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Farming Success story: अकोला के 23 वर्षीय यश नारजे ने पारंपरिक खेती छोड़कर केले, पपीते और तरबूज जैसी नकदी फसलों से वैज्ञानिक तरीके से खेती शुरू की. उन्होंने सालाना 27 लाख की कमाई की.

युवा किसान की कहानी
हाइलाइट्स
- यश नारजे ने इंटरक्रॉपिंग और आधुनिक तरीकों से खेती में सफलता पाई.
- केले, पपीते, खरबूजे से सालाना 27 लाख तक की कमाई की.
- खेती के साथ पोल्ट्री फार्मिंग से आर्थिक तरक्की को और बढ़ाया.
अकोला जिले के तेल्हारा तालुका के हिंगानी बुद्रुक गांव का नाम अब आधुनिक खेती के लिए लिया जा रहा है. इस बदलाव की वजह बने हैं यश संतोष नारजे, जो महज 23 साल की उम्र में खेतों की पूरी जिम्मेदारी खुद उठा रहे हैं. परंपरागत फसलों की जगह अब वह वैज्ञानिक तरीके से केले, पपीते, खरबूजे और तरबूज जैसी नकदी फसलें उगा रहे हैं.
यश ने एनिमल साइंस की पढ़ाई की है और अभी भी पढ़ाई जारी है, लेकिन उनका असली लगाव खेत से है. अपने पिता संतोषराव नारजे के मार्गदर्शन में यश पिछले छह सालों से खेतों में लगातार प्रयोग कर रहे हैं. 22 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर उन्होंने खेती को पूरी तरह से वैज्ञानिक सोच से जोड़ा है.
खेती का फार्मूला बदला, नतीजे ने उड़ाए होश
यश ने केले की खेती में 70 बाय 30 के फॉर्मूले को अपनाया. यानी 70% खेत सिर्फ फसल के लिए और 30% जगह कामकाज और देखरेख के लिए छोड़ी गई. इससे पौधों को खुली जगह मिली और उनका विकास बेहतर हुआ. यही नहीं, मिट्टी की परत और फसल सुरक्षा से कीटों का असर भी कम हुआ.
खेती को घाटे का सौदा मानने वालों के लिए यश की खेती जवाब है. उन्होंने इंटरक्रॉपिंग को अपनाया — केले के साथ तरबूज, पपीते के साथ खरबूजा. तरबूज से 25-30 टन, केला भी उतना ही, पपीता 50-60 टन और खरबूजा 12 टन प्रति एकड़ उत्पादन हो रहा है. खेती की इसी प्लानिंग ने उन्हें आर्थिक मजबूती दी.
खेत से कमाई और कमाई से तरक्की
यश ने साल 2022 में खेती से हुई कमाई से 5 एकड़ नई जमीन खरीदी, ट्रैक्टर लिया और प्लॉट भी लिया. आज उनकी सालाना आमदनी 25 से 27 लाख रुपए तक पहुंच गई है. उनके परिवार के सभी सदस्य शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं, और इसका आधार खेती ही है.
खेती के साथ पोल्ट्री फार्म का भी कमाल
खेती के साथ यश ने पोल्ट्री फार्मिंग भी शुरू की. उन्होंने 15 लाख रुपए लगाए और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत पक्षी पालना शुरू किया. हर 65 दिन में तैयार होने वाले बैच से उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. गर्मी से बचाने के लिए फार्म में कूलर, फॉगर और पेड़ लगाए गए हैं, जिससे पक्षियों की सेहत अच्छी रहती है.
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