबर) की सुबह जीपी अपॉइंटमेंट (स्&zwj;थानीय च&zwj;िक&zwj;ित्&zwj;सक) मिली. जीपी में रहने के बाद भी वह पूरे समय बीमार रही थी. इस दौरान उन्होंने उसे बीमारी-रोधक गोलियां दीं थी. डॉक्&zwj;टरों ने कहा कि उन्हें लगता है कि उसके पेट में कीड़ा है. उन्होंने कहा कि कोई रेड फ्लैग जैसी स्&zwj;थ&zwj;ित&zwj;ि नहीं है और अगर यह समस्&zwj;या लगातार बनी रहती है तो बुधवार (20 द&zwj;िसंबर) को अस्पताल ले जा सकते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, उसकी हालत खराब हो गई और वह दर्द से चिल्लाने लगी. परिजनों ने उसको अस्पताल ले जाने का न&zwj;िर्णय क&zwj;िया, लेकिन वो बाथरूम में गिर गई और उसको पैरों में कुछ समस्&zwj;या हो गई. ब्रेथवेट और लैला की मां उसे कार तक लेकर गए, जहां उसने लगातार रेस्&zwj;पांस देना छोड़ द&zwj;िया. &nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सर्जरी के बाद डॉक्&zwj;टरों ने लड़की को अगले दिन क&zwj;िया ब्रेन-डेड घोषित &nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">लड़की को ग्रिम्सबी के पास के अस्पताल में ले गए और उसका सीटी स्कैन क&zwj;िया गया. उसके मस्तिष्क में रक्त का थक्का जम गया. इसल&zwj;िए लैला की 13 दिसंबर को सर्जरी भी हुई. हालांकि, डॉक्&zwj;टरों ने अगले दिन उसे ब्रेन-डेड घोषित कर दिया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’लड़की के अंगों ने क्रिसमस से कुछ दिन पहले बचाई 5 लोगों की जान’&nbsp;</strong></p>
<p style="text-align: justify;">लैला के परिवार का कहना है क&zwj;ि उसके प्रोफेसर उसे एक संभावित ऑक्सफोर्ड छात्र मानते थे. परिवार ने ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के लिए लैला के अंग भी दान कर दिए हैं. उन्हें बताया गया है कि लैला के अंगों ने क्रिसमस से कुछ दिन पहले 5 लोगों की जान बचाई है.&nbsp;</p>
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