नौकरी छो़ड़ 2.5 एकड़ खेत से करता है 12 लाख कमाई, घाटे की खेती को ऐसे बनाया मुनाफे वाली, 5 को दिया रोजगार

भोपाल. भोपाल के बैरसिया के गोलखेड़ी गांव के रहने वाले श्याम कुशवाह कृषि के क्षेत्र में कमाल कर रहे है. पहले तो प्राइवेट नौकरी छोड़ खेती शुरू की. जिसके बाद पिता द्वारा की जा रही पारंपरिक खेती से इतर 12 एकड़ में पालक, अमरुद के पेड़ और गेहूं की फसल उगा सालभर में 12 लाख से ज्यादा का मुनाफा कमा रहे है. साथ ही 4 से 5 लोगों को एक साथ रोजगार भी दे रहे है.

ऐस करते हैं खेती
श्याम कुशवाहा 12 एकड़ में खेती कर रहे हैं. जिसमें से करीब 2.5 एकड़ में अमरूद के पेड़, एक एकड़ में पालक और बचे हुए साढ़े आठ एकड़ में गेहूं समेत दूसरी फसल उगाते है. इससे श्याम को सालाना करीब 12 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है. श्याम बताते है कि साल 2015 से पहले उनके पिता पारंपरिक खेती करते थे, जिसमें गेहूं, चना और सोयाबीन की अच्छी क्वालिटी का बीज बोते थे.

सालभर कड़ी मेहनत करने के बाद भी फसल कटने के बाद मंडी में बेचने पर आय 1 से 1.50 लाख रुपए ही हो पाती थी. जिससे तंग आकर श्याम के पिता खेती को घाटे का सौदा मान चुके थे. श्याम उस समय प्राइवेट कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी करते थे, जिसमें उन्हें भी ज्यादा कमाई नहीं होती थी. इस बीच दोस्तों ने आधुनिक तरीके से खेती करने की सलाह दी और श्याम ने नौकरी छोड़ जैविक खेती करने का सोचा.

विशेषज्ञ से दी ये सलाह
साल 2016 में कृषि विभाग के विशेषज्ञों से मिले तो उन्होंने अमरूद का बगीचा लगाने की सलाह के साथ ही नि:शुल्क पौधे भी दिए. ढाई एकड़ में पौधे रोपने के बाद सालभर देखभाल किया. जिसका नतीजा यह रहा की पहले साल में 45 हजार रुपए का मुनाफा हुआ. अगले साल तक पेड़ और बड़े होने के बाद करीब ढाई लाख रुपए की कमाई हुई, जो कि पारंपरिक खेती की कमाई से एक लाख रुपए ज्यादा थी.
इस सफलता के बाद श्याम ने पपीता, आम और चीकू के पौधे लगाए. जिसमें साल दर साल मुनाफा होता रहा.

सरकार से सब्सिडी लेने के बाद 33 लाख रुपए की लागत से पॉली हाउस बनाया. जिसमें करीब 19 लाख रुपए खर्च हुए. जबकि बाकी के 14 लाख रुपए सरकार ने सब्सिडी के रूप में दिए. साल 2018 में पॉली हाउस में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर 45 हजार रुपए लगाकर शिमला मिर्च लगाई, लेकिन फसल खराब हो गई. इसके बाद घर वालों ने बहुत डांटा मगर उन्होंने हार नहीं मानी.

नुकसान के बाद बदला तरीका
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान में विशेषज्ञों से पूछताछ के बाद पता चला कि पॉलीहाउस में लगाई गई शिमला मिर्च को वायरस लग गया था. जिसके कारण शिमला मिर्च का आकार छोटा रह गया. इसके बाद श्याम ने जो मेरा मिर्च की जगह टमाटर की खेती की मगर उसमें भी भारी नुकसान हुआ. उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से पता चला कि पॉलीहाउस में भवर मधुमक्खी जैसे अन्य कीड़े नहीं पहुंच पाते हैं. जिसके कारण पोलराइजेशन वाली फसलों की पॉलीहाउस में खेती नहीं की जा सकती है.

श्याम मैं इस नुकसान से सीख लेते हुए पॉलीहाउस में पत्तों वाली पालक की खेती शुरू करें. साल 2018 में जुलाई से लेकर सितंबर तक पलक हुआ कर लगभग 5 लाख तक का मुनाफा कमाया. तब से लेकर आज तक पर पालक की खेती करते आ रहे हैं. अबे 12 एकड़ की जमीन को तीन अलग-अलग सेक्टर में बांटकर मैक्स खेती कर सालाना 12 लाख से ज्यादा का मुनाफा कमा रहे हैं. साथी अन्य लोगों को रोजगार व किसानों को सही तरीके से खेती करने की सीख दे रहे हैं.

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