पापा के पैसे मैनेज करता था, फिर बना दी 30,000 करोड़ की कंपनी, किसी से नहीं लिया 1 भी पैसा, हिला दी इंडस्ट्री

Success Story : 17 साल के लड़के को यह तक पता नहीं होता कि पॉकेट मनी को कैसे मैनेज किया जाए, मगर नितिन कामत (Nithin Kamath) ने इसी उम्र में अपने पिता का ट्रेडिंग अकाउंट संभालना शुरू कर दिया था. आज नितिन कामत 30,000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी के मालिक हैं. उन्होंने कंपनी को इस कद्र मैनेज किया कि किसी के आगे फंडिंग के लिए हाथ नहीं फैलाए. हमेशा से प्रॉफिटेबल रहे बिजनेस में दिग्गज कंपनियां संभवत: निवेश के लिए आतुर रही होंगी, मगर जीरोधा (Zerodha) ने आज तक किसी से भी फंडिंग के नाम पर एक भी पैसा नहीं लिया है. अब वे अपने परिवार के साथ मौज करते अथवा जिंदगी को खुलकर जीते हुए नजर आते हैं.

जीरोधा आज देश का सबसे बड़ा ब्रोकर है, और 44 वर्षीय नितिन कामत इसके सीईओ हैं. भारत में होने वाली कुल ट्रेडिंग और निवेश का 15 प्रतिशत हिस्सा केवल जीरोधा पर होता है. कंपनी का आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, जीरोधा के पास 1 करोड़ 30 लाख क्लाइंट हैं. एक आंकड़ा यह भी बताता है कि जीरोधा के अकाउंट में शेयर रखने वालों ने 3.5 लाख करोड़ की कीमत की होल्डिंग रखी हुई है.

यूं मिला नितिन को पहला क्लाइंट
2001 में उन्होंने एक कॉल सेंटर पर काम करने शुरू किया. यहां उनकी सैलरी 8000 रुपये महीना थी. यहां से पैसा कमाकर वे शेयर बाजार में लगाते थे. नितिन कामत खुद बताते हैं, “मैंने 2004-05 में काम के साथ-साथ ट्रेडिंग भी की. इसके बाद मैंने नौकरी छोड़ दी और मुझे पहला ऐसा व्यक्ति मिला, जिसने मुझे अपना पैसा मैनेज करने का काम दिया. उसने यह फैसला मेरा ट्रेडिंग अकाउंट देखने के बाद किया.”

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Photo – instagram@nithinkamath

बाद में नितिन कामत ने एक कंपनी के साथ सब-ब्रोकर बनकर काम किया. बहुत कम समय में उनके हाथ में इतना काम था कि 1000 सब-ब्रोकरों के पास भी कुल उतना काम नहीं होता था. इसकी वजह थी शेयर बाजार पर उनकी पकड़.

2008 में टूटे तो निखर गए कामत
2008 की आर्थिक मंदी दुनिया की सबसे बड़ी मंदियों में से एक थी. दुनियाभर की मार्केट्स क्रैश हो रही थीं. इसी मंदी का एक तगड़ा झटका नितिन कामत को भी लगा. उन्होंने इसमें अपने 5 लाख रुपये खो दिए. आर्थिक तबाही ऐसी थी कि उनके पास जितने भी क्लाइंट थे, सबको तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा. 2008 में ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एनएसई-नाऊ (NSE – Now) लॉन्च किया. यह एक ऐसा तकनीकी प्लेटफॉर्म था, जहां नए ट्रेडर काम शुरू कर सकते थे.

बहुत ही उत्तम दिन पर शुरू हुआ जीरोधा
2008 के आसपास के समय ट्रेडरों और निवेशकों के सामने एक बड़ी समस्या थी कि ब्रोकर कंपनियां काफी ज्यादा शुल्क लिया करती थीं. ब्रोकर हर ट्रेड पर 2 प्रतिशत की भारी-भरकम फीस वसूल करती थीं. इसी दौरान, नितिन कामत ने सोचा कि टेक्नोलॉजी फ्री हो सकती है तो ट्रेडिंग क्यों नहीं? यही सोचते-सोचते उन्होंने एक डिस्काउंट ब्रोकिंग फर्म की स्थापना करने का मन बना लिया. उनके दिमाग में जीरोधा जैसे वट-वृक्ष का बीज पड़ चुका था.

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Photo – instagram@nithinkamath

जीरोधा को हकीकत में बदलने के लिए उद्देश्य से नितिन ने अपने छोटे भाई निखिल कामत को भी अपने साथ जोड़ा. कुछ लोगों की टीम के साथ मिलकर जीरोधा लॉन्च किया. लॉन्चिंग का दिन भी ऐसा चुना गया, जोकि बहुत ही उत्तम था- 15 अगस्त, साल था 2010.

जीरोधा ने ट्रेडर्स को दी आज़ादी
आज़ादी के शुभ दिन से शुरू हुई कंपनी ने अपने साथ जुड़ने वाले ट्रेडरों को ब्रोकरेज की बड़ी फीस से स्वतंत्रता दिला दी. नितिन कामत ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनका उद्देश्य साफ था. वे लोगों को डिस्काउंट ब्रोकरेज का तोहफा देना चाहते थे. उन्होंने बताया कि एक लॉट खरीदना हो या फिर 100 लॉट एक साथ, टेक्नोलॉजिकली इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मशीन को 1 लॉट के लिए भी वही एक्शन करना पड़ेगा, जो 100 या फिर 1000 लॉट के लिए करना पड़ेगा. इसलिए प्रति ऑर्डर फीस तय कर दी गई, जबकि पहले ऐसा नहीं था. 2010 से शुरू हुई यात्रा 2024 में पहुंच चुकी है और ट्रेडिंग का गेम पूरी तरह बदल चुका है. अब लगभग हर कंपनी जीरोधा की नकल करते हुए डिस्काउंट ब्रोकरेज या फिर शून्य ब्रोकरेज ऑफर करती है.

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शुरुआती यूजर्स के लिए करनी पड़ी जद्दोजहद
जीरोधा के पास तकनीक आ चुकी थी, प्लेटफॉर्म भी बन चुका था, मगर एक नए प्लेटफॉर्म पर लोगों का भरोसा टिकाना आसान नहीं था. बड़े-बड़े नामों के सामने जीरोधा जैसी कंपनी का टिक पाना आसान नहीं था. हालांकि, नितिन कामत और उनकी टीम ने तय किया था कि शुरुआत में मार्केटिंग पर एक भी पैसा खर्च नहीं करना है और ऐसा किया भी. पहले 1000 यूजर ऑनबोर्ड करने तक जीरोधा ने विज्ञापन और मार्केटिंग पर कुछ भी खर्च नहीं किया. इस माइलस्टोन तक पहुंचने में पूरा एक वर्ष लग गया.

इसके बाद और यूजर बढ़ाने के लिए कंपनी ने रेफरल स्कीम लॉन्च करते हुए 10 प्रतिशत का डिस्काउंट ऑफर किया. धीरे-धीरे उनके पास 3000 अकाउंट हो गए. यह कहना काफी आसान लगता है कि 1000 हुए और फिर 3000 हो गए, लेकिन इसके लिए खुद नितिन कामत को कई तरह के पापड़ बेलने पड़े.

खुद सेल्सपर्सन बनकर करते थे लोगों को फोन
नितिन कामत ने खुद बताया है कि 2010 में जब उन्होंने जीरोधा की शुरुआत की तो उनके पास ऑनबोर्ड करने वाले लोगों की टीम पर खर्च करने के लिए पैसा नहीं था. मगर बिजनेस तो तभी चलता, जब अकाउंट खुलते. ऐसे में नितिन खुद लोगों को फोन करने और सेल्सपर्सन बनकर बात करते थे. सामने वाले से बात करते हुए अपना नाम भी सचिन बताते थे, ताकि लोगों को यह न लगे कि कंपनी का मालिक ही फोन कर रहा है और घर से कागजात उठाने के लिए भी खुद ही चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि इस तरह उन्होंने 500 से अधिक अकाउंट खोले.

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ऐसी उड़ी Kite कि हो गया कमाल
जीरोधा ने 2015 में ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म काइट (Kite) लॉन्च किया. इसे लॉन्च करने के बाद यूजर्स काफी तेजी से जुड़े. इस प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन ब्राउजर पर ही एक्सेस किया जा सकता है. कोई भारी-भरकम सॉफ्टवेयर लैपटॉप या कंप्यूटर में इंस्टाल करने की जरूरत नहीं रहती. चूंकि यह ब्राउजर पर चलता है तो इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहतर रहती है और तेजी से बदलते भावों को रियल-टाइम में ट्रैक किया जा सकता है. 2016 आते-आते कंपनी के पास 60,000 अकाउंट हो गए थे.

अब जीरोधा अपना कारोबार लगातार फैला रहा है. अब यह केवल एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म न होकर, म्यूचुअल फंड्स में निवेश का एक साधन भी बन गया है. म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले कंपनी के कॉइन (Coin) ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड्स और इक्विटी (डिलीवरी) में निवेश करने के लिए जीरो शुल्क लगता है, जबकि इंट्राडे और फ्यूचर एंड ऑप्शन्स (F&O) में प्रति ट्रेड के लिए 20 रुपये देने पड़ते हैं.

नितिन कामत की कमाई
5 अक्टूबर 1979 को पैदा हुए नितिन कामत दुनियाभर के अमीरों में 545वें नंबर पर हैं. यह आंकड़ा फोर्ब्स की नेट वर्थ रियल टाइम सूची के अनुसार 21 फरवरी 2024 तक का है. नितिन कामत की नेट वर्थ 5.4 बिलियन डॉलर अथवा 44,794 करोड़ रुपये है. दिसंबर 2023 में एनट्रैकर (Entracker) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 23 में जीरोधा के डायरेक्टर को 72 करोड़ रुपये की सैलरी मिली थी. यह उनका एनुअल पैकेज था. उनके भाई निखिल कामत को भी इतना ही पैसा मिला था.

वित्त वर्ष 23 में जीरोधा का सालाना ऑपरेटिंग रेवेन्यू 6,875 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्त 22 में 4,964 करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष 21 में यही रेवेन्यू 2,729 करोड़ रुपये रहा था. इसी के मुताबिक टैक्स भरने के बाद जो प्रॉफिट (PAT) बना, वह 2021, 2022 और 2023 में क्रमश: 1,122 करोड़, 2,094 करोड़, 2,907 करोड़ रुपये रहा.

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